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  • Inshallah By Abhiram Bhadkamkar

    मुस्लिम समाज की तरफ देखने के आज तक के सारे एक तरफा और दुराग्रही दृष्टिकोण को नकारते हुए, स्पष्ट भाषा में, बेबाक वास्तव का चित्रण कराने वाले इस उपन्यास ने विचार के स्तर पर एक नये मन्थन का आरम्भ किया है।

    यह उपन्यास मुस्लिम समाज की आज की स्थिति और बहुसंख्यकों के साथ के उनके जटिल रिश्तों का भी विमर्श प्रस्तुत करता है।

    मुस्लिम समाज में व्याप्त धार्मिक संकीर्णता, रूढ़िवादिता, परम्परा और उनकी कर्मठता पर भाष्य करते हुए इस समाज को वोट बैंक बनाकर रखने और इस्तेमाल करने की राजनीतिक मानसिकता को भी आड़े हाथ लेता है।

    361.00425.00
  • Aangan By Khadeeja Mastoor

    उर्दू के प्रसिद्ध आलोचक उस्लूब अहमद अंसारी इस उपन्यास की गिनती उर्दू के 15
    श्रेष्ठ उपन्यासों में करते हैं जबकि शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी का कहना है कि इस नॉवेल
    पर अब तक जितनी तवज्जो दी गयी है वो इससे ज्यादा का मुस्तहिक़ है। भारत
    विभाजन के विषय पर यह बहुत ही सन्तुलित उपन्यास अपनी मिसाल आप है।

    276.00325.00
  • Shivling Calling by Kundan Jagdish Sahu

    हिन्दी में ऐसे आख्यान गिने-चुने ही होंगे जिन्हें हम किसी साहसिक अभियान की कथा कह सकें। इस लिहाज से कुंदन जगदीश साहू की यह कृति खासी उल्लेखनीय है। काफी पठनीय भी। लेखक के मुताबिक शिवलिंग कॉलिंग की कहानी उन्होंने मूल रूप में उत्तराखण्ड में एक होटल के एक रूमबॉय से सुनी थी जिसमें काल्पनिक अंश जोड़कर उन्होंने यह वृत्तान्त रचा। रूमबॉय वाली बात क्या पता कथा कहने का बहाना भी हो सकती है। जो हो, यह रचना लेखक की अपनी कल्पनाशीलता और रचनात्मक उद्यम की देन है। लेखक ने खुद कहा है, इसमें जिस साहसिक अभियान का वर्णन है वह पूरी तरह काल्पनिक है।

    339.00399.00
  • Humnawai Na Thi by Tasneem Khan

    हमनवाई न थी शुरू से आखीर तक एक प्रेम कथा
    है। लेकिन तसनीम खान के इस उपन्यास को ढेर
    सारी प्रेम कथाओं की कतार में नहीं रखा जा सकता।
    क्योंकि यह निरी प्रेम कथा नहीं है, हमारे समकाल में
    छाये एक ख़ौफ का ख़ामोश प्रतिकार भी है। इस प्रेम
    कथा में प्रेमी हिन्दू है और प्रेमिका मुस्लिम । प्रेमी
    यानी शिवेन और प्रेमिका यानी सनम उस्मानी का
    प्यार कालेज के दिनों में परस्पर आकर्षण से शुरू
    होता है और फेसबुक तथा वाट्सऐप के जरिए परवान
    चढ़ता है।

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    276.00325.00
  • Siraj-E-Dil Jaunpur

