Prerak Sansmaran By Ratanchand Jain

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संस्मरण स्मृतियों की एक असमाप्य प्रक्रिया है। सनातनता का गुण ही उसे संस्कृति बनाये रखना चाहता है। अतः संस्कृति का हर कालखण्ड इस चेतना से भरा रहता है कि वह अपने समय से निरन्तर गतिमान रहते हुए कुछ नया रचे। इसी सन्दर्भ में संस्मरण संस्कृति का एक अनिवार्य अंग है।

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संस्मरण स्मृतियों की एक असमाप्य प्रक्रिया है। सनातनता का गुण ही उसे संस्कृति बनाये रखना चाहता है। अतः संस्कृति का हर कालखण्ड इस चेतना से भरा रहता है कि वह अपने समय से निरन्तर गतिमान रहते हुए कुछ नया रचे। इसी सन्दर्भ में संस्मरण संस्कृति का एक अनिवार्य अंग है। संस्मरण स्मृति के विशाल जल-कुण्ड से निकली एक ऐसी मणि है जिसकी चमक से विगत समय के उजले-अँधेरे पक्षों से परिचित हो सकते हैं। हर समय का लेखक अपने काल में विगत की कही अनकही घटनाओं को लेकर अपने संस्मरण लिखता है। अपने समय के वर्तमान को सँवारने तथा बेहतर भविष्य की कल्पना करता है। संस्मरण निजी व सामूहिक जीवन को सँवारने के पायदान । वे प्रकाश स्तम्भ हैं। हर संवेदनशील लेखक की यह विवशता होती है कि वह गुजरे जमाने को देखे, समझे और परखे। इस प्रक्रिया में उसका स्व-अनुभव, परा-अनुभव तथा स्वाध्याय सहायक होते हैं। कुछ उसके अपने अनुभव होते हैं तो कुछ अनुभव के अनुभव होते हैं। संस्मरण स्मृतियों के इन अनुभवों का समुच्चय होता है।

About the Author:

रतनचन्द जैन जन्म अक्टूबर 1939, श्रीडूंगरगढ़ (राजस्थान ) । स्कूली पढ़ाई के बीच में ही नयी सोच के सुधारकों की संगत में औपचारिक शिक्षा सरिता, आचार आदि पत्रिकाओं में समाज-सुधार के पक्ष में और रूढ़ियों के विरोध में लेखन। पत्रकारिता एवं सामाजिक संस्थाओं से जुड़ाव ! कोलकाता के सामाजिक क्रान्ति के प्रणेता एवं स्वतन्त्रता सेनानी भंवरमल सिंघी, वाराणसी से प्रकाशित धार्मिक क्रान्ति के मुखपत्र आचार के प्रणेता शरद कुमार साधक, ब्रिटेन निवासी गांधीवादी एवं Resurgence के सम्पादक सतीश कुमार, बीकानेर के दार्शनिक-चिन्तक डॉ. छगन मोहता तथा जनकवि हरीश भादानी के सान्निध्य और वातायन त्रैमासिक की बैठकों में नियमित विचार-विमर्श से उपजे पोथी-प्रेम के परिणामस्वरूप विचार संग्रह एवं अध्ययन प्रवृत्ति से आत्मिक जुड़ाव । सर्जना प्रेरक सूक्तियाँ, सर्जना प्रेरक प्रसंग, धर्म का प्रतिपक्ष और बुद्धि की प्रयोगशाला – नास्तिकता नामक संकलित- सम्पादित पुस्तकें प्रकाशित।

SKU: prerak-sansmaran
Category:
ISBN

9789380441795

Author

RATANCHAND JAIN

Binding

Paperback

Pages

304

Publication date

25-02-2023

Imprint

Setu Prakashan

Language

Hindi

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