Prarthana Samay By Pradeep Jilwane

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Prarthana Samay By Pradeep Jilwane

सबसे पहले शीर्षक कहानी ‘प्रार्थना समय’ पर बात लाजिमी लगती है, एक मुलायम रेशमी धागों से बुनती हुई यह कहानी आगे बढ़ती है कि एक अचानक एक चिंगारी उड़ती हुई आती है, कहानी के नायक के हाथ दुआ में उठे हैं कि काश चिंगारी इन रेशमी धागों तक न पहुंचे, कितनी जल्दी आग पकड़ लेते हैं न ये! कितनी जल्दी बदल जाती है यह दुनिया या कोई बुरी ताकत है, जो लगातार सक्रिय है इस दुनिया को खराब दुनिया में तब्दील करने में… आदमजात की हत्या करने में।

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सबसे पहले शीर्षक कहानी ‘प्रार्थना समय’ पर बात लाजिमी लगती है, एक मुलायम रेशमी धागों से बुनती हुई यह कहानी आगे बढ़ती है कि एक अचानक एक चिंगारी उड़ती हुई आती है, कहानी के नायक के हाथ दुआ में उठे हैं कि काश चिंगारी इन रेशमी धागों तक न पहुंचे, कितनी जल्दी आग पकड़ लेते हैं न ये! कितनी जल्दी बदल जाती है यह दुनिया या कोई बुरी ताकत है, जो लगातार सक्रिय है इस दुनिया को खराब दुनिया में तब्दील करने में… आदमजात की हत्या करने में।

About the Author:

जन्म : 14 जून 1978, खरगोन (म.प्र.) में। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से एम.ए. हिंदी साहित्य (विश्वविद्यालय की प्रावीण्य सूची में स्थान), अनुवाद में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, पीजीडीसीए। फिलहाल म.प्र. ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण में कार्यरत। एक कविता संग्रह ‘जहाँ भी हो जरा-सी संभावना’ एवं इसी कविता संग्रह की पांडुलिपि पर भारतीय ज्ञानपीठ का नवलेखन पुरस्कार 2011 एवं साथ ही म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मेलन का प्रतिष्ठित ‘वागीश्वरी’ सम्मान प्राप्त। पहला उपन्यास ‘आठवाँ रंग/पहाड़-गाथा’, पहला कहानी संग्रह ‘प्रार्थना समय’। इसके अतिरिक्त आधा दर्जन से अधिक अन्य महत्त्वपूर्ण रचना संकलनों में रचनाएँ शामिल। गद्य एवं पद्य दोनों में समान लेखन। हिंदी साहित्य की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ एवं कविताएँ प्रकाशित, पुरस्कृत एवं चर्चित। रचनाओं का भारतीय भाषाओं यथा मराठी, तेलुगु में अनुवाद प्रकाशित। स्थानीय और लोकप्रिय पत्रों में सांस्कृतिक एवं समसामयिक विषयों पर आलेख प्रकाशित । ब्लॉग लेखन में भी सक्रिय।

ISBN

9788194047025

Author

Pradeep Jilwane

Binding

Hardcover

Pages

152

Publisher

Setu Prakashan Samuh

Imprint

Setu Prakashan

Language

Hindi

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