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SHUDRON KI KHOJ ARTHAT SHUDRA KAUN THE? by Bhimrao Ambedkar

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शूद्रों की खोज अर्थात् शूद्र कौन थे? – भीमराव अम्बेडकर

हिन्दू धर्म की सामाजिक संरचना में चातुर्वर्ण्य व्यवस्था की प्रभावकारी भूमिका रही है। इन वर्षों में शूद्रों की स्थिति सबसे निम्न थी और विभिन्न प्रकार के प्रतिबन्धों के कारण उनका विकास बाधित रहा। शूद्रों के सम्बन्ध में आवश्यक अध्ययन के अभाव में उनकी समस्याओं और उनके निराकरण पर गम्भीरता से विचार नहीं किया गया। इसी को ध्यान में रखते हुए डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने गहन अध्ययन के पश्चात इस पुस्तक ‘शूद्रों की खोज अर्थात् शूद्र कौन थे?’ की रचना की। यह पुस्तक शूद्रों की उत्पत्ति के पौराणिक सिद्धान्तों का विश्लेषण करने के अलावा विभिन्न वर्षों के साथ शूद्रों की स्थिति का मूल्यांकन भी करती है और विद्यमान अव्यवस्था के कारणों को समझने का प्रयास भी। इस पुस्तक के माध्यम से अम्बेडकर ने यह स्थापित करने का प्रयास किया है कि प्रारम्भ में शूद्र भी आर्यों के तीन वर्षों में शामिल थे लेकिन ब्राह्मणवादी मानसिकता के कुचक्र के कारण उनकी स्थिति निम्न हो गयी और ये क्षत्रिय वर्ण से अलग होकर एक नये वर्ण ‘शूद्र’ के रूप में समाज में अस्तित्व में आए। यह पुस्तक मूलतः समाज को इतिहास के आईने से देखने का प्रयास है जिसमें समावेशी और समता आधारित समाज के निर्माण की सम्भावनाओं के बीज विद्यमान हैं।


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Description

SHUDRON KI KHOJ ARTHAT SHUDRA KAUN THE?
by Bhimrao Ambedkar


 

Additional information

Author

Dr. Bhimrao Ambedkar

Binding

Paperback

Language

Hindi

ISBN

978-93-6201-205-0

Pages

144

Publication date

14-01-2025

Publisher

Setu Prakashan Samuh

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