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  • Smritiyon Mein Basa Samay – Chandrakumar

    Smritiyon Mein Basa Samay – Chandrakumar

    स्मृतियों में बसा समय – चन्द्र कुमार
    समय गति है, जिससे स्थायी-स्वभाव वाली स्मृति उलझती रहती है। समय और स्मृति के इसी उलझाव- सुलझाव में हमारी पहचान पोशीदा है। अज्ञेय जब कहते हैं कि ‘होना’ और ‘मैं’ दोनों स्मृति में बँधे हैं या ‘स्मरण करना’ ‘होना’ है तो सिलसिला ‘सर्वशास्त्राणं प्रथमं ब्रह्मणां स्मृतम्‌’ तक पहुँचता है। अर्थात्‌ प्राचीनता के साथ नित्य नवीनता तक।
    बहुत सम्भव है चन्द्रकुमार ने इसीलिए स्मृतियों को चुनना पसन्द किया हो। अक्सर/ स्मृतियाँ ही चुनता हूँ/ मैं प्रेमी से ज़्यादा/ कवि बनकर जीता हूँ।

    126.00140.00
  • Nagrik Samaj By Basant Tripathi (Paperback)

    Nagrik Samaj By Basant Tripathi

    नागरिक समाज – बसन्त त्रिपाठी

    158.00175.00
  • Nagrik Samaj By Basant Tripathi

    Nagrik Samaj By Basant Tripathi

    नागरिक समाज – बसन्त त्रिपाठी

    315.00350.00
  • Fir Bhi Kritagya Hai Ped By Nandkishor Aacharaya (Paperback)

    Fir Bhi Kritagya Hai Ped By Nandkishor Aacharaya
    फिर भी कृतज्ञ है पेड़ – नन्दकिशोर आचार्य

    158.00175.00
  • Fir Bhi Kritagya Hai Ped By Nandkishor Aacharaya

    Fir Bhi Kritagya Hai Ped By Nandkishor Aacharaya
    फिर भी कृतज्ञ है पेड़ – नन्दकिशोर आचार्य

    252.00280.00
  • YAH YATRA MERI HAI By Nirmala Todi

    ह यात्रा मेरी है वरिष्ठ कवि और कथाकार निर्मला तोदी का नया कविता संग्रह है। निर्मला जी ने लिखना तो युवा दिनों में ही शुरू किया था। लेकिन जैसा कि पितृसत्तात्मक समाज में होता है, स्त्रियाँ जब गृहस्थी के जंजाल में फँस जाती हैं, तो लम्बे समय के लिए, कभी-कभी तो हमेशा के लिए उनका लेखन अवरुद्ध हो जाता है।

    234.00275.00
  • Jinda Hai To Sadakon Pe Aa By Balli Singh Cheema (Paperback)

    बल्ली चीमा जी एक ऐसे जनकवि हैं जिन्होंने अपने शब्दों से चिंगारियाँ उछालकर मशालें जलायी हैं। ले मशालें चल पड़े हैं- जनगीत सभी आन्दोलनकारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर रहा है। चीमा जी ने एक वर्ष तक किसान आन्दोलन में सक्रिय रहकर दो भूमिकाएँ एकसाथ निभायी हैं

    158.00175.00
  • GEELI MITTI PAR PANJON KE NISHAN By Farid Khan

    यह एक चकित करने वाला तथ्य है कि हिन्दी कविता में प्रस्थान बिन्दु या पैराडाइम शिफ्ट हमेशा हाशिये में प्रकट होने वाली आकस्मिक कविताओं के द्वारा हुआ है। चाहे मुक्तिबोध की कविता अँधेरे में, राजकमल चौधरी की कविता मुक्ति प्रसंग, धूमिल की पटकथा, सौमित्र मोहन की लुकमान अली, आलोकधन्वा की गोली दागो पोस्टर आदि

    221.00260.00
  • NAQSHANAMA By Sarfaraz Alam

    नक़्शानामा ख्यातिलब्ध भूगोलवेत्ता सरफ़राज़ आलम का पहला कविता संग्रह है जो नक़्शे जैसे एक जरूरी किन्तु भूगोल की दृष्टि से चुनौतीपूर्ण विषय पर लिखा गया है। एक विषय पर लिखना वस्तु की दृष्टि से कठिन तो होता ही है, शिल्प की दृष्टि से खतरनाक भी होता है क्योंकि इसमें आवृत्ति दोष का खतरा बना रहता है

    255.00300.00
  • VAH ACCHI JAGAH KAHAN HAI By Subodh Sarkar Trans. By Jaishree Purvar

    बोध सरकार 28 अक्टूबर 1958 को कृष्ण नगर (कोलकाता) में जन्मे सुबोध सरकार के अब तक लगभग 35 संकलन प्रकाशित हो चुके हैं। 2000 में बांग्ला अकादमी पुरस्कार एवं 2013 में द्वैपायन हृदेर धारे के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार प्राप्त किया।

    234.00275.00
  • KISSAGO RO RAHA HAI By Manoj Kumar Jha

    किस्सागो रो रहा है संग्रह की कविताओं में जिन्दगी के छोटे-छोटे दुख हैं, छोटे-छोटे स्वप्न भी। कोई शहीदाना अन्दाज नहीं, कोई दावे नहीं। किसी तरह का कोई बड़बोलापन नहीं। पर इसका यह अर्थ नहीं कि कवि को जगत्- दुख नहीं व्यापता इस संग्रह की कविताओं में जहाँ जीवन के तमाम अभाव झाँकते नजर आएँगे

    213.00250.00
  • SANLAP By Aniruddh Umat

    अनिरुद्ध उमट की कविताएँ पढ़ते हुए मीर तक़ी मीर की इन पंक्तियों का स्मरण हो आता है-ले साँस भी आहिस्ता कि नाजुक है बहुत काम/आफ़ाक़ की इस कारगह-ए-शीशागरी का। सचमुच इस पत्थर की तरह अपारदर्शी, संवेदनहीन संसार में इतनी नजाकत भरी कविताएँ लिखना, खाण्डे की धार पर चलने जैसा ही है। कवि ने जिस कला पर चलने का नेम लिया है

    233.00275.00