-10%

Mozel – Saadat Hassan Manto

Original price was: ₹170.00.Current price is: ₹153.00.

मोज़ेल – मंटो की चयनित कहानियाँ।…
सआदत हसन मंटो


कथा संचयन वह बहैसिय्यते-इन्सान एक महबूब शख्सिय्यत का मालिक था और बहैसिय्यते-फ़नकार सदाक़त (सच्चाई) का अलमबरदार था।

– अहमद नदीम कासमी (पाकिस्तान)

मण्टो हमारा सब से बड़ा अफ़सानानिगार था। यह मुबालगा (अतिशयोक्ति) नहीं अगर मैं यह कहूँ कि मण्टो हमारा मोपासां है।

– मुक्ताज शीरीं (पाकिस्तान)

वह मण्टो उर्दू अदब का अकेला शंकर है जिसने ज़िन्दगी के जहर को खुद घोल कर पिया है और फिर उस के रंग को खोल खोल कर बयान किया है।

– कृश्नचन्दर

हक़ीक़त निगारी (यथार्थ वर्णन) तख़य्युल (कल्पना) का बुनियादी अमल है। मण्टो इस मामले में बेमिसाल है।

– वारिस अल्वी

मण्टो अव्वल व आख़िर एक बाग़ी था। वह हर शय जिसे DOXA या रूढ़ि कहा जाता है मण्टो उन सब का दुश्मन था।

– गोपीचन्द नारंग

मण्टो तो पैदा ही मरने के बाद हुआ। 

– इस्मत चुरताई


Order in 1 Click using RazorPay Button

In stock

Wishlist

Description

मोज़ेल

About the Author:

सआदत हसन मण्टो का जन्म 11 मई, 1912 को समराला ज़िला धियाना में हुआ। बैरिस्टरों का परिवार था। पिता मियां ग़लाम हसन जज थे। माता का नाम सरदार बेगम था। कश्मीरी मूल के मण्टो की प्रारम्भिक शिक्षा अमृतसर के मुस्लिम हाई स्कूल में हुई। फिर हिन्दजया कॉलेज और अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में, जहाँ से तपेदिक की बीमारी की आशंका में निकाल दिये गये। पत्नी का नाम सफ़ीया था। तीन बेटियाँ और एक बेटा, जिस का बचपन ही में देहान्त हो गया। पहला कहानीसंग्रह आतिशपारे (1936) था। रूसी और फ्रांसीसी साहित्य का उर्दू में अनुवाद किया। पत्रकारिता की, रेडियो फ़ीचर और फ़िल्म-लेखन किया। विभाजन के बाद 1948 में पाकिस्तान चले गये। 18 जनवरी, 1955 को लाहौर में देहावसान हुआ। मण्टो अपनी साफगोई और बेबाकी के कारण चर्चित भी रहे और विवादास्पद भी। अविभाजित और विभाजित भारत में उन की कहानियों पर क़ानूनी कार्यवाहियाँ हुईं। काली शलवार, ठण्डा गोश्त, बू, धुआँ, खोल दो आदि के लिये उन्हें अदालतों के चक्कर लगाने पड़े। उन पर अश्लील लेखक का इल्ज़ाम लगा तो प्रगतिशील लेखकों ने उन्हें प्रातक्रियावादी घोषित कर दिया। मण्टो ने इसे अदब बाहर करने की संज्ञा दी। मण्टो में सर्जनात्मक समर्पण था। उन का कहना था, मैं अफ़साना का लिखता, हक़ीक़त यह है कि अफ़साना मझे लिखता है। उन का विचार था कि दनिया को समझाना नहीं चाहिये, उस को ख़ुद समझना चाहिये। कहानी ह, वरना एक बहुत बड़ी बेअदबी है। मण्टो की प्रासंगिकता का रहस्य इस बात में भी है कि उन्होंने समाज में साधारण समझे जाने वाले लोगों की असाधारण मूल्य-निष्ठा को अपने कथा-कौशल से उजागर किया है।

Additional information

ISBN

8187482559

Author

Saadat Hassan Manto

Binding

Paperback

Pages

208

Publication date

2025

Imprint

Vagdevi

Language

Hindi

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Mozel – Saadat Hassan Manto”

You may also like…

0
YOUR CART
  • No products in the cart.