Waqt Ki Gulel By Ramesh Prajapati
₹222.00₹260.00
वक़्त की गुलेल रमेश प्रजापति का पाँचवाँ कविता-संग्रह है। समय-समाज कैसा भी रहे-एक कवि की पकड़ हमेशा अपने समाज पर बनी रहती है। वह शोषण के विरुद्ध एवं समानता, न्याय और जन-संघर्ष के साथ खड़ा रहता है। रमेश जी की कविताएँ इसी प्रतिबद्धता को दर्ज करती हैं।
In stock
वक़्त की गुलेल रमेश प्रजापति का पाँचवाँ कविता-संग्रह है। समय-समाज कैसा भी रहे-एक कवि की पकड़ हमेशा अपने समाज पर बनी रहती है। वह शोषण के विरुद्ध एवं समानता, न्याय और जन-संघर्ष के साथ खड़ा रहता है। रमेश जी की कविताएँ इसी प्रतिबद्धता को दर्ज करती हैं। स्त्री पर अत्याचार और हिंसा, मज़दूर वर्ग का शोषण, इस सब का प्रतिकार, मध्यम वर्ग की बेचैनी और छटपटाहट इनकी कविताओं के प्राण तत्त्व हैं । वैश्वीकरण के इस दौर में पूँजीवाद ने समाज को उपभोक्तावादी बनाकर उसकी संवेदनाओं का अपहरण कर लिया है और हमारे जल, जंगल, ज़मीन को बाज़ार का उत्पाद बनाकर पर्यावरण का संकट पैदा किया है। साम्प्रदायिकता का कोढ़ समाज को लगातार खोखला करता जा रहा है जिसके तहत एक समुदाय के ख़िलाफ़ नफ़रत पैदा की जा रही है। ये प्रश्न इस संग्रह में बार-बार उठाये गये हैं।
About the Author:
जन्म : 02 जून गाँव सोरम, मुजफरनगर, उत्तर प्रदेश। शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी, संस्कृत), पी-एच.डी. प्रकाशित कविता संग्रह- 1. पूरा हँसता चेहरा (2006) 2. शून्यकाल में बजता झुनझुना (2015) 3. भीतर का देश (2021) 4. समकाल की आवाज़ – चयनित कविताएँ (2022) 5. वक़्त की गुलेल (2023) अनुवाद: कुछ कविताएँ अँग्रेजी और चाइनीज़, के साथ-साथ उर्दू, बांग्ला, मराठी, गुजराती, मलयालम, भोजपुरी आदि भारतीय भाषाओं में भी अनूदित एवं प्रकाशित । अन्य : विविध पत्र-पत्रिकाओं में कहानी, लघुकथाएँ और आलोचनात्मक आलेख प्रकाशित । सम्मान / पुरस्कार : मलखान सिंह सिसौदिया पुरस्कार, अलीगढ़ (2015); शिक्षक साहित्यकार सम्मान, लखनऊ (2015)। सम्प्रति : शिक्षा निदेशालय, दिल्ली सरकार में कार्यरत ।
ISBN | 9788196213886 |
---|---|
Author | Ramesh Prajapati |
Binding | Paperback |
Pages | 136 |
Publication date | 25-02-2023 |
Imprint | Setu Prakashan |
Language | Hindi |
Customer Reviews
There are no reviews yet.
