Tum Tak Hardcover By Buniyad Zaheen
बुनियाद ज़हीन का शे’र कहने का ढंग, उसकी शाइरी की शब्दावली और उसका अन्दाजे बयां दीगर शाइरों से जरा अलग है, जुदा है। उसके शेर पढ़कर सुधी पाठकगण इस बात का बखूबी अन्दाजा लगा सकते हैं कि ये बुनियाद ज़हीन का कलाम है। बुनियाद जहीन ने हालाँकि नज़्में, क़तआत, गीत, सलाम, और मुनाक़िब ख़ूब कही हैं लेकिन बेशतर शाइरों की तरह बुनियाद ज़हीन की शेज्री ता ‘मीर की बुनियाद भी ग़ज़ल है। ग़ज़ल जितनी आसान नजर आने वाली विधा है उतनी ही मुश्किल लेकिन इसका एहसास हर किसी शाइर को नहीं होता है। निहायत ही ख़ुशी का मक़ाम है कि बुनियाद ज़हीन की ग़जल सुधी पाठकों के जहनों पर उम्मीद के दरवाजे खोलती है।
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