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Zamin Apni Jagah (Poems) By Shankaranand

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जमीन अपनी जगह – शंकरानन्द


‘शोक में पल रहा जीवन / इस देश का दूसरा सच है।’ ऐसी पंक्ति लिखने वाले शंकरानन्द अपनी कविताओं में इस देश के उस दूसरे सच को ही जानना-समझना चाहते हैं। शंकरानन्द का यह चौथा संग्रह है और यहाँ तक आते-आते अपनी कविताओं में उन्होंने सिद्धि अर्जित कर ली है। ये कविताएँ सघन अनुभूति की कविताएँ हैं। यहाँ शोर नहीं है। जीवन का अनुभव है। आँखें खुली हैं और समाज के ढेरों अनुभवों से यह अनुभूति सघन हुई है। यहाँ राजनीति को सीधे-सीधे लक्षित करके भले ही कविताएँ ना हों परन्तु यहाँ सामाजिक बदलाव को बहुत तल्खी से परिलक्षित किया गया है। कठिनतर होते समय में प्रतिरोध की आवाज कविता की आत्मा है। ‘बोलने के लिए बहुत जगहें हैं। बशर्ते वह विरोध में नहीं हो।’ जीवन का त्रास यहाँ व्यंग्य पैदा कर रहा है।
कविता में कैसे विषयों और विचारों को अन्तर्गुम्फित किया जाना चाहिए ये कविताएँ इसकी गवाह हैं। यहाँ राजनीति है, समाज है, दुश्चिन्ताएँ हैं, भूख है, गरीबी है, प्रेम है लेकिन सब घुलमिल कर एक भाव का निर्माण कर रहे हैं। वास्तव में यह भाव मनुष्यता की तलाश है। यहाँ मनुष्य को मनुष्य के रूप में समझने की कवायद है। शंकरानन्द अपनी कविताओं में कवितापन को बहुत महत्त्व देते हैं। चूँकि कविताओं की पंक्तियाँ कवितापन में गुँथी हुई हैं इसलिए वहाँ अर्थ के कई स्तर हैं। ये कविताएँ पाठक से एक खास तरह की बौद्धिकता की माँग करती हैं। इन कविताओं के अर्थ इनके विखण्डन में छिपे हैं। ये कविताएँ सन्दर्भको अपने आसपास से उठाती हैं परन्तु अपने विस्तार में ये बड़े आयतन में विस्तारित हो जाती हैं। शंकरानन्द अपनी कविताओं की मार्फत अपने चारों ओर फैली विद्रूपताओं को पकड़ने की कोशिश करते हैं। यहाँ बहुत सारे रिश्ते हैं जो बिखर रहे हैं, प्यार है जो छूट रहा है। समाज का अपनापन हाथ से रेत की तरह फिसल रहा है। ये कविताएँ दुख को सहेजने की कोशिश हैं। मनुष्य के भीतर गहराती जा रही रिक्तता के अहसास से ये पाठक को भर देना चाहती हैं। ये कविताएँ हमारे समय-समाज का अन्तर्पाठ हैं। अपनी पूरी ताकत से ये कविताएँ इस दुनिया को सुन्दर बनाने के प्रयास में जुटी हुई हैं।
– उमाशंकर चौधरी

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Description

Zamin Apni Jagah (Poems) By Shankaranand

About the Author

शंकरानन्द
जन्म : 8 अक्टूबर 1983 को बिहार के खगड़िया जिले के एक गाँव हरिपुर में।
शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी), बी.एड. ।
प्रकाशन: अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं तथा पोर्टलों में कविताएँ प्रकाशित। कुछ में कहानियाँ भी। कोरोना काल की कविताओं सहित कई महत्त्वपूर्ण संकलनों के साथ ‘छठा युवा द्वादश’ और ‘समकालीन कविता’ में कविताएँ शामिल।
कविता संग्रह’ दूसरे दिन के लिए’, ‘पदचाप के साथ’ और ‘इनकार की भाषा’ प्रकाशित। कविता के लिए विद्यापति पुरस्कार, राजस्थान पत्रिका का सृजनात्मक पुरस्कार और मलखान सिंह सिसौदिया कविता पुरस्कार प्राप्त।
सम्प्रति: लेखन और अध्यापन।

Additional information

Author

Shankaranand

Binding

Paperback

Language

Hindi

ISBN

: 978-93-6201-658-4

Pages

196

Publication date

01-02-2025

Publisher

Setu Prakashan Samuh

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