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Gandhi Ke Bahane By Parag Mandle

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तृतीय सेतु पाण्डुलिपि पुरस्कार योजना के तहत पुरस्कृत कृति

गांधी के बहाने – पराग मांदले

दक्षिण अफ्रीका से गांधी भारत वापस आए तब से ही वे भारतीय राजनीति, समाज, दर्शन और जीवन-पद्धति की केन्द्रीय धुरियों में एक रहे। इन तमाम क्षेत्रों में उनका हस्तक्षेप युगान्तकारी रहा। करीब तीन दशकों तक आजादी की लड़ाई का केन्द्रीय नेतृत्व उनके ही हाथों में रहा। गांधी लगातार खुद को परिष्कृत करते रहे। बहुत कुछ किया; जब गलती हुई तो सीखा, सुधार किया और आगे बढ़े। उनके सिद्धान्त दीखने में बहुत सरल थे- मसलन सत्य, अहिंसा, निष्काम कर्म इत्यादि, मगर उनका पालन बहुतों के लिए मुश्किलों में डालने वाला भी रहा। सत्याग्रह और संघर्ष के ये औजार आजादी के बाद पायी गयी सत्ता के समीकरण में बाधक प्रतीत होने लगे। ‘गांधी के बहाने’ पुस्तक गांधीवादी सिद्धान्तों का पुनराविष्कार या पुनश्चर्या या पारायण नहीं है, वह उन सिद्धान्तों के मर्म की खोज करते हुए उन्हें आज के व्यावहारिक जीवन के आलोक में जाँचती है। पराग मांदले के इस गम्भीर प्रयास का पाठकों द्वारा स्वागत होगा, ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए।


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Description

Gandhi Ke Bahane By Parag Mandle

 

पराग मांदले

जन्म: 24 जुलाई 1972 (उज्जैन, म.प्र.) विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन से हिन्दी साहित्य में एम.ए., डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय, औरंगाबाद (महा.) से पत्रकारिता स्रातक (स्वर्णपदक)। दैनिक अग्निपथ, उज्जैन, मासिक कल्याण (गीताप्रेस), गोरखपुर, दैनिक देवगिरी समाचार, औरंगाबाद और दैनिक लोकमत समाचार, औरंगाबाद में कुल सात वर्षों तक पत्रकारिता। दो कथा संग्रह: राजा, कोयल और तन्दूर (भारतीय ज्ञानपीठ) तथा खिलेगा तो जलेगा ख्वाब (बोधि प्रकाशन) प्रकाशित। तीसरा प्रकाशनाधीन। देश के विभिन्न समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में कविताएँ, कहानियाँ तथा विभिन्न विषयों पर बड़ी तादाद में लेख और नियमित स्तम्भ प्रकाशित । गांधी विचारों के अध्ययन और प्रचार-प्रसार तथा पर्यावरण संवर्धन के क्षेत्र में सक्रिय। फिलहाल, भारतीय सूचना सेवा के अन्तर्गत सहायक निदेशक के पद पर कार्यरत।

Additional information

Author

Parag Mandle

Binding

Paperback

Language

Hindi

ISBN

978-93-6201-266-1

Pages

186

Publisher

Setu Prakashan Samuh

1 review for Gandhi Ke Bahane By Parag Mandle

  1. Anuj Kumar

    Worth reading if you believe in Gandhi, in time which is full of hallucination.

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