Achhoot Kaun Aur Kaise By Bhimrao Ambedkar

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अछूत कौन और कैसे – भीमराव अम्बेडकर

भारतीय इतिहास के तथाकथित स्वर्ण युग से छुआछूत के औचित्य को प्रश्नांकित करता ग्रन्थ


हिन्दू धर्म के भीतर सामाजिक संरचना के गठन की प्रक्रिया में एक ऐसे वर्ग की उत्पत्ति हुई जिसे न केवल समाज में सबसे हेय दृष्टि से देखा गया बल्कि उसे सामान्य मानवीय व्यवहार से भी वंचित रखा गया। डॉ. भीमराव अम्बेडकर की यह पुस्तक’ अछूत कौन और कैसे’ समाज के इसी वर्ग अर्थात् अछूतों की उत्पत्ति और उनकी स्थिति का ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर विश्लेषण करती है। इसमें न सिर्फ भारत में बल्कि सम्पूर्ण विश्व में अछूतों के अस्तित्व की जाँच-परख की गयी है। यह पुस्तक स्पष्ट करती है कि अछूतों और हिन्दुओं में नस्लीय आधार पर किसी प्रकार की भिन्नता नहीं है लेकिन ब्राह्मणों की घृणा और स्वयं को श्रेष्ठ समझने की भावना अछूतों की उत्पत्ति और उनकी बदतर स्थिति का कारण बनी। इसमें स्पष्ट किया गया है कि ब्राह्मणों द्वारा बौद्धों के प्रति घृणा और एक समूह विशेष के द्वारा गौमांस खाने के कारण उस वर्ग को ब्राह्मणवादी समाज से बहिष्कृत कर दिया गया और उन्हें अछूत के रूप में एक अलग समूह में स्थापित कर दिया गया। यह पुस्तक समाज की विभेदकारी प्रवृत्तियों का मूल्यांकन करते हुए वर्तमान व्यवस्था को समझने का स्पष्ट और व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करती है।


 

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Achhoot Kaun Aur Kaise By Bhimrao Ambedkar

SKU: Achhoot Kaun Aur Kaise -PB
Category:
Author

Bhimrao Ambedkar

Binding

Paperback

Language

Hindi

ISBN

978-93-6201-421-4

Pages

208

Publication date

14-01-2025

Publisher

Setu Prakashan Samuh

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    संशोधित-परिवर्द्धित हिन्दी संस्करण

    सभ्यता के कोने

    वेरियर एल्विन
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    यह पुस्तक एक जीवनी है और इस विधा में अपनी विशिष्ट जगह बना चुकी है। समकालीन भारत के सबसे जाने-पहचाने इतिहासकार रामचन्द्र गुहा की लिखी महात्मा गांधी की जीवनी कितनी बार पढ़ी गयी और चर्चित हुई। लेकिन गुहा की कलम से रची गयी पहली जीवनी वेरियर एल्विन (1902- 1964) की थी। यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से पढ़ाई समाप्त करके ईसाई प्रचारक के रूप में भारत आया। फिर यहीं का होकर रह गया। वह धर्म प्रचार छोड़कर गांधी के पीछे चल पड़ता है। उसने भारतीय आदिवासियों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। वह उन्हीं में विवाह करता है। भारत की नागरिकता लेता है और अपने समर्पित कार्यों की बदौलत भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पण्डित जवाहरलाल नेहरू का विश्वास जीतता है। साथ ही उस विश्वास पर खरा उतरता है।

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  • ALPSANKHYAK : RAJNEETI AUR SAMAJ by Ram Puniyani

    अल्पसंख्यक राजनीति और समाज

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