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  • Aangan By Khadeeja Mastoor

    आँगन – खदीजा मस्तूर – हिंदी अनुवाद खुर्शीद आलम

    उर्दू के प्रसिद्ध आलोचक उस्लूब अहमद अंसारी इस उपन्यास की गिनती उर्दू के 15
    श्रेष्ठ उपन्यासों में करते हैं जबकि शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी का कहना है कि इस नॉवेल
    पर अब तक जितनी तवज्जो दी गयी है वो इससे ज्यादा का मुस्तहिक़ है। भारत
    विभाजन के विषय पर यह बहुत ही सन्तुलित उपन्यास अपनी मिसाल आप है।

    276.00325.00
  • Shivling Calling by Kundan Jagdish Sahu

    हिन्दी में ऐसे आख्यान गिने-चुने ही होंगे जिन्हें हम किसी साहसिक अभियान की कथा कह सकें। इस लिहाज से कुंदन जगदीश साहू की यह कृति खासी उल्लेखनीय है। काफी पठनीय भी। लेखक के मुताबिक शिवलिंग कॉलिंग की कहानी उन्होंने मूल रूप में उत्तराखण्ड में एक होटल के एक रूमबॉय से सुनी थी जिसमें काल्पनिक अंश जोड़कर उन्होंने यह वृत्तान्त रचा। रूमबॉय वाली बात क्या पता कथा कहने का बहाना भी हो सकती है। जो हो, यह रचना लेखक की अपनी कल्पनाशीलता और रचनात्मक उद्यम की देन है। लेखक ने खुद कहा है, इसमें जिस साहसिक अभियान का वर्णन है वह पूरी तरह काल्पनिक है।

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  • Humnawai Na Thi by Tasneem Khan

    हमनवाई न थी शुरू से आखीर तक एक प्रेम कथा
    है। लेकिन तसनीम खान के इस उपन्यास को ढेर
    सारी प्रेम कथाओं की कतार में नहीं रखा जा सकता।
    क्योंकि यह निरी प्रेम कथा नहीं है, हमारे समकाल में
    छाये एक ख़ौफ का ख़ामोश प्रतिकार भी है। इस प्रेम
    कथा में प्रेमी हिन्दू है और प्रेमिका मुस्लिम । प्रेमी
    यानी शिवेन और प्रेमिका यानी सनम उस्मानी का
    प्यार कालेज के दिनों में परस्पर आकर्षण से शुरू
    होता है और फेसबुक तथा वाट्सऐप के जरिए परवान
    चढ़ता है।

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  • Matibhram By Raju Sharma – HardCover

    “‘मतिभ्रम’ एक ऐसा उपन्यास है, जिसे राजू शर्मा ने अपने रचनात्मक धीरज से सम्भव बनाया है। यह रचनात्मक धीरज भी इकहरा नहीं है, इसकी बहुस्तरीयता का आधार जीवन से गहरी आसक्ति और गम्भीर राजनीतिक समझ है। जीवन से आसक्ति और गहरी राजनीतिक समझ से निर्मित संवेदनात्मक संरचनाएँ घटनाओं को उन क्षितिजों तक पहुँचाती हैं, जहाँ तक अमूमन कथा विन्यास में उनका विन्यस्त हो पाना दुरूह होता है…”

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  • Matibhram By Raju Sharma

    मतिभ्रम – राजू शर्मा

    “‘मतिभ्रम’ एक ऐसा उपन्यास है, जिसे राजू शर्मा ने अपने रचनात्मक धीरज से सम्भव बनाया है। यह रचनात्मक धीरज भी इकहरा नहीं है, इसकी बहुस्तरीयता का आधार जीवन से गहरी आसक्ति और गम्भीर राजनीतिक समझ है। जीवन से आसक्ति और गहरी राजनीतिक समझ से निर्मित संवेदनात्मक संरचनाएँ घटनाओं को उन क्षितिजों तक पहुँचाती हैं, जहाँ तक अमूमन कथा विन्यास में उनका विन्यस्त हो पाना दुरूह होता है…”

