Is Sansar Mein : Pahachan Series-2 By Ashok Vajpeyi

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Is Sansar Mein : Pahachan Series-2

मेरे मन में यह अहसास और क्लेश दोनों ही थे कि मेरे अनेक प्रतिभाशाली कवि-मित्रों के संग्रह प्रकाशित नहीं हो पाये थे...
मुझे सूझा कि एक ऐसी पत्रिका हिन्दी में निकाली जा सकती है जिसमें युवा कवियों के छोटे-छोटे संग्रह शामिल किये जा सकते हैं।...
पहचान के अन्तर्गत चौदह युवा कवियों के पहले कविता-संग्रह प्रकाशित हो सके।...
पहचान पर उस समय बहुत उत्साहवर्द्धक प्रतिक्रियाएँ आयी थीं। निर्मल वर्मा, मलयज आदि ने उसकी समीक्षा लिखी थी। श्रीकान्त वर्मा ने तो अपने
 एक पत्र में यहाँ तक कह डाला था कि पहचान ने उस समय साहित्य के क्षेत्र के शक्ति सन्तुलन को विचलित कर दिया है,...
बहुत सारे मित्र और कुछ शोध - छात्र आदि पहचान की प्रतियों की खोज करते मेरे पास आते रहे हैं।....

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