    सिराज-ए-दिल जौनपुर हिन्दी में गद्य की एक अभिनव और अनूठी पुस्तक है।

    जिसमें संस्मरण और स्मृति आख्यान से लेकर ललित निबन्ध तक, गद्य की विविध मनोहारी छटाएँ हैं। ऐसे समय जब मान लिया गया है कि ललित निबन्ध की धारा सूख चुकी है, अमित श्रीवास्तव की यह किताब न सिर्फ़ ऐसी धारणा का प्रत्याख्यान है बल्कि उस धारा को नये इलाक़ों में भी ले जाती है। यों तो इस पुस्तक में संकलित ज्यादातर निबन्धों या स्मृति आख्यानों के केन्द्र में पूर्वी उत्तर प्रदेश का एक शहर जौनपुर है लेकिन लेखक ने जो रचा है वह सतही वृत्तान्त या विवरणात्मक ज्ञान के सहारे नहीं रचा जा सकता। इस रचाव के लिए बहुत कुछ विरल चाहिए: इतिहास के कोने-अन्तरे तक पहुँच, भूले-बिसरे नायकों की पहचान और उनके अवदान का ज्ञान, इतिहास और साहित्य से लेकर विज्ञान तक में रुचि, स्थानीय जीवन के रंग और विश्वबोध, आदि। इस पुस्तक को पढ़ते हुए किसी को भी हैरानी होगी कि स्थानीय खान-पान और रीति-रिवाज और गली- मोहल्लों के बारे में जिस रोचकता से स्मृति आख्यान लिखे गये हैं उसी तरह से इतिहास में गुम किरदारों और ज्ञान-विज्ञान से जुड़े प्रसंगों के बारे में भी। चाहे जौनपुर के हिन्दी भवन के बारे में लिखा गया स्मृति आख्यान हो, चाहे किसी अल्पज्ञात शख्सियत के योगदान के बारे में, चाहे साहित्य या इतिहास का कोई मसला हो, चाहे कैथी लिपि के चलन से बाहर हो जाने की पड़ताल, आप समान चाव से पढ़ सकते हैं। इन सबसे लेखक का बहुश्श्रुत और बहुपठित व्यक्तित्व उभरता है। इस पुस्तक में संकलित कई निबन्धों के मद्देनजर यह कहा जा सकता है कि ऐसा रसप्रद और खिलन्दड़ा गद्य कहीं और मुश्किल से मिलेगा। ऐसा गद्य लिखते हुए लेखक ने कई जगह नये शब्द भी रचे हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस पुस्तक में संकलित कथेतर गद्य की अभिनवता और अनूठेपन को अलक्षित नहीं किया जाएगा।

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  • Vichaar Ki Sugandh – Ashok Vajpayi par Ekagra By Mahavir Agarwal

    मैंने अब तक जिन दुर्लभ मनीषियों से ‘इण्टरव्यू’ लिये हैं उनमें से एक हैं, कवि-आलोचक अशोक वाजपेयी । अशोकजी के अनगिनत चाहने वालों में मैं भी उनका एक मुग्ध प्रशंसक हूँ। पुस्तक में चुने हुए ग्यारह संवाद सम्मिलित हैं। इन संवादों के झरोखे से अशोकजी के अन्तर्मन को समझने की कोशिश हुई है।

    संस्कृतिकर्मी अशोक वाजपेयी के बहुआयामी व्यक्तित्व को जानने की चाह के चलते कथाकार कृष्णा सोबती के साथ-साथ ललित सुरजन, रमेश नैयर और विनोद शाही से छबि-संग्रह, साहित्यिक पत्रकारिता, वक्तृत्व कला पर आमने-सामने बैठकर ‘साक्षात्कार’ लेने का सुयोग मुझे मिला। विश्व कविता समारोह, कई कला प्रदर्शनियों और शानदार नाटकों के मंचन सहित भारत भवन में आयोजित होने वाली अनेकानेक विचार गोष्ठियाँ अप्रतिम रही हैं।
    254.00299.00
  • Books By Dr. Piyush Daiya

    Books By Dr. Piyush Daiya

    • Sanchyita By Haku Shah
    • Marg Madarzaad
    • Simit – Simit Jal
    • Kartik Ki Kahani
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  • Tujhse Naraz Nahi Zindagi (Autobiography) By Umakant Shukla

    तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी …
    एक प्रशासक की प्रेरक आत्मकथा – उमाकान्त शुक्ल

    यह आत्मकथा क्यों? क्यों एक प्रशासक, जो सारा जीवन सत्ता के करीब रहा और आयकर विभाग जैसे ताकतवर विभाग में रहा, उसकी आत्मकथा के क्या मायने? उसे लिखना चाहिए भी या नहीं क्योंकि इसके पहले तो उसने कभी कुछ लिखा नहीं। शायद साहित्यिक पुस्तकों को बहुत पढ़ा भी नहीं! लेकिन पुस्तकों को भले ही पर्याह्रश्वत मात्रा में न पढ़ा हो,चेहरों को सारा जीवन पढ़ा है और चेहरे भाषा के सबसे विश्वसनीय आधार हुआ करते हैं। चेहरे कई बार सक्वबन्धों के बनते-बिगड़ते आधार की पहचान करते हैं या यह भी कह सकते हैं कि सक्वबन्धों की वास्तविक पहचान के लिए चेहरों की भाषा का अध्ययन बहुत जरूरी होता है। (इसी पुस्तक से )

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    SWARMUDRA 1 & 2 (SET) – ASHOK VAJPEYI
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    VAA GHAR SABSE NYAARA – Dhruva shukla

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  • Ashok Vajpayee Books Combo

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  • Madan Kashyap Books Combo

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