कलम – हरियश राय
Kalam By Hariyash Rai
हरियश राय समकालीन कहानी परिदृश्य में एक जाना- पहचाना नाम है। वे कहानी-रचना में अपने बनाये हुए मुक़ामों को पीछे छोड़ते आए हैं। इस संकलन में शामिल कहानियाँ सूक्ष्मता, सृजनात्मक सौन्दर्य, संवेदना और वैचारिकता को अपने में समाये पाठकों की चेतना को गहरे जाकर प्रभावित करती हैं। उनकी कहानियाँ बड़े असरदार तरीके से संवादों के जरिये हमारे आज के सरोकारों को सामने लाती हैं। हरियश राय की कहानियाँ हमारे आज के सामाजिक परिवेश का आकलन करती हुई उन मूल्यों की शिनाख्त करती दिखाई देती हैं जो मनुष्यता और विवेकपरकता के लिए सबसे ज़रूरी हैं। हरियश राय यह शिनाख़्त बहुत धैर्य और संयम के साथ करते हुए दिखाई देते हैं। उनकी कहानियाँ हमारे आज के बदलते समय में गुम हो रही मनुष्यता और संवेदनशीलता को सामने लाकर पाठकों की समझ को बदलने का आधार देती हैं। हरियश राय अपनी कहानियों में बहुत गहराई और विस्तार से सदियों से चली आ रही बहुलतावादी सामासिक संस्कृति के मूल्यों को दर्ज करते हैं और उन मान्यताओं, सामाजिक मूल्यों, विश्वासों को सामने लाते हैं जो समाज की धरोहर के रूप में जाने-पहचाने जाते हैं। हमारे समय की बदलती हुई तस्वीर को देखना हो तो हरियश राय की इन कहानियों से गुजरना लाजमी हो जाता है।
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