    468.00600.00
  • O Ri Kathputli By Anju Sharma (Hardcover)

    O Ri Kathputli – Anju Sharma
    ओ री कठपुतली – अंजू शर्मा

    ओ री कठपुतली अपने परिवेश और प्रभाव, कथावस्तु और रचाव, हर लिहाज से एक बेहतरीन उपन्यास है। महानगर के अभिजात और मध्यवर्ग से लेकर झुग्गी बस्ती तक के जीवन पर कहानियाँ और उपन्यास लिखे गये हैं लेकिन आय के इस उपन्यास के पात्र और परिवेश काफी विरल हैं। यह उपन्यास एक ऐसी बस्ती की कहानी है, जो लोक कलाकारों ने बसायी है। कठपुतली नचाने, मदारी का खेल दिखाने, दीवार पर पेंटिंग करने से लेकर नट, बाजीगर, तरह-तरह के करतब व तमाशे दिखाने वाले लोक कलाकार इस बस्ती में रहते हैं। यों कठपुतली कालोनी नाम की यह बस्ती भी, नागरिक सुविधाओं की किल्लत के कारण, स्लम जैसी ही है लेकिन तरह-तरह के लोक कलाकारों की रिहाइश इसे विशिष्ट बना देती है। एक पत्रिका के लिए कवर स्टोरी लिखने के क्रम में कथानायिका का यहाँ प्रवेश होता है और फिर पाठक के सामने एक ऐसी दुनिया परत-दर-परत खुलती जाती है जहाँ जिंदगी ज्यादा बहुरंगी है, ज्यादा दिलचस्प भी। पर उतनी ही दारुण भी, जितनी एक झुग्गी बस्ती में होती है। तरह-तरह के हुनरमन्द यहाँ रहते हैं और घूम-घूमकर देश की राजधानी में रोज कहीं न कहीं अपने हुनर का प्रदर्शन करते हैं लेकिन उनका हुनर उन्हें दो जून रोटी की गारण्टी नहीं दे पाता। यह उपन्यास उनके विस्थापन का भी दर्द समेटे हुए है। 

    580.00725.00
  • Baloo Retwa By Pratap Gopendra (Hardcover)

    बालू रेतवा हिन्दी के उन विरल उपन्यासों में एक है जिनकी सबसे बड़ी खूबी आंचलिकता है। इस तरह यह उपन्यास इस बात का एक और प्रमाण है कि रेणु के ‘मैला आँचल’ से हिन्दी में आंचलिकता की जो धारा शुरू हुई थी वह सूखी नहीं है बल्कि समय-समय ऐसे कथाकार नमूदार हो जाते हैं जो किसी नये इलाके में इस धारा को मोड़ देते हैं। प्रताप गोपेन्द्र ऐसे ही एक महत्त्वपूर्ण कथाकार हैं। ‘बालू रेतवा’ की कथाभूमि हिन्दी प्रदेश की भोजपुरी पट्टी है इसलिए स्वाभाविक ही इस उपन्यास की भाषा भोजपुरी की बोली-बानी में रची-पगी है; उसके मुहावरों, लोकोक्तियों, गीतों और भंगिमाओं से भरपूर। इस उपन्यास में पात्रों के संवाद, परिवेश, रहन-सहन, रीति- रिवाज और सुख-दुख का वर्णन आदि सब कुछ इतना जीवन्त है कि उनके कथाकार का लोहा मानना पड़ता है।

    520.00650.00
  • Anamswami By Jainendra Kumar

    `अनामस्वमी` जैनेन्द्र कुमार का कालजयी उपन्यास

    298.00350.00
  • Dashark By Jainendra Kumar

    `दशार्क` जैनेन्द्र कुमार (उपन्यास)

    297.00350.00