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Durasth Dampatya (Hindi Story) By Mamta Kalia

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दूरस्थ दाम्पत्य – ममता कालिया


कथावस्तु से कथानक का निर्माण होता है। कथावस्तु की तमाम घटनाएँ हमारी जिन्दगी की जानी-पहचानी स्थितियाँ होती हैं। कथाकार अपनी संवेदना और कल्पना से जिस कथानक का निर्माण करता है वह विशिष्ट और गतिमान होता है। ममता कालिया की इन कहानियों की विशेषता है कि पाठक कथावस्तु के सूत्रों के सहारे इनकी घटनाओं को अपने जीवन का अंग मानने लगता है। उसे लगता है कि अरे! यह तो हमारे पड़ोस में रहने वाले फलाँ बाबू हैं, अरे! यह तो हमारे साथ उस बरस घटा था आदि आदि। पर पूरी कहानी अपने रचनात्मक आवेग में उसी पाठक को उस रहस्य लोक में ले जाती है, जहाँ पात्र, परिवेश, उद्देश्य सब एक हो जाते हैं। कहानी अपने प्रभाव और रचाव में जैविक एकक बन जाती है। ममता कालिया की ये कहानियाँ इसलिए भी विशिष्ट हैं कि इनकी संवेदनात्मक संरचनाएँ सुसंगठित और एकात्मक हैं। इसीलिए ये पहचान और रचनात्मक विस्मय एकसाथ निर्मित कर पाने में सक्षम होती हैं। ममता कालिया की इन कहानियों की संवेदनात्मक संरचना के एकत्व को गहराई मिलती है जीवन की दार्शनिकता और विचारपरकता से- ‘यह दो जीवन-पद्धतियों का टकराव था, साथ ही दो विचार-पद्धतियों का भी।’ यह दार्शनिकता किसी भी रचना की गहराई के लिए अनिवार्यता है। इन कहानियों में यह अलग से इसलिए रेखांकित हो रही है क्योंकि आज के कहानी लेखन में इसका अभाव सा दीख रहा है। इसके कारण इस कहानी-संग्रह की बहुआयामिता निर्मित हो रही है। वह सपाट कथन से बाहर निकलती है। ममता जी की ये कहानियाँ अपने भीतर मध्यवर्ग का जीवन्त संस्कार समेटे हुए हैं। आशा-दुराशा, जीवन स्वप्न और दुस्सह यथार्थ, आकांक्षा और अपेक्षा के बीच डोलता मध्यवर्गीय जीवन यहाँ उपस्थित है। इस उपस्थिति के प्रति रचनाकार एक करुणापूर्ण दृष्टि रखता है। यह करुणा इस तथ्य के बावजूद है कि वे अपने पात्रों से एक निरपेक्ष दूरी भी बनाने में सफल होती हैं। यह द्वैत या द्वन्द्व ही ममता जी की कहानी-कला की विरल विशिष्टता है। सघन होने के बावजूद ममता जी की कहानियाँ बोझिल या कठिन नहीं बनतीं, तो इसका कारण इनकी प्रवाहपूर्ण भाषा है। सरस गद्य और भाषा का प्रवाह इन्हें न केवल व्यंजक बनाता है अपितु पठनीय भी।

– अमिताभ राय


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Description

Durasth Dampatya (Story) By Mamta Kalia

ममता कालिया

2 नवम्बर 1940 को वृन्दावन में जन्मीं ममता कालिया हिन्दी साहित्य की अग्रपंक्ति में स्थान रखती हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. इंग्लिश किया तथा वहीं प्राध्यापन भी। फिर मुम्बई और इलाहाबाद में प्राध्यापन। 2001 में सेवानिवृत्त। इन तथ्यों से भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण बात यह है कि सन् 1963 से लगाकर अब तक वे लगातार लिखती रही हैं। उनकी कुल साहित्यिक पुस्तकों की संख्या 36 है, जिसमें 10 उपन्यास, 16 कहानी संग्रह, 5 कविता संग्रह, 5 संस्मरण, 3 निबन्ध-संग्रह के अतिरिक्त कुछ अनुवाद भी प्रकाशित । ममता कालिया ने साहित्य अकादेमी के लिए महिला लेखन के सौ वर्षों के इतिहास का सम्पादन किया है तथा 5 वर्ष महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा की इंग्लिश पत्रिका HINDI की सम्पादक रही हैं। के. के. बिड़ला फाउण्डेशन का व्यास सम्मान, श्याम गोयनका ट्रस्ट का रतनादेवी अवार्ड, कमलेश्वर स्मृति सम्मान, वनमाली सम्मान, राममनोहर लोहिया सम्मान, प्रथम सावित्री बाई फुले सम्मान आदि अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए। ई-मेल : mamtakalia011@gmail.com

Additional information

Author

Mamta Kalia

Binding

Paperback

Language

Hindi

ISBN

978-93-6201-746-8

Pages

152

Publication date

20-01-2025

Publisher

Setu Prakashan Samuh

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