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Sabhyata Ke Kone By Ramachandra Guha

(4 customer reviews)

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संशोधित-परिवर्द्धित हिन्दी संस्करण

सभ्यता के कोने

वेरियर एल्विन
और
भारतीय आदिवासी समाज

– रामचन्द्र गुहा
– अनुवादक अनिल माहेश्वरी

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यह पुस्तक एक जीवनी है और इस विधा में अपनी विशिष्ट जगह बना चुकी है। समकालीन भारत के सबसे जाने-पहचाने इतिहासकार रामचन्द्र गुहा की लिखी महात्मा गांधी की जीवनी कितनी बार पढ़ी गयी और चर्चित हुई। लेकिन गुहा की कलम से रची गयी पहली जीवनी वेरियर एल्विन (1902- 1964) की थी। यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से पढ़ाई समाप्त करके ईसाई प्रचारक के रूप में भारत आया। फिर यहीं का होकर रह गया। वह धर्म प्रचार छोड़कर गांधी के पीछे चल पड़ता है। उसने भारतीय आदिवासियों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। वह उन्हीं में विवाह करता है। भारत की नागरिकता लेता है और अपने समर्पित कार्यों की बदौलत भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पण्डित जवाहरलाल नेहरू का विश्वास जीतता है। साथ ही उस विश्वास पर खरा उतरता है।

एल्विन का जीवन आदिवासियों के लिए समर्पण की वह गाथा है जिसमें एक बुद्धिजीवी अपने तरीके का ‘एक्टिविस्ट’ बनता है तथा अपनी लेखनी और करनी के साथ आदिवासियों के बीच उनके लिए जीता है। यहाँ तक कि स्वतन्त्रता सेनानियों में भी ऐसी मिसाल कम ही है।

रामचन्द्र गुहा ने वेरियर एल्विन की जीवनी के साथ पूर्ण न्याय किया है। मूल अँग्रेजी में लिखी गयी पुस्तक आठ बार सम्पादित हुई। मशहूर सम्पादक रुकुन आडवाणी के हाथों और निखरी। जीवनी के इस उत्तम मॉडल में एल्विन के जीवन को उसकी पूर्णता में उभारा गया है और शायद ही कोई पक्ष अछूता रहा है।

एल्विन एक बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्तित्व थे। वे मानव विज्ञानी, कवि, लेखक, गांधीवादी कार्यकर्ता, सुखवादी, हर दिल अजीज दोस्त और आदिवासियों के हितैषी थे। भारत को जानने और चाहने वाले हर व्यक्ति को एल्विन के बारे में जानना चाहिए ! यह पुस्तक इसमें नितान्त उपयोगी है।

राम गुहा ने इस पुस्तक के द्वितीय संस्करण में लिखा है कि किसी लेखक के लिए उसकी सारी किताबें वैसे ही हैं जैसे किसी माता- पिता के लिए उनके बच्चे। यानी किसी एक को तरजीह नहीं दी जा सकती और न ही कोई एक पसन्दीदा होता है। फिर भी वो अपनी इस किताब को लेकर खुद का झुकाव छुपा नहीं पाये हैं। ऐसा लगता है गुहा अपील करते हैं कि उनकी यह किताब जरूर पढ़ी जानी चाहिए। और क्यों नहीं ?

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Description

Sabhyata ke kone 

Verrier Elvin Aur Bharatiya Adiwasi Samaj
by Ramachandra Guha

Translated By Anil Maheshwari

Additional information

Author

Ramachandra Guha

Binding

Paperback

Language

Hindi

ISBN

978-93-6201-823-6

Pages

464

Publisher

Setu Prakashan Samuh

Translation

Anil Maheshwari

4 reviews for Sabhyata Ke Kone By Ramachandra Guha

  1. Farah Khanam

    यह पुस्तक वेरियर एल्विन की प्रेरणादायक जीवनी है, जो भारतीय आदिवासियों के लिए अपना जीवन समर्पित करते हैं। रामचंद्र गुहा की लेखनी ने उनके जीवन को गहराई से उकेरा है।

  2. Kshitij Singhal

    यह पुस्तक वेरियर एल्विन की प्रेरणादायक जीवनी है, जिसमें रामचंद्र गुहा ने अपनी कुशलता से उनके समर्पण और संघर्ष को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया है। गुहा की लेखनी अद्भुत है, जो पाठकों को इस अद्वितीय जीवन यात्रा से गहराई से जोड़ती है।

  3. Sapna Kumari

    रामचंद्र गुहा की यह जीवनी वेरियर एल्विन के समर्पण और उनके जीवन की उत्कृष्टता को बखूबी दर्शाती है। गुहा ने अद्भुत गहराई और संवेदनशीलता से उनके संघर्ष को उजागर किया है, जो आदिवासियों के लिए एक प्रेरणा है।

  4. Anurag

    वेरियर एल्विन की जीवनी पर रामचंद्र गुहा का यह उत्कृष्ट लेखन अद्भुत है। उन्होंने एक ऐसे व्यक्तित्व की कहानी को बहुत खूबसूरती से पेश किया है, जिसने भारतीय आदिवासियों के लिए अपना जीवन समर्पित किया। गुहा की लेखनी में गहराई और संवेदनशीलता दोनों हैं।

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