Description
Inquilab Aur Insaan-dost By Rajendra Toki
इंक़लाब और, इन्सान – दोस्ती – राजेन्द्र टोकी
जोश की शायरी वैविध्यपूर्ण है। उनकी शायरी का अपना रंग है जो दूर से पहचाना जाता है। जोश इन्सान दोस्ती का शायर है। प्रो. अहमद फ़ातमी का कहना है “इनकी शायरी में ज़िन्दगी का ठाठें मारता हुआ समुन्दर है। ज़िन्दगी को समझने व बरतने का फ़न इन्सान दोस्ती है, हौसला है। जोश इसी क़बीले के शायर हैं। लेकिन इनका सौन्दर्य बोध बीसवी सदी का तरक़्क़ी याफ्ता बोध है। हिन्दोस्तानी व मार्क्सवादी सौदर्यशास्त्र अपने पूरे फ़ितरीपन के साथ जोश के यहाँ नज़र आते हैं और यहाँ यह बात कही जा सकती है कि हिन्दोस्तानी हुस्न को मार्क्सवाद की निगाहों से और मार्क्सवाद को भारत के आम समाज में देखने की पहली बार कोशिश की गयी और बड़ी सरमस्ती व सरशारी के साथ की गयी।
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