-20.27%

1857 ki Kranti ka Awadh (Memoris) by Thoman Henri Kawanagh

(2 customer reviews)

Original price was: ₹375.00.Current price is: ₹299.00.

1857 की क्रान्ति का अवध – थॉमस हेनरी कावानाघ

(मैंने विक्टोरिया क्रॉस कैसे जीता ?)
— अनुवाद राजगोपाल सिंह वर्मा


1857 की क्रान्ति पर अब तक असंख्य पुस्तकें लिखी गयी हैं- भारतीय और विदेशी दोनों दृष्टिकोणों से। परन्तु जिस पुस्तक का यह अनुवाद है, वह विशिष्ट है क्योंकि यह उस समय के एक ब्रिटिश प्रशासनिक अधिकारी का लिखा आँखों देखा हाल है। टी. हेनरी कावानाघ, न केवल घटनाओं के साक्षी थे, बल्कि उन्होंने लखनऊ के भीतर से ब्रिटिश सेना तक पहुँचने का जोखिम भरा कार्य भी किया, जिससे वे विक्टोरिया क्रॉस प्राप्त करने वाले प्रथम नागरिक बने। उनके संस्मरण 1857 की अवध स्थिति का औपनिवेशिक अन्तर्दृष्टि से प्रस्तुत किया गया विस्तृत विवरण है, जो साम्राज्यवादी सोच, सैन्य रणनीति और स्थानीय जन-मन के प्रति ब्रिटिश दृष्टिकोण को उजागर करता है। इस पुस्तक का हिन्दी में अनुवाद इसलिए आवश्यक था ताकि भारतीय पाठक न केवल विद्रोह को भारतीय पक्ष से, बल्कि अँग्रेजों की दृष्टि से भी देख सकें-जिससे ऐतिहासिक समझ अधिक सन्तुलित, आलोचनात्मक और परिपक्व बन सके। यह अनुवाद केवल एक भाषाई प्रयास नहीं, बल्कि इतिहास की परतों को खोलने की एक ईमानदार चेष्टा है। हिन्दी, इतिहास, सामाजिक विज्ञान के शोध छात्रों, भारतीय इतिहास और देश के स्वतन्त्रता संघर्ष में रुचि रखने वाले लोगों को यह क़िताब अवश्य पढ़नी चाहिए।


In stock

SKU: 1857 ki Kranti ka Awadh -PB Category:

Description

1857 ki Kranti ka Awadh (Memoris) by Thoman Henri Kawanagh


About the Author

राजगोपाल सिंह वर्मा

इतिहास एवं पत्रकारिता में शिक्षित लेखक, केन्द्र एवं राज्य सरकारों के विभागों में कार्य कर चुके हैं। वह उत्तर प्रदेश सरकार की पत्रिका ‘उत्तर प्रदेश’ के सम्पादक रहे हैं और भारत सरकार के उद्योग व स्वास्थ्य मन्त्रालयों में सम्पादन कार्यों का दीर्घ अनुभव रखते हैं।
इतिहास, जनसंघर्ष, महिला नेतृत्व और जीवनी विषयों पर आधारित अब तक उनकी 28 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें बेगम समरू का सच, पहली औरत, 1857 का शंखनाद, किंगमेकर्स, स्वर्णा, सेनापति और लखनऊ : 1857 की गाथा जैसी चर्चित कृतियाँ शामिल हैं।
इतिहास की अन्तर्ध्वनियों को समकालीन चेतना से जोड़ने में उनकी लेखनी विशेष दक्षता रखती है। उनके लेखन की विशेषता है कि वह दस्तावेज्जीय गहराई, शैलीगत सन्तुलन और भावनात्मक संयम को एकसाथ बिना किसी विशिष्ट दृष्टि, और निष्पक्षता से साधते हैं। उनका कार्य न केवल ऐतिहासिक सन्दर्भों का पुनर्पाठ है, बल्कि यह उस सांस्कृतिक विमर्श का भी विस्तार है, जिसमें स्वतन्त्रता, समानता और आधुनिक भारत की परिकल्पना स्त्रियों के दृष्टिकोण से केन्द्र में आती है। उन्हें पं. महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान, बेचन शर्मा ‘उग्र’ सम्मान, कमलेश्वर स्मृति कथा पुरस्कार, प्रेमचन्द सम्मान (2023) और हरिवंश राय ‘बच्चन’ सम्मान (2024) जैसे प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हैं।


Additional information

Author

Thoman Henri Kawanagh

Binding

Paperback

Translation

Rajgopal Singh Verma

Language

Hindi

ISBN

978-93-6201-619-5

Pages

258

Publisher

Setu Prakashan Samuh

2 reviews for 1857 ki Kranti ka Awadh (Memoris) by Thoman Henri Kawanagh

  1. Navneet Km.

    “लखनऊ केन्द्रित 1857 की क्रान्ति का औपनिवेशिक वृत्तान्त, ऐतिहासिक अध्ययन के लिए अत्यंत उपयोगी।”

  2. Vimala

    “1857 की क्रान्ति पर ब्रिटिश दृष्टिकोण का महत्त्वपूर्ण संस्मरण, इतिहास-बोध को नया आयाम देता है।”

Add a review

You may also like…

0
YOUR CART
  • No products in the cart.