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  • Madhavi : Aabhushan Se Chhitka Swarnkan By Amita Neerav (Hardcover)

    Madhavi : Aabhushan Se Chhitka Swarnkan By Amita Neerav

    माधवी` यह उपन्यास जीवन के विरोधाभासों की कथा है। इसमें ययाति जैसा स्वकेन्द्रित, आत्ममोहित और परपीड़क महापात्र भी है तो गालव और माधवी जैसे कर्तव्यनिष्ठ, आज्ञाकारी और ऋणमुक्ति के नैतिक दबाव से ग्रस्त पात्र भी हैं।


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    1,124.001,499.00
  • Raja Giddh – Bano Qudsiya (Paperback)

    Raja Giddh – Bano Qudsiya – Paperback
    राजा गिद्ध – बानो क़ुदसिया

    राजा गिद्ध पाकिस्तानी कथाकार बानो क़ुदसिया का बहुचर्चित उपन्यास है, जिसका हिन्दी में अनुवाद ख़ुर्शीद आलम ने किया है।


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    494.00549.00
  • Raja Giddh – Bano Qudsiya

    Raja Giddh – Bano Qudsiya
    राजा गिद्ध – बानो क़ुदसिया

    राजा गिद्ध पाकिस्तानी कथाकार बानो क़ुदसिया का बहुचर्चित उपन्यास है, जिसका हिन्दी में अनुवाद ख़ुर्शीद आलम ने किया है।

    938.001,250.00
  • Sunita By Jainendra Kumar

    Sunita By Jainendra Kumar
    सुनीता – जैनेन्द्र कुमार

    सुनीता जैनेन्द्र कुमार का कालजयी उपन्यास है। “इस पुस्तक को मैंने एक बार फिर देख लिया है। जहाँ-तहाँ से छुआ भी है! किन्हीं स्थलों पर झलक में जरा कुछ अंतर भी हो जाने दिया है। पर सब ऐसे कि पाठक की सुनीता वही रही है। -जैनेन्द्र कुमार

    158.00175.00
  • Parakh – Jainendra Kumar

    Parakh – Jainendra Kumar
    परख – जैनेन्द्र कुमार

    परख जैनेन्द्र कुमार का कालजयी उपन्यास है। यह परख कोई साथ बरस पहले लिखी गयी थी। इसमें नये-नये प्रयोग हुए। नये रंग खिलेंगे, नये निखार आएँगे। विद्यार्थियों के समक्ष उसे होना है, पाठ्य के रूप में। -जैनेन्द्र कुमार

    108.00120.00
  • Sukhda – Jainendra Kumar

    Sukhda – Jainendra Kumar

    सुखदा जैनेन्द्र कुमार का कालजयी उपन्यास है। सुखदा की यह कहानी सामने लाते हुए मेरा मन निःशंक नहीं है। ढ़ाढस यही है कि खुद इन पृष्ठों से जान पड़ता है उन्हें आशा थी कि ये कभी प्रकाश में आएँगे। -जैनेन्द्र कुमार

    144.00160.00
  • Kalyani : Jainendra Kumar

    Kalyani : Jainendra Kumar

    `कल्याणी` – जैनेन्द्र कुमार का कालजयी उपन्यास है।

    140.00
  • Saanp by Ratankumar Sambharia (Hardcover)

    Saanp by Ratankumar Sambharia (Hardcover)

    `साँप` रत्नकुमार सांभरिया का उपन्यास है, जो हाशिए का जीवन जीने वाले खानाबदोश लोगों पर केन्द्रित है। इस कथानक पर यह हिन्दी का महत्त्वपूर्ण कार्य है। ये वो लोग हैं, जो आज भी स्थायी निवास और स्थायी रोज़गार के लिए जद्दोज़हद कर रहे हैं। इनमें कालबेलिया, करनट, मदारी आदि घुमन्तू समुदाय के लोग हैं।

    792.00990.00
  • Shuddhipatra – Neelakshi Singh

    Shuddhipatra – Neelakshi Singh

    शुद्धिपत्र नीलाक्षी सिंह का ऐसा उपन्यास है जो वर्तमान समय में मनुष्य की भावनाओं-संवेदनाओं की खुले बाजार में मार्केटिंग करने वाली प्रवृत्तियों पर प्रश्न खड़े करती है। जो विडम्बना और संत्रास मानव जीवन में उपस्थित हो रहा है-वही उपन्यास की आयतन है।


