Sangharsh Samadhan Aur Gandhiwadi Naitikta By Thomas Weber

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संघर्ष, समाधान और गांधीवादी नैतिकता – थॉमस वेबर (अनुवाद: अशोक कुमार)

महात्मा गांधी के दर्शन और उसपर अमल को लेकर जो मुद्दे सर्वाधिक चर्चा का विषय रहे हैं उनमें एक यह है कि आज की पेचीदा परिस्थितियों में यह कहाँ तक कारगर है। गांधी की महान् शख्सियत, दुनिया को उनके योगदान और उनके मूल्यों को मान देते हुए भी कार्यनीतिक और रणनीतिक दृष्टि से समय-समय पर कुछ संशय जताये गये हैं। पृष्ठभूमि में जाएँ तो इसकी खास वजह यह मालूम पड़ती है कि सत्य और अहिंसा को सदियों से वैयक्तिक उन्नयन और आध्यात्मिक साधना के लिए तो अनिवार्य माना जाता रहा है लेकिन सामाजिक नजरिये से यह गम्भीर विचार और व्यापक प्रयोग का विषय नहीं रहा। गांधी ने अपने सत्याग्रहों से यह दिखाया कि उनका तरीका जितना वैयक्तिक है उतना ही सामाजिक भी। फिर भी, यह प्रश्न उठाया जाता रहा है कि क्या हम जब चाहे तब, सत्याग्रह के लिए उपयुक्त, आत्मबल और नैतिक बल वाले लोगों की अपेक्षा पूरी कर सकते हैं? क्या कष्ट-सहन की पद्धति अपने में पर्याप्त है? दूसरी ओर, यह प्रश्न भी बना रहा है कि साधन की शुचिता के बगैर, क्या कोई ऊँचा साध्य साधा जा सकता है? संघर्षों के समाधान पर विचार करते हुए इस पुस्तक के लेखक, विख्यात गांधी-अध्येता, थॉमस वेबर ने आज की दुनिया में गांधी-दर्शन की व्यावहारिकता की एक गम्भीर पड़ताल की है। उनके इस विश्लेषण का हिन्दी में उपलब्ध होना एक स्वागतयोग्य घटना है।

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Sangharsh Samadhan Aur Gandhiwadi Naitikta By Thomas Weber (Translated By Ashok Kumar)

About the Author:

थॉमस वेबर

ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न की ला ट्रोब यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान और शान्तिवादी विचारों के अध्यापक रहे विद्वान् शोधकर्ता थॉमस वेबर ने 20 से ज्यादा वर्षों तक महात्मा गांधी के जीवन और विचारों पर गहन शोध किया। उन्होंने पूरे भारत की कई यात्राएँ भी की, जिनमें महात्मा गांधी की प्रसिद्ध दाण्डी यात्रा के मार्ग की 1983 में की गयी यात्रा भी शामिल है। उन्होंने गांधी के साथ उस यात्रा, और उसमें शामिल तथा तब तक जीवित बचे 17 यात्रियों के संस्मरणों की एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक समेत गांधी के जीवन और विचारों पर दस से ज्यादा किताबें लिखी हैं। 75 की उम्र पार कर चुके थॉमस वेबर अब सेवानिवृत्त होकर मेलबर्न के बाहरी इलाके में अपने परिवार और अपनी पुस्तकों के साथ जीवन बिता रहे हैं।


About the Translator:

अशोक कुमार

दिल्ली के भारतीय जनसंचार संस्थान से पत्रकारिता का डिप्लोमा। दैनिक ‘जनसत्ता’, पत्रिका ‘धर्मयुग’, ‘इंडिया टुडे हिंदी’, ‘इंडिया टुडे साहित्य वार्षिकी’ में बतौर पत्रकार काम किया। ‘शुक्रवार’ के सम्पादक मण्डल में रहे। उपसम्पादक से लेकर डिप्टी एडिटर तक विभिन्न पदों पर काम करने के बाद सम्प्रति गांधी शान्ति प्रतिष्ठान से जुड़ाव। करीब आधा दर्जन महत्त्वपूर्ण अँग्रेजी पुस्तकों का हिन्दी अनुवाद और सम्पादन ।

SKU: Sangharsh Samadhan Aur Gandhiwadi-PB
Category:
Author

Thomas Weber

Binding

Paperback

Language

Hindi

ISBN

978-93-6201-253-1

Pages

256

Publication date

27-01-2025

Publisher

Setu Prakashan Samuh

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    एल्विन का जीवन आदिवासियों के लिए समर्पण की वह गाथा है जिसमें एक बुद्धिजीवी अपने तरीके का ‘एक्टिविस्ट’ बनता है तथा अपनी लेखनी और करनी के साथ आदिवासियों के बीच उनके लिए जीता है। यहाँ तक कि स्वतन्त्रता सेनानियों में भी ऐसी मिसाल कम ही है।

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    कविता का विधान और यह ‘मैं’ कुछ इस तरह समंजित होते हैं, इस तरह एक-दूसरे में आवाजाही करते हैं कि बहुधा शास्त्रीय पद्धतियों से उन्हें अलगा पाना सम्भव भी नहीं रह पाता। वे कहते हैं- ‘मेरी कविता में लगे हुए हैं इतने पैबन्द / न कोई शास्त्र न छन्द / मेरी कविता वही दाल भात में मूसलचन्द/ मैं भी तो कवि सा नहीं दीखता / वैसा ही दीखता हूँ जैसा हूँ लिखता’ ।
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