You may also like…
-
Prem Ke Paksh Mein Prarthana By Kundan Siddhartha
कुंदन सिद्धार्थ की कविता कम शब्दों में अपने तरक़्क़ीपसन्द मन्तव्यों की स्पष्ट, मार्मिक एवं सार्थक अभिव्यक्ति है। इन कविताओं के मूल में मानवीय संवेदन और उपचार में मानवीय सरोकार हैं। कवि के इस पहले संग्रह का हिन्दी जगत् में इसलिए भी स्वागत किया जाना चाहिए क्योंकि ये कविताएँ वे आँखें हैं जो जितना देखती हैं उससे कहीं अधिक हैं।
Buy This Book with 1 Click Via RazorPay (15% + 5% discount Included)
₹250.00 -
Samay Ka Pul By Sanjay Shandilya
“तुमने दिया है ऐसा विस्तार कि कहीं भी महसूस किया जा सकता है मुझे
दी है ऐसी गहराई कि कहीं तक डूबा जा सकता है मुझमें
और ऐसी उदारता कि कुछ भी माँग लिया जा सकता है मुझसे
तुमने दिया ही है इतना सारा- कि लगता है मैं ही आकाश हूँ समन्दर हूँ, हवा और धरती हूँ सूरज और चाँद और सितारा…
– इसी पुस्तक से”₹250.00 -
Bhasha Mein Nhi By Sapna Bhatt
सपना भट्ट की कविताओं से गुजरते हुए वाल्टर पीटर होराशियो का यह कथन कि ‘All art constantly aspires towards the condition of music’ बराबर याद आता है। समकालीन कविता में ऐसी संगीतात्मकता बिरले ही दिखाई पड़ती है। यह कविताएँ एक मद्धम सिम्फनी की तरह शुरू होती हैं, अन्तर्निहित संगीत और भाषा का सुन्दर वितान रचती हैं और संगीत की ही तरह कवि मन के अनन्त मौन में तिरोहित हो जाती हैं। पूरे काव्य में ध्वनि, चित्र, संकोच, करुणा, विनय और ठोस सच्चाइयाँ ऐसे विन्यस्त कि कुछ भी अतिरिक्त नहीं। यह कविताएँ ठण्डे पर्वतों और उपत्यकाओं के असीमित एकान्त के बीच से जैसे तैरती हुई हमारी ओर आती हैं। इन सुन्दर कविताओं में कामनाहीन प्रेम की पुकारें, रुदन, वृक्षों से झरती पत्तियाँ और इन सब कुछ पर निरन्तर गिरती बर्फ जैसे अनगिनत विम्ब ऐसे घुले मिले हैं कि चित्र और राग संगीत, एकसाथ कविताओं से पाठक के मन में कब चले आते हैं पता ही नहीं चलता। यह कविताएँ किस पल आपको अपने भीतर लेकर बदल देती हैं यह जानना लगभग असम्भव है।
Buy This Book with 1 Click Via RazorPay (15% + 5% discount Included)
₹275.00 -
Ladki Aur Chinar Ki Prem Katha By Asiya Zahoor
इस संग्रह की कविताओं में वह सघन संवेदना और बौद्धिक बेचैनी है, जिसके माध्यम से आसिया जहूर कई स्तरों पर दुख और दमन को देखती और महसूस करती हैं। समय का दुख, समाज का दुख, और सबसे ऊपर स्त्री का दुख। लेकिन, उनकी कविता दुखों और संघर्षों की सहज अभिव्यक्ति मात्र नहीं है, वह मिथक, इतिहास, संस्कृति और लोकजीवन में गहरे प्रवेश करते हुए अपने दुख को महाकरुणा में रूपान्तरित कर देती है। वह करुणा ही है जो बुद्ध और यीशु के कई बार साधारण से लगने वाले शब्दों में भी असाधारण प्रभाव पैदा कर देती है। एक अच्छी कविता में जीवन की अभिप्रेरक अभिव्यक्ति तो होती है, लेकिन करुणा का ऐसा विस्तार दुर्लभ है। निस्सन्देह आसिया जहूर हमारे समय की एक अनोखी कवयित्री हैं। नये मिलेनियम की मेड्यूसा हैं, जो अपनी विवशता को शक्ति में बदल देती है, नये युग
की जुलेखा, जो फ़रिश्ते जिब्राईल के सामने सौदे से इनकार कर देती है। ‘युवा लड़की और वृद्ध चिनार की प्रेम कथा’ एक अद्भुत प्रेम कविता है। चिनार कश्मीर की प्रकृति और संस्कृति का मूर्त रूप है, जो एक युवा लड़की यानी, आज के समय की जूनी अर्थात् हब्बा ख़ातून से प्रेम कर रहा है। प्रेम का यह विस्तार उसी करुणा तक पहुँचता है, जो आसिया की कविता के केन्द्र में है।वह समय के संकट को व्यक्त करने के लिए हर बार मिथकों या पुराकथाओं का सहारा ही नहीं लेती बल्कि, कई बार क्रूर सच से सीधे टकराती है। लेकिन, यह याद रखते हुए कि कविता अन्ततः एक कला है। मेरी दादी बुनती थी…, गहन सैन्यीकृत क्षेत्र में… और मेरी बेटी के लिए… जैसी कविताओं में अतीत, वर्तमान और भविष्य (सम्भावित) के दमन और क्रूरता की अभिव्यंजना के बीच प्रतिरोध की वह ऊँचाई है, जिसके सामने बड़ा से बड़ा अत्याचारी शासक भी बौना दीखने लगता है। यह है कविता की ताक़त !– मदन कश्यप
Buy This Book Instantly thru RazorPay (15% + 5% extra discount)₹150.00
Be the first to review “Waqt Ki Gulel By Ramesh Prajapati”
You must be logged in to post a review.