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SAWAL TO HONGE HI (Poem) by Asangghosh

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सवाल तो होंगे ही – असंगयोष


वरिष्ठ कवि असंगघोष का यह 11वाँ कविता संग्रह है। उनके पिछले कविता संग्रह उनके दाहक अनुभवों के समुच्चय हैं। प्रस्तुत कविता संग्रह ‘सवाल तो होंगे ही’ नये प्रतीकों, नये शिल्प और प्रमाणित कथ्यों से परिपूर्ण है। कवि जीवन में इतनी नफरत, भेदभाव से झुलसा दिया गया है कि उनके शब्द-शब्द से चिंगारियाँ सी फूटती दिखाई देती हैं। कुछ जाति जमात वालों के झूठे/खोखले श्रेष्ठता बोध के तले उनकी अस्मिता जैसे बार-बार रौंदी गयी है जो उनकी अधिकांश कविताओं में मुखरित हुई है। लेकिन इतनी बेतहाशा खराशें जो उनके अति संवेदनशील मन पर पड़ी है उनमें उनके द्वारा वर्णित प्रकृति के कोमल और सुन्दर दृश्य एक ‘बाम’ का काम करते हैं। उदाहरणस्वरूप नदी (जो अविरल बहती जीवनधारा का प्रतीक है) पर उनकी छह कविताएँ हैं। साथ-साथ पहाड़, पेड़-पौधे, उनमें बसेरा करने वाले पक्षी आदि प्रतीकों के प्रचुर चित्र उकेरे गये हैं। जो बहुत सुकून और शान्ति से भर देते हैं। लेकिन यह चन्द घड़ियों तक है। ऐसे वर्तमान कठिन समय में जब हमारी हर साँस पर सख्त पहरे बिठाये गये हैं; जब एक आतंक सा छाया हुआ है; व्यवस्था में भेदभाव, सन्त्रास और विद्रूपता क्यों व्याप्त है’ सवाल तो होंगे ही’।

                                                                                      – शिवनाथ चौधरी ‘आलम’


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Description

SAWAL TO HONGE HI (Poem)
by Asangghosh


 

लेकिन मैं रोज-रोज दौड़ता रहूँगा
स्याह सड़क पर
खिलाफत का झण्डा उठाये
तुम्हारी नफरतों से लड़ने
इससे पहले
कि पिछले दरवाजे से भाग खड़े हो तुम तुम्हारी श्रेष्ठता को नेस्तनाबूद कर
तुम्हें अपराधियों के झुण्ड में धकेलने अपने हाथों में पकड़ा झण्डा कमानियों की छत पर गड़े डण्डे पर टाँक दूँगा और वहीं से फोड़ेंगा
तुम्हारे फलते-फूलते
अक्षम्य अपराधों का घड़ा।
– इसी पुस्तक से


About the Author
असंगघोष

जन्म : 29 अक्टूबर 1962, जावद, मध्य प्रदेश ।
शिक्षा: बी.कॉम., एम.ए. (इतिहास) प्राविण्य सूची में प्रथम स्थान एवं स्वर्ण पदक प्राप्त। एम.ए. (ग्रामीण विकास), एम.ए. (हिन्दी), एम.बी.ए. (मानव संसाधन), पी-एच.डी. ।
प्रकाशन : हिन्दी साहित्य की दलित धारा में लेखन
कार्य, ‘खामोश नहीं हूँ मैं’, ‘हम गवाही देंगे’, ‘मैं दूँगा माकूल जवाब’, सहित अब तक 10 कविता संग्रह प्रकाशित।
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ एवं कहानियाँ प्रकाशित तथा कई भाषाओं में कविताएँ अनूदित।
सम्पादन : ‘मलय रचनावली’ के तीन सम्पादकों में से एक।
पुरस्कार : म. प्र. दलित साहित्य अकादमी, उज्जैन द्वारा 2002 में पुरस्कृत। कई अन्य सम्मान भी प्राप्त।
सम्प्रति : स्वतन्त्र लेखन।

Additional information

Author

Asangghosh

Binding

Paperback

Language

Hindi

ISBN

: 978-93-6201-404-7

Pages

103

Publication date

01-02-2025

Publisher

Setu Prakashan Samuh

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