Books By Dr. Piyush Daiya

120.00675.00

Books By Dr. Piyush Daiya

  • Sanchyita By Haku Shah
  • Marg Madarzaad
  • Simit – Simit Jal
  • Kartik Ki Kahani
675.00900.00

In stock

120.00

In stock

Read more 196.00230.00

Out of stock

136.00160.00

In stock

You may also like…

  • Kaal Ke Kapal Par Hastakshar : Harishankar Parsai Ki Pramanik Jeevani

    इस जीवनी में परसाई के अलक्षित जीवन प्रसंगों को पढ़ना रोमांचकारी है। इसमें लक्षित परसाई से कहीं अधिक अलक्षित परसाई हैं जिन्हें जाने बिना वह चरितव्य समझ नहीं आएगा, जो परसाई के मनुष्य और लेखक को एपिकल बनाता है। जीवनी जीवन चरित है। ये गद्य और पद्य दोनों में लिखी गयी हैं। संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश में जीवनीपरक साहित्य का इतिहास उपलब्ध है। यूरोप में विलियम रोपर ने ब्रिटिश राजनीतिज्ञ सर थामस मूर की जीवनी 1626 में लिखकर इस विधा की शुरुआत की । भारतेन्दु, हाली, बालमुकुन्द गुप्त, शिवपूजन सहाय से लेकर अमृत राय, रामविलास शर्मा, विष्णु प्रभाकर, शरद दत्त के आगे तक जीवनीकारों की एक समृद्ध परम्परा दृश्य में है। कह सकते हैं परसाई की जीवनी को इस क्रम में शुमार किया जा सकता है। यह आज़ादी के पूर्व और बाद का सृजनात्मक इतिहास है और परसाई की भूमिका और अवदान पर यह कृति समावेशी रोशनी डालती है। – लीलाधर मंडलोई


    Buy This Book Instantly Using Razorpay


     

    532.00625.00
  • SCINDIA AUR 1857 By Dr. Rakesh Pathak

    Scindia Aur 1857 By Dr. Rakesh Pathak

     

     

    Kindle E-Book Also Available
    Available on Amazon Kindle

    255.00300.00
  • O Ree Kathputli By Anju Sharma

    O Ri Kathputli – Anju Sharma
    ओ री कठपुतली अंजू शर्मा द्वारा लिखित उपन्यास है।

    ओ री कठपुतली अपने परिवेश और प्रभाव, कथावस्तु और रचाव, हर लिहाज से एक बेहतरीन उपन्यास है। महानगर के अभिजात और मध्यवर्ग से लेकर झुग्गी बस्ती तक के जीवन पर कहानियाँ और उपन्यास लिखे गये हैं लेकिन आय के इस उपन्यास के पात्र और परिवेश काफी विरल हैं। यह उपन्यास एक ऐसी बस्ती की कहानी है, जो लोक कलाकारों ने बसायी है। कठपुतली नचाने, मदारी का खेल दिखाने, दीवार पर पेंटिंग करने से लेकर नट, बाजीगर, तरह-तरह के करतब व तमाशे दिखाने वाले लोक कलाकार इस बस्ती में रहते हैं। यों कठपुतली कालोनी नाम की यह बस्ती भी, नागरिक सुविधाओं की किल्लत के कारण, स्लम जैसी ही है लेकिन तरह-तरह के लोक कलाकारों की रिहाइश इसे विशिष्ट बना देती है। एक पत्रिका के लिए कवर स्टोरी लिखने के क्रम में कथानायिका का यहाँ प्रवेश होता है और फिर पाठक के सामने एक ऐसी दुनिया परत-दर-परत खुलती जाती है जहाँ जिंदगी ज्यादा बहुरंगी है, ज्यादा दिलचस्प भी। पर उतनी ही दारुण भी, जितनी एक झुग्गी बस्ती में होती है। तरह-तरह के हुनरमन्द यहाँ रहते हैं और घूम-घूमकर देश की राजधानी में रोज कहीं न कहीं अपने हुनर का प्रदर्शन करते हैं लेकिन उनका हुनर उन्हें दो जून रोटी की गारण्टी नहीं दे पाता। यह उपन्यास उनके विस्थापन का भी दर्द समेटे हुए है। 

    298.00350.00
  • Kisse Cycle ke By Seeraj Saxena

    Kisse Cycle ke By Seeraj Saxena
    ’क़िस्से साइकिल के’ – सीरज सक्सेना

    ‘किस्से साइकिल के’ : साइकिल हमें एक जिम्मेदार नागरिक बनाती है

    629.00699.00