Description
SAWAL TO HONGE HI (Poem)
by Asangghosh
लेकिन मैं रोज-रोज दौड़ता रहूँगा
स्याह सड़क पर
खिलाफत का झण्डा उठाये
तुम्हारी नफरतों से लड़ने
इससे पहले
कि पिछले दरवाजे से भाग खड़े हो तुम तुम्हारी श्रेष्ठता को नेस्तनाबूद कर
तुम्हें अपराधियों के झुण्ड में धकेलने अपने हाथों में पकड़ा झण्डा कमानियों की छत पर गड़े डण्डे पर टाँक दूँगा और वहीं से फोड़ेंगा
तुम्हारे फलते-फूलते
अक्षम्य अपराधों का घड़ा।
– इसी पुस्तक से
About the Author
असंगघोष
जन्म : 29 अक्टूबर 1962, जावद, मध्य प्रदेश ।
शिक्षा: बी.कॉम., एम.ए. (इतिहास) प्राविण्य सूची में प्रथम स्थान एवं स्वर्ण पदक प्राप्त। एम.ए. (ग्रामीण विकास), एम.ए. (हिन्दी), एम.बी.ए. (मानव संसाधन), पी-एच.डी. ।
प्रकाशन : हिन्दी साहित्य की दलित धारा में लेखन
कार्य, ‘खामोश नहीं हूँ मैं’, ‘हम गवाही देंगे’, ‘मैं दूँगा माकूल जवाब’, सहित अब तक 10 कविता संग्रह प्रकाशित।
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ एवं कहानियाँ प्रकाशित तथा कई भाषाओं में कविताएँ अनूदित।
सम्पादन : ‘मलय रचनावली’ के तीन सम्पादकों में से एक।
पुरस्कार : म. प्र. दलित साहित्य अकादमी, उज्जैन द्वारा 2002 में पुरस्कृत। कई अन्य सम्मान भी प्राप्त।
सम्प्रति : स्वतन्त्र लेखन।
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