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    276.00325.00
  • Aahat Naad – Madan Mohan (Paperback)

    Aahat Naad – Madan Mohan – Paperback
    आहत नाद – मदन मोहन

    आहत नाद एक ऐसा उपन्यास है जो हमारे समय और समाज से सीधे टकराता है। इसके लेखक मदन मोहन ने यथार्थ को वैसा ही पेश किया है जैसा वह वास्तविक दुनिया में नंगी आँखों से दीखता है, हमें घूरता हुआ, ललकारता हुआ।


     
    विकास के ढेरों दावे और भारत के दुनिया का सबसे बड़ा लोकतन्त्र होने की रट हम सुनते ही रहते हैं। लेकिन हकीकत क्या है? लेखक हमें इसी सवाल के रूबरू ला खड़ा करता है। यह उपन्यास समकालीन भारत के खासकर हिन्दी पट्टी के सारे विद्रूप सारी परतों के साथ उघाड़कर रख देता है। चाहे वह विद्रूप राजनीति का हो, पुलिस- प्रशासन का हो या न्यायव्यवस्था का। यह कैसा लोकतन्त्र है जहाँ झूठे मामलों में फँसाया जाना और बरसों-बरस जेल में सड़ने के लिए अभिशप्त कर दिया जाना आम हो चला है। यह उनके साथ खासकर होता है जो अपने या कमजोर तबकों के हक के लिए लड़ते हैं या असहमति की आवाज उठाते हैं। न्यायिक प्रक्रिया उत्पीड़न की प्रक्रिया बन गयी है। बिना किसी कसूर के, किसी को सालों-साल जेल में रखकर उसका और उसके परिवार का जीवन तबाह किया जा सकता है,
     
    उसके सम्मान को धूल में मिलाया जा सकता है, और यह सब सामान्य समझी जाने वाली प्रक्रिया के नाम पर होता है। जबकि रसूखदार लोग हर जाँच और कार्रवाई से बच जाते हैं, उनपर कोई आँच नहीं आती। इस उपन्यास में हम राजनीतिक ताकत, माफिया, पुलिस-प्रशासन और न्यायतन्त्र का गठजोड़ बेपर्दा होते देखते हैं। राजनीति का विद्रूप गाँव, कालेज, विश्वविद्यालय परिसर से लेकर विधायकी-सांसदी तक तमाम स्तरों पर चित्रित है। गाँव-देहात में कच्ची शराब की आसान उपलब्धता और इसके फलस्वरूप घटित होने वाली त्रासदी के जरिये लेखक ने हमारी व्यवस्था पर हावी आपराधिक गठजोड़ को उसकी सारी भयावहता में उजागर किया है। लेकिन इस सब के बरक्स ऐसे चरित्र भी हैं जो आदर्श तथा सरोकार की राजनीति का प्रतिनिधित्व करते हैं। उपन्यास में चित्रित उनकी संघर्ष गाथा रोमांचित करती है।

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    315.00350.00
  • Bastiyon Ka Karwan – Haricharan Prakash (Paperback)

    Bastiyon Ka Karwan – Haricharan Prakash
    बस्तियों का कारवाँ – हरिचरण प्रकाश

    हरीचरन प्रकाश का बस्तियों का कारवाँ इस मायने में अनूठा है कि इसने भारत विभाजन की त्रासदी को सिन्धी कोण से देखा और दिखाया है। सिन्ध से आए शरणार्थियों का खयाल करें तो उनकी त्रासदी सांस्कृतिक भी जान पड़ेगी। उपन्यास में परिवेश का सजीव वर्णन और भाषा का सहज प्रवाह इसे पढ़ने में और रोचक बनाता है।

    293.00325.00
  • Aahat Naad – Madan Mohan

    Aahat Naad – Madan Mohan

    आहत नाद एक ऐसा उपन्यास है जो हमारे समय और समाज से सीधे टकराता है। इस उपन्यास में हम राजनीतिक ताकत, माफिया, पुलिस-प्रशासन और न्यायतंत्र का गठजोड़ बेपर्दा होते देखते हैं।


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    440.00550.00