TASHTARI (Stories) Edited by Suhail Waheed
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तश्तरी (सम्पादक: सुहेल वहीद)
मुस्लिम समाज में जातिगत ऊँच-नीच पर केन्द्रित उर्दू कहानियाँ
मुस्लिम समाज में जातिगत भेदभाव पर आधारित
अठारह उर्दू कहानियों की ‘तश्तरी’ शीर्षक से हिन्दी में यह प्रस्तुति साहित्य और समाजशास्त्र का अभिनव दस्तावेज़ है। सामान्यतः भारतीय समाज में जाति-आधारित ऊँच-नीच का भेद मूलतः हिन्दू धर्म से उत्पन्न एक बुराई का अन्य धर्मों में संक्रमण माना जाता है, लेकिन इस संग्रह की कहानियाँ अपने कथ्य द्वारा जातिगत श्रेणीकरण को भारतीय समाज के देशज सन्दर्भ के साथ-साथ इस्लाम धर्म की आन्तरिक बुनावट में रचे-बसे होने का भी पता देती हैं। सुहेल वहीद द्वारा चयनित ये कहानियाँ मुस्लिम समाज में जातिभेद का सुराग देने के साथ-साथ उसकी सहज स्वीकृति को भी उजागर करती हैं। अहमद नदीम क़ासमी, वाजिदा तबस्सुम, जाकिया मशहदी, शमोएल अहमद सरीखे चर्चित नामों से लेकर इस दौर के सुपरिचित कहानीकारों की कहानियों का यह संग्रह एक बड़े फ़लक पर भारतीय मुस्लिम समाज में जाति के यथार्थ और उसकी जटिलता को उजागर करता है। जिस ‘तश्तरी’ कहानी पर इस संग्रह का शीर्षक है, वह जाति की उस विडम्बना को उजागर करती है जिसके अन्तर्गत जातिश्रेष्ठता एकआयामी न होकर उस धार्मिक भेदभाव पर भी आधारित है जिसके चलते एक निम्न जाति का हिन्दू भी सम्पन्न मुस्लिम को म्लेच्छ समझकर अछूत सरीखा व्यवहार करता है। धर्मों की हद के पार यह जातिभेद हिन्दुस्तानी मुसलमान के अशराफ़ और अजलाफ़ के विभाजन को उजागर कर ‘एक ही सफ में खड़े हो गये महमूद ओ अयाज्ज, न कोई बन्दा रहा न बन्दा नवाज’ के कथन का परीक्षण भी रोजमर्रा की सच्चाइयों से करता है।
इस संग्रह की कहानियों को वैचारिक परिप्रेक्ष्य देने के लिए सुहेल वहीद ने जो लम्बी भूमिका लिखी है, वह मुस्लिम कथाकारों और बौद्धिकों से एक साहसिक जिरह है। यह अशराफ़ बौद्धिकों के उस जातिश्रेष्ठता के गर्वोन्मत्त भाव को प्रश्नांकित करती है जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उनके कथा या कथेतर लेखन में उपस्थित है। यहाँ विश्लेषण और सवालों के घेरे में अहमद नदीम क़ासमी, इस्मत चुग़ताई, रशीद जहाँ, कुर्रतुलऐन हैदर, राही मासूम रज्जा से लेकर असगर वजाहत व सईद नक़वी सरीखे बौद्धिक भी शामिल हैं। जिस साफ़गोई और बेबाक तेवरों के साथ सुहेल वहीद ने जातिभेद के सवाल पर मज्जहबी मुलम्मे को बेनक़ाब किया है, वह नैतिक साहस के बिना मुमकिन नहीं था। अच्छा यह भी है कि यह सब उन्होंने इस्लाम धर्म की ऐतिहासिकता को सन्दर्भित करते हुए किया है।
उम्मीद की जानी चाहिए कि ‘तश्तरी’ चयन की इन कहानियों और सुहेल वहीद की धारदार भूमिका के माध्यम से मुस्लिम समाज में जातिभेद की चर्चा पर जो पर्दादारी है, वह स्वस्थ व सार्थक बहस को जन्म देगी।
– वीरेन्द्र यादव
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Description
TASHTARI (Stories) Edited by Suhail Waheed
About The Author
सुहेल वहीद
उर्दू दैनिक ‘क़ौमी आवाज’, हिन्दी दैनिक ‘नवभारत टाइम्स’, ‘नई दुनिया’ के सम्पादकीय विभाग में कार्य किया। जर्मन रेडियो के हिन्दी/उर्दू विभाग में सम्पादक रहे।
पुस्तकें : ‘उर्दू पत्रकारिता की भाषा’ 1996; ‘परस्तिश बर्क्र की’ (कहानी संग्रह) 2000 में; ‘यादों की बरात’ (जर्मनी यात्रा वृत्तान्त) 2023; शमोएल अहमद की ‘तब्लीक्रियत’ (आलोचना) 2023, उर्दू मासिक ‘नया दौर’ के सम्पादक रहे हैं।
देश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में लेख, फीचर, कहानी, यात्रा वृत्तान्त प्रकाशित।
पुरस्कार : मिर्जा असदुल्लाह ग़ालिब पुरस्कार 2014; यूपी उर्दू अकादमी का पत्रकारिता पुरस्कार 2016.

Asgar Ansari –
चुनवा का हलाला, फ़ातिहा, जिंदगी ए जिंदगी, तश्तरी
इस संग्रह से मुझे यह कहानिया बहुत पसंद आयीं, बाकी पढ़ रहा हु,
एक बढ़िया पुस्तक साबित हो रही है.