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Muktibodh by Jainendra Kumar
`मुक्तिबोध` जैनेन्द्र कुमार का कालजयी उपन्यास है।…
About the Author:
जैनेन्द्र कुमार जन्म: 2 जनवरी 1905, कोड़ियागंज, अलीगढ़ (उ.प्र.) । 1919 में पंजाब से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। 1920 से स्वतन्त्रता संग्राम के आन्दोलनों में भाग लेना प्रारम्भ किया। 1923 में ऐतिहासिक झण्डा सत्याग्रह में भागीदारी के कारण तीन माह का कारावास। इसी वर्ष से लेखनारम्भ। देश जाग उठा था शीर्षक से लिखा लेख देवी अहिंसे नाम से चर्चित हुआ। 1929 में प्रथम कहानी संग्रह फाँसी और प्रथम उपन्यास परख प्रकाशित। त्यागपत्र उपन्यास (1937) के साथ कथा साहित्य में विधिवत प्रतिष्ठित। अनेक वर्षों तक लेखन व राजनीति में समानरूपेण सक्रिय। 1946 में राजनीतिक सक्रियता से विराग एवं सर्वतोभावेन लेखन व चिन्तन को समर्पित साहित्य अकादेमी की स्थापना (1954) पर पण्डित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में बनी प्रथम उच्चस्तरीय समिति में अबुल कलाम आज़ाद, डॉ. राधाकृष्णन एवं हुमायूँ कबीर के साथ शामिल। मुक्तिबोध उपन्यास पर साहित्य अकादेमी सम्मान (1968)। 1971 में भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण साहित्य अकादेमी की महत्तर सदस्यता तथा अणुव्रत सम्मान से विभूषित (1982)। 1984 में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का सर्वोच्च सम्मान भारत भारती। चौरासी वर्ष का तपः पूत यशस्वी जीवन जीकर 24 दिसम्बर 1988 को महाप्रयाण । प्रमुख रचनाएँ: परख, सुनीता, त्यागपत्र, कल्याणी, सुखदा, विवर्त, व्यतीत, जयवर्धन, मुक्तिबोध, अनामस्वामी, दशार्क (उपन्यास); फाँसी, अपना-अपना भाग्य, नीलम देश की राजकन्या, जाह्नवी, साधु की हठ, अभागे लोग, दो सहेलियाँ, महामहिम (कहानी-संग्रह); समय और हम; समय, समस्या और सिद्धान्त; काम, प्रेम और परिवार, पूर्वोदय; मंथन; साहित्य का श्रेय और प्रेय; वृत्त विहार; राष्ट्र और राज्य; कहानी – अनुभव और शिल्प बंगलादेश का यक्ष प्रश्न (निबन्ध व विचार संग्रह); इतस्ततः, मेरे भटकाव, स्मृति पर्व, कश्मीर की वह यात्रा, विहंगावलोकन (ललित निबन्ध व संस्मरण) ।














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