Ashok Vajpeyee Rachnawali – 13 Volume Set
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अशोक वाजपेयी कई अर्थों में हिन्दी के विलक्षण साहित्यकार हैं। उन्होंने भारतीय भाषाओं (विशेष रूप से हिन्दी), कलाओं, संस्थाओं को भारतीय आधुनिकता और परम्परा के गहरे बोध से सम्पन्न किया है। इनका नवाचारी व्यक्तित्व इन सारे सन्दर्भों में द्रष्टव्य होता है। सम्भवतः इसीलिए अर्जुन सिंह ने इन्हें कहा था-” आप विनम्र आरम्भ में नहीं झंझावाती शुरुआत में यकीन करते हैं।”
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Ashok Vajpeyee Rachnawali – 13 Volume Set
Author | Ashok Vajpeyee |
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Binding | Paperback |
Language | Hindi |
ISBN | 978-93-92228-59-9 |
Publisher | Setu Prakashan Samuh |
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समय के सामने – अशोक वाजपेयी
SAMAY KE SAMANE By Ashok Vajpeyi
Apna Samay Nahin By Ashok Vajpeyi
अपने को लिखना और अपने समय को लिखना वैसे तो दो अलग-अलग काम हैं; पर कविता में वे अक्सर घुल-मिल जाते हैं : अपने को बिना अपने समय के लिखना मुमकिन नहीं होता और अपने समय को लिखना बिना अपने को लिखे हो नहीं पाता।
APNE SAMAY MEIN By Ashok Vajpeyi
अपने समय में – अशोक वाजपेयी
Samay Ke Ird Gird By Ashok Vajpeyi
समय के इर्द-गिर्द = अशोक वाजपेयी
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