Description
DILLY DAYAAR (Novel) by Gyan Chand Bagdi
Original price was: ₹325.00.₹276.00Current price is: ₹276.00.
दिल्ली दयार – ज्ञानचन्द बागड़ी
समय के साथ हर क्षेत्र में परिवर्तन होता है। व्यक्ति, रिश्तों, परिवार, जाति, समाज, राजनीति से लेकर गाँव, कस्बे, शहर तक रचनाकार इस परिवर्तन को अपनी आँखों से देखता है। वह बारीकी से अपनी रचना के माध्यम से उसे अभिव्यक्त करता है। उसकी गूंज दूर तक जाती है क्योंकि उसी में आने वाले समय की आहटें सुनाई देती हैं।
ज्ञानचन्द बागड़ी का यह उपन्यास मुण्डका गाँव के कप्तान साहब और बेबे के बहाने जीवन के हर क्षेत्र में आ रहे परिवर्तन की कथा है। 1977 से लेकर वर्तमान तक बदलाव की इस प्रक्रिया को उपन्यासकार ने सूक्ष्मता से अध्ययन कर अभिव्यक्त किया है। दिल्ली से सटे गाँव मुण्डका के कप्तान साहब और बेबे को समय के साथ समझ में आ जाता है कि गाँव ही दुनिया नहीं है, बल्कि दुनिया ही अब गाँव में बदलती जा रही है। इसलिए छोटे बेटे वीरेन्द्र के अपनी पसन्द की लड़की के साथ विवाह को हलके विरोध के बाद स्वीकार कर लेते हैं। अपने पोते-पोतियों के विवाह तक आते-आते बेबे का घर धीरे-धीरे मानव संग्रहालय बनता जा रहा है। अब परिवार, जाति और धार्मिकता से बहुत दूर निकल गया है।
यह उपन्यास पूरी वैचारिक तैयारी के साथ लिखा गया है। लेखक नये-पुराने विमर्शों की पूरी जानकारी रखने के साथ यह भी जानते हैं कि एक प्रतिबद्ध रचनाकार को किसका पक्षधर होना चाहिए। वे अपने समय के सत्य या यथार्थ से भलीभाँति परिचित हैं। इसलिए कथा पात्रों के साथ स्वतः सम्पूर्ण होती चलती है। छोटी उम्र में ब्याह कर आयी बेबे के अस्सी साल तक की यात्रा स्वयं उसके परिवर्तन की ही नहीं बल्कि एक समूचे कालखण्ड के परिवर्तन की यात्रा है। वे कहती हैं, ‘बचपन में ऊँच-नीच, भेदभाव देखकर बड़े हुए तो यो बेमारी म्हारे में भी आ गयी। मैंने शुरू सै नीची जातवालों ताईं भेदभाव राखा, छुआछूत राखी। अब मेरे बेटे-बहुओं से मैंने बुढ़ापे में सिख्या की इंसानियत से बड़ा कोई धर्म और जात कोयै नहीं होवै। मेरे दाह-संस्कार में और परसादी में बिना भेद करे सभी जात के लोगाँ नै बुलाइयो।’ यह उपन्यास समाजशास्त्रीय दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है। इसमें समाज के प्रत्येक क्षेत्र में आए हुए आते जा रहे परिवर्तन के बीज देखे जा सकते हैं। छोटे से सूत्र में मुण्डका गाँव के एक परिवार की कथा को पिरोकर समूचे गाँवों के परिवारों की कथा बना दिया उपन्यासकार ने। भाषा का प्रभाव इतना सहज है कि हर पाठक को उपन्यास पढ़ते हुए लगता है अरे, यह तो मेरे ही गाँव के परिवार की कहानी है। किसी भी रचना की यह सबसे बड़ी विशेषता होती है कि पाठक उसे आत्मसात् कर सके।
– सत्यनारायण
Order this book in 1-Click Using RazorPay Button
In stock
DILLY DAYAAR (Novel) by Gyan Chand Bagdi
| Author | Gyan Chand Bagdi |
|---|---|
| Binding | Paperback |
| Language | Hindi |
| ISBN | 978-93-6201-261-6 |
| Pages | 214 |
| Publication date | 30-01-2025 |
| Publisher | Setu Prakashan Samuh |
You must be logged in to post a review.
Reviews
There are no reviews yet.