Product Price Quantity Subtotal  
300.00
300.00
171.00190.00
171.00
520.00650.00
520.00
250.00
250.00
440.00
440.00
213.00250.00
213.00
299.00
299.00
153.00180.00
153.00

You may be interested in…

  • Geeta Press Aur Hindu Bharat Ka Nirman by Akshay Mukul

    गीता प्रेस और हिन्दू भारत का निर्माण – अक्षय मुकुल
    अनुवाद : प्रीती तिवारी

    पुस्तक के बारे में…

    अक्षय मुकुल हमारे लिए अमूल्य निधि खोज लाए हैं। उन्होंने गोरखपुर स्थित गीता प्रेस के अभिलेखों तक अपनी पहुँच बनाई। इसमें जन विस्तार वाली पत्रिका कल्याण के पुराने अंक थे। लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण कई दशकों तक कल्याण के संपादक और विचारक रहे हनुमान प्रसाद पोद्दार के निजी कागजात तक पहुँचना था। इन कागजात के जरिये मुकुल हमें हिन्दुत्व परियोजना के बीजारोपण से लेकर जनमानस में उसे मजबूत किए जाने के पूरे वाकये से रूबरू करवाते हैं। इससे भी आगे वे इसकी जड़ में मौजूद जटिलता तक पहुँचते हैं जहाँ रूढ़िग्रस्त ब्राह्मणवादी हिन्दुओं और मारवाड़ी, अग्रवाल और बनिया समुदाय के अग्रणी पंरॉय
    मदन मोहन मालवीय, गांधी, बिड़ला बंधुओं और गीता प्रेस के बीच की सहयोगी अंतरंगता, किंतु कभी मधुर कभी तिक्त संबंध बिखरे दिखाई देते हैं। यह किताब हमारी जानकारी को बहुत समृद्ध करेगी और आज जिन सूरत-ए-हालों में भारत उलझा है उसे समझने में मददगार साबित होगी।
    – अरुंधति रॉय
    Buy This Book with 1 Click Via RazorPay (15% + 5% discount Included)
    509.00599.00
  • Ramcharitrmanas Awadhi-Hindi Kosh

    (15%+5% की विशेष छूट )

    अपनी प्रति सुरक्षित करते समय कूपन कोड ‘newbook’ इस्तेमाल करें और 5% की अतिरिक्त छूट का लाभ उठायें |


    तुलसीदास का महाकाव्य ‘रामचरितमानस’ एक अप्रतिम क्लैसिक है। वह सदियों पहले लिखी गयी काव्य-गाथा भर नहीं है – वह आज भी सन्दर्भ, पाठ, प्रस्तुति, जनव्याख्या, संगीत-नृत्य-नाट्य में सजीव, सक्रिय और प्रासंगिक कविता है। हिन्दी में जितने पाठक, रसिक, व्याख्याकार, अध्येता, भक्त इस काव्य के हैं उतने किसी और काव्य के नहीं। लोकप्रियता और महत्त्व दोनों में तुलसीदास अद्वितीय हैं।

    रामचरितमानस पर एकाग्र अवधी-हिन्दी कोश तुलसी अध्ययन का एक मूल्यवान् उपयोगी सन्दर्भ-ग्रन्थ है। अकेले एक महाकाव्य पर केन्द्रित यह हिन्दी का सम्भवतः पहला कोश है। इस महाकाव्य में अवधी की विपुलता, सघनता, वैभव, सुषमा-सुन्दरता आदि का अद्भुत रसायन है। एक महाकवि होने के नाते तुलसीदास ने अनेक शब्दों को नये अर्थ, नयी अर्थाभा दी है। बहुत सारे शब्दों के प्रचलित अर्थों से उन्हें ठीक या सटीक ढंग से नहीं समझा जा सकता है। इस सन्दर्भ में यह कोश उन नये और कई बार अप्रत्याशित अर्थों की ओर हमें ले जाता है।
    एक ऐसे समय में जब राम और तुलसीदास दोनों ही दुर्व्याख्या और दुर्विनियोजन के लगभग रोज़ शिकार हो रहे हैं तब इस कोश का प्रकाशन सम्बन्ध और संवेदना, खुलेपन और ग्रहणशीलता, समरसता और भाषिक विविधता की ओर ध्यान खींचता है। रज्जा पुस्तक माला में इस महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ को प्रकाशित करते हुए प्रसन्नता है।
    – अशोक वाजपेयी

    Buy This Book with 1 Click Via RazorPay (15% + 5% discount Included)

    424.00499.00
  • Digambar Vidrohini Akk Mahadevi By Subhash Rai

    यह एक अनूठी पुस्तक है : इसमें गम्भीर तथ्यपरक तर्कसम्मत शोध और आलोचना, सर्जनात्मक कल्पनाशीलता से किये गये सौ अनुवाद और कुछ छाया-कविताएँ एकत्र हैं। इस सबको विन्यस्त करने में सुभाष राय ने परिश्रम और अध्यवसाय, जतन और समझ, संवेदना और सम्भावना से एक महान् कवि को हिन्दी में अवतरित किया है। वह ज्योतिवसना थी, इसीलिए उसे ‘दिगम्बर’ होने का अधिकार था : अपने तेजस्वी वैभव के साथ ऐसी अक्क महादेवी का हिन्दी में हम इस पुस्तक के माध्यम से ऊर्जस्वित अवतरण का स्वागत करते हैं। रजा पुस्तक माला इस पुस्तक के प्रकाशन पर प्रसन्न है।

    -अशोक वाजपेयी
    Buy This Book Instantly thru RazorPay (15% + 5% extra discount)

     

    382.00449.00
  • Char Aadiroop Translated by Pragati Saxena

    यह मनुष्य के स्वतन्त्र, यानी चेतन निर्णय पर निर्भर करता है कि यह भलाई भी कहीं किसी शैतानी बुराई में ना विकृत हो जाए। मनुष्य का सबसे बड़ा पाप अचेतनता है, जिससे वे लोग भी बहुत धार्मिकता और करुणा से बर्ताव करते हैं, जिन्हें मनुष्यता के लिए शिक्षक और उदाहरण होना चाहिए। हम कब इतने क्रूर तरीक़े से मानवता को लापरवाही से लेना बन्द करेंगे और गम्भीरता से मनुष्यता को इस पैशाचिक वश से मुक्त करने के तरीक़े और साधन ढूँढ़ेंगे, ताकि हम उसे इस अचेतना और हस्तक्षेप से बचा सकें और कब इसे सभ्यता का सबसे महत्त्वपूर्ण काम बनाएँगे ? क्या हम इतना भी नहीं समझ सकते कि ये सारे बाहरी सुधार और फेरबदल मनुष्य की भीतरी प्रकृति को छू भी नहीं पाते, और अन्तत: सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि सारे विज्ञान और तकनीक के साथ क्या मनुष्य ज़िम्मेदारी उठाने के लिए सक्षम है या नहीं ?

    – इसी पुस्तक से

    Buy This Book Instantly thru RazorPay
    (15% + 5% Extra Discount Included)

    Kindle E-Book Also Available
    Available on Amazon Kindle

    213.00250.00

Customer Reviews

0.0
0 reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Lekhak Ka Dayitwa By S. H. Vatsyayan ‘ajneya’”