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Jaishankar Prasad By Abha Gupta Thakur

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जयशंकर प्रसाद – (नाट्य व्यक्तित्व)

प्रधान सम्पादक: महेश आनन्द, देवेन्द्र राज अंकुर
सम्पादक: आभा गुप्ता ठाकुर


बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भिक दशकों में जयशंकर प्रसाद के नाटकों से हिन्दी नाटकलेखन के एक नये अध्याय की शुरुआत होती है, और उनके निबन्धों से एक नयी रंगदृष्टि से परिचय मिलता है। नाटकलेखन में उन्होंने ऐतिहासिक शोध के भीतर से जीवन्त मानव की संघर्ष-यात्रा के अनेक पड़ावों का अंकन किया है। और अपने निबन्धों में उन्होंने हिन्दी रंगमंच की जातीय पहचान को पाने के लिए प्रेरित किया-ऐसा रंगमंच जो भारतीय सन्दर्भों में शास्त्रीय, पारम्परिक और पश्चिमी नाट्यों के व्यवहार और तत्त्वों के मेल से भारतीय नाट्यधर्मी शैली के एक नये मुहावरे को रेखांकित करे। इस प्रक्रिया में पारसी थिएटर और शेक्सपियर के अनेक रंगतत्त्व मिलते हैं, परन्तु संस्कृत नाटकों और पारम्परिक नाट्‌यों तथा इनके तत्त्वों में जो समानता है उससे ये तत्त्व आरोपित नहीं हैं, वरन् इस नयी रंगशैली को प्रदर्शनात्मक (थिएट्रिकल) आकर्षण के साथ गढ़ते हैं।
– इसी पुस्तक से


 

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Jaishankar Prasad By Abha Gupta Thakur


About the Author

आभा गुप्ता ठाकुर

जन्म : 1969 (आगरा)। शिक्षा स्नातकोत्तर हिन्दी एवं अँग्रजी; पी-एच.डी.। पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन ट्रासलेशन ।
प्रकाशन : ‘तुम शिव नहीं हो’ (काव्य संग्रह), ‘समय के
निकष पर मोहन राकेश का रंगकर्म’ (आलोचना), रंग-यात्रा (आलोचना), ‘संस्कृति का ताना बाना’ (अनुवाद), ‘विश्व की प्रतिनिधि कहानियाँ’ (सं.), ‘रंगपट भाग-1 भारत के पारम्परिक लोक दृश्य काव्य’ (सं.), ‘रंगपट भाग-2 कविता का रंगमंच’ (सं.), ‘प्रेमचन्द और हमारा समय’ (सं.), ‘कलिकाल की सीता’ (काव्य संग्रह),
हिन्दी पत्रकारिता : विकास के सोपान, भाग-1 (सं.), हिन्दी पत्रकारिता : विकास के सोपान, भाग-2 (सं.)।
हिन्दी की महत्त्वपूर्ण पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित। द सण्डे इण्डियन पत्रिका द्वारा 21 वीं शताब्दी की हिन्दी लेखिकाओं में शामिल।
नाटक और रंगमंच, अनुवाद, संस्कृति विषयक अध्ययन में विशेष अभिरुचि।
सम्प्रति: प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी।

महेश आनन्द
जन्म 5 फ़रवरी 1946 को। उच्च शिक्षा दिल्ली वि.वि. से। दिल्ली कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स ऐण्ड कॉमर्स, दिल्ली वि.वि. में 40 वर्ष तक अध्यापन। ‘नटरंग’ में 24 वर्षों तक सम्पादन सहयोग। सचिव, एण्टन चेखव ड्रामा स्टूडियो (1986-88) सोवियत कल्चरल सेंटर, दिल्ली। कृतियाँ: कहानी का रंगमंच (1997), जयशंकर प्रसाद रंगदृष्टि (1998), जयशंकर प्रसाद रंगसृष्टि (1998), रंग दस्तावेज सौ साल (दो खण्ड, 2007), रंगमंच के सिद्धात (देवेन्द्र राज अंकुर के साथ संपादन, 2008), रेखा जैन (बाल नाटककार, निर्देशक, मोनोग्राफ 2010), हिन्दी रंगमंच एक दृश्य यात्रा (2019), दृश्य के साथ-साथ (2021), रंगसंवाद (2021)। पुरस्कार विशिष्ट कृति सम्मान, हिन्दी अकादमी, दिल्ली (1988-89); सिद्धनाथ कुमार स्मृति सम्मान, राँची (2010); सीनियर फेलोशिप, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार नयी दिल्ली (2011-12); विशिष्ट समीक्षक सम्मान, नट सम्राट, दिल्ली (2017); नेपथ्य रंगसम्मान, 2022 (रंगमंच के दस्तावेजीकरण के लिए)।


देवेन्द्र राज अंकुर
दिल्ली विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से निर्देशन में विशेषज्ञता के साथ नाट्य कला में डिप्लोमा। बाल भवन, नयी दिल्ली के वरिष्ठ नाट्य प्रशिक्षक। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमण्डल के सदस्य। भारतेन्दु नाट्य अकादमी, लखनऊ में नाट्य-साहित्य, रंग स्थापत्य और निर्देशन के अतिथि विशेषज्ञ। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, दिल्ली; क्षेत्रीय अनुसन्धान व संसाधन केन्द्र, बेंगलुरु के निदेशक। ‘सम्भव’, नयी दिल्ली के संस्थापक सदस्य और प्रमुख निर्देशक। नयी विधा ‘कहानी का रंगमंच’ के प्रणेता। भारत की सभी भाषाओं और रूसी भाषा में रंगकर्म का अनुभव। दूरदर्शन के लिए नाट्य-रूपान्तरण और निर्देशन। हिन्दी की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में रंगमंच पर लेख और समीक्षाएँ। अन्य भारतीय भाषाओं और अँग्रेज्ती से कई प्रसिद्ध नाटकों का हिन्दी में अनुवाद। अनेक देशों में रंगकार्यशालाएँ, प्रस्तुतियाँ और अध्यापन। कृतियाँ: ये आदमी ये चूहे, मीडिया, चाणक्य प्रपंच, पहला रंग, रंग कोलाज, दर्शन-प्रदर्शन, अन्तरंग बहिरंग, रंगमंच का सौन्दर्यशास्त्र, रचना प्रकिया के पड़ाव और पढ़ते, सुनते, देखते।

Additional information

Editor

Abha Gupta Thakur

Binding

Paperback

Language

Hindi

ISBN

978-93-6201-926-4

Pages

262

Publication date

01-02-2025

Publisher

Setu Prakashan Samuh

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