Description
Hindi Sahitya Ke 75 Varsh : Nehru Yug Se Modi Yug Tak : Ek Uttar Aadhuniktawadi Paath
By Sudhish Pachauri
इस पुस्तक के मुखपृष्ठ पर हमने ‘नेहरू युग से मोदी युग तक’ लिखा है। हो सकता है इसे देख हमारे कई ‘पाठक’ हमारी ‘निन्दा’ भी करें कि यह लेखक नेहरू के साथ मोदी का नाम कैसे ले रहा है? वे शायद सोचते हैं कि हिन्दी साहित्य का ‘नेहरू युग’ तो हो सकता है लेकिन’ मोदी युग’ कैसे हो सकता है ? इसके जवाब में हमारा यही कहना है कि अगर कुछ विद्वानों द्वारा आजादी से पहले और कुछ बाद के हिन्दी साहित्य पर नेहरू का प्रभाव देखा जा सकता है तो आज के साहित्य पर मोदी का प्रभाव भी देखा जा सकता है। आजादी के बाद के हिन्दी साहित्य में नेहरू की ‘छवि’ अगर एक ‘अप्रत्यक्ष किन्तु सकारात्मक’ आलम्बन के रूप में नजर आती है तो मोदी की छवि ‘प्रत्यक्ष नकारात्मक’ आलम्बन के रूप में नजर आती है। नेहरू युग का बौद्धिक नजरिया साहित्य को ‘ धर्म और संस्कृति’ से अलग करके देखता-पढ़ता था तो मोदी युग का बौद्धिक नजरिया साहित्य को देश, राष्ट्र, धर्म व संस्कृति से मिलाकर देखता-पढ़ता है जो हिन्दी साहित्य के जातीय पाठों और साहित्य शास्त्र के अधिक नजदीक बैठता है! नेहरूवादी नजरिया साहित्य के इतिहास की ‘फॉल्ट लाइनों’ को दबाकर चलता है तो मोदीवादी नजरिया साहित्य के इतिहास की फॉल्ट लाइनों को उजागर कर पढ़ना पढ़ाना चाहता है! यह किताब पिछले पिचहत्तर बरसों के इतिहास को इसी और ऐसे ही उपेक्षित कर दिये गये नाना जातीय नजरियों से टटोलती पढ़ती है। इस किताब का लेखक भी ‘पॉलिटिकली करेक्ट’ लेखन करने की जगह ‘पॉलिटिकली इनकरेक्ट’ लेकिन ‘लिटरली करेक्ट’ लेखन करने में यकीन करता है और यहाँ उसने वैसा ही करने की कोशिश की है। और इसी मानी में इस लेखक ने हिन्दी साहित्य के पिछले सात-आठ दशकों के साहित्य को देश, राष्ट्र और धार्मिक-सांस्कृतिक सन्दर्भों में रखकर देखने-समझने की कोशिश की है। इस नजर से देखें तो हमारा साहित्य उन तमाम फॉल्ट लाइनों का संकेत करता रहा है जिनके बारे में ‘द क्लैश ऑफ सिविलाइजेशन’ के लेखक सैमुअल पी. हंटिंग्टन ने अपनी उक्त किताब में लिखा है और जिनके बारे में इस लेखक ने भी यत्र- तत्र संकेत दिये हैं।
– भूमिका से
Nitin Singh –
यह किताब साहित्य में विविध दृष्टिकोणों और पहचान आधारित पठन की चर्चा करती है। समकालीन आलोचना के लिए यह अनिवार्य है।