Description
1857 ki Kranti ka Awadh (Memoris) by Thoman Henri Kawanagh
About the Author
राजगोपाल सिंह वर्मा
इतिहास एवं पत्रकारिता में शिक्षित लेखक, केन्द्र एवं राज्य सरकारों के विभागों में कार्य कर चुके हैं। वह उत्तर प्रदेश सरकार की पत्रिका ‘उत्तर प्रदेश’ के सम्पादक रहे हैं और भारत सरकार के उद्योग व स्वास्थ्य मन्त्रालयों में सम्पादन कार्यों का दीर्घ अनुभव रखते हैं।
इतिहास, जनसंघर्ष, महिला नेतृत्व और जीवनी विषयों पर आधारित अब तक उनकी 28 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें बेगम समरू का सच, पहली औरत, 1857 का शंखनाद, किंगमेकर्स, स्वर्णा, सेनापति और लखनऊ : 1857 की गाथा जैसी चर्चित कृतियाँ शामिल हैं।
इतिहास की अन्तर्ध्वनियों को समकालीन चेतना से जोड़ने में उनकी लेखनी विशेष दक्षता रखती है। उनके लेखन की विशेषता है कि वह दस्तावेज्जीय गहराई, शैलीगत सन्तुलन और भावनात्मक संयम को एकसाथ बिना किसी विशिष्ट दृष्टि, और निष्पक्षता से साधते हैं। उनका कार्य न केवल ऐतिहासिक सन्दर्भों का पुनर्पाठ है, बल्कि यह उस सांस्कृतिक विमर्श का भी विस्तार है, जिसमें स्वतन्त्रता, समानता और आधुनिक भारत की परिकल्पना स्त्रियों के दृष्टिकोण से केन्द्र में आती है। उन्हें पं. महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान, बेचन शर्मा ‘उग्र’ सम्मान, कमलेश्वर स्मृति कथा पुरस्कार, प्रेमचन्द सम्मान (2023) और हरिवंश राय ‘बच्चन’ सम्मान (2024) जैसे प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हैं।
Navneet Km. –
“लखनऊ केन्द्रित 1857 की क्रान्ति का औपनिवेशिक वृत्तान्त, ऐतिहासिक अध्ययन के लिए अत्यंत उपयोगी।”
Vimala –
“1857 की क्रान्ति पर ब्रिटिश दृष्टिकोण का महत्त्वपूर्ण संस्मरण, इतिहास-बोध को नया आयाम देता है।”