Ashutosh : Asamay Kaal-kavlit Yoddha (Sansmaran) Edited by Priyankar Paliwal

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आशुतोष

असमय काल-कवलित योद्धा

सम्पादक:प्रियंकर पालीवाल


“फिर आना दोस्त, मिठाई खाने के लिए रानीगंज, पत्नी खरीदकर ले आयी है, शर्मा स्वीट्स से
आधा किलो काजू बर्फी, वहाँ की मिठाइयाँ अच्छी होती हैं, खत्म भी हो गयी मिठाइयाँ तो क्या ?
फिर ले आऊँगा तुम्हारी पसन्द का खीर कदम, रसोगुल्ला, सोन्देश और थोड़ा सा गुड़।”


एक जिन्दादिल बुद्धिजीवी

आशुतोष सिंह की ठेठ पहचान उनकी दाढ़ी के पीछे उनकी सरलता है, जिससे मेरा तब से परिचय है जब वे भागलपुर में थे। उनके गुरु थे राधाकृष्ण सहाय, जो नाटक लिखते थे और एक अच्छे चिन्तक के साथ एक बहुत ही सहृदय इंसान थे। उन्होंने मुझे आशुतोष सिंह की पी-एच.डी. की मौखिकी के लिए बुलाया था। मुझे तभी आशुतोष सरल के साथ बहुत समझदार लगे थे। यह 1986-87 की बात होगी। एक दुबला-छरहरा, हँसमुख, कुछ-कुछ बेफिक्री से भरा नौजवान। उसी समय उन्होंने बताया कि वे जेपी आन्दोलन में शामिल थे और अपने गुरु राधाकृष्ण सहाय जी की नाट्य मण्डली में सक्रिय थे। आशुतोष कोलकाता में कॉलेज सर्विस कमीशन के साक्षात्कार में आए थे और वे कॉलेज शिक्षक बनकर 1990 के आसपास कलिम्पोंग आ गये और कई वर्ष वहीं रहे।
– इसी पुस्तक से

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About the Author

आशुतोष
जन्म : 06 फरवरी 1958।
जन्मभूमिः चटमाग्राम, जिला बाँका (बिहार)
शिक्षा: स्नातकोत्तर (हिन्दी), पी-एच.डी. भागलपुर विश्वविद्यालय।
शैक्षणिक कार्य कलकत्ता विश्वविद्यालय के अन्तर्गत विद्यासागर कॉलेज फॉरवीमेन में अध्यापन कार्य।
शोध : निर्देशक, यू.जी. बोर्ड ऑफ स्टडीज के सदस्य।
साहित्यिक कार्य : दस्तक, संवेद, सबलोग, वसुधा,
अंगचम्पा, माध्यम आदि में कविता, समीक्षा एवं आलेख का प्रकाशन। 1997 में ‘अपनी भाषा’ के गठन से ही संस्था से जुड़ गये और उपाध्यक्ष बने रहे, पश्चिम बंगाल हिन्दी अकादमी के सदस्य स्थापना से ही बने रहे।
सामाजिक कार्य: 1982 के गंगा मुक्ति आन्दोलन में सक्रिय भूमिका। महिला अत्याचार के खिलाफ, जंगल बचाने, निजीकरण, मजदूरों का शोषण आदि के खिलाफ मधुपुर, बोधगया, भागलपुर सहित आन्दोलनात्मक कार्य के लिए दिल्ली, पटना, जमशेदपुर, हरसूद आदि जगहों पर गये।
मृत्यु : 14 नवम्बर 2023
स्थान : कोलकाता, पश्चिम बंगाल


प्रियंकर पालीवाल
कवि, समीक्षक और सम्पादक
अँग्रेजी और हिन्दी साहित्य में परास्नातक। विज्ञान व प्रौद्योगिकी केन्द्रित ‘दर्पण’ एवं कविता केन्द्रित पत्रिका ‘अक्षर’ के सम्पादक तथा ‘समकालीन सृजन’ के सहयोगी सम्पादक के रूप में कार्य किया। हॉलैण्ड से प्रकाशित ‘साहित्य का विश्व रंग’ के सलाहकार मण्डल के सदस्य।
अँग्रेजी और बांग्ला से महत्त्वपूर्ण अनुवाद कार्य। कवि नागार्जुन तथा कवि-गायक प्रदीप पर बनी शैक्षिक फिल्मों की पटकथा लिखी। ‘हिन्द स्वराज’ की शताब्दी के अवसर पर एक विशेष अंक का सम्पादन।
कविता संग्रह ‘वृष्टि-छाया प्रदेश का कवि’ प्रकाशित।
महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के कोर
ग्रुप, प्रकाशन केसदस्य रहे तथा www.hindisamay.com नामक हिन्दी साहित्य की प्रतिनिधि वेबसाइट के निर्माण हेतु यूजीसी-समर्थित परियोजना के सलाहकार, तत्पश्चात इसी विश्वविद्यालय के लिए विदेशी विद्यार्थियों के लिए पाठ्य-सामग्री निर्माण में विशेषज्ञ के रूप में सक्रिय रहे।
ऐतिहासिक महत्त्व की संस्था बंगीय हिन्दी परिषद (1947) के अध्यक्ष। भारतीय विद्या मन्दिर, कोलकाता के सलाहकार। एक राष्ट्रीय वैज्ञानिक संस्थान से संयुक्त निदेशक (राजभाषा) के पद से सेवानिवृत्त। राजस्थानी साहित्य एवं संस्कृति
परिषद्, जमशेदपुर द्वारा ‘कुरजां पुरस्कार’ से सम्मानित।


SKU: Ashutosh : Asamay Kaal-kavlit Yoddha-PB
Category:
Editor

Priyankar Paliwal

Binding

Paperback

Language

Hindi

ISBN

978-93-6201-123-7

Pages

232

Publication date

01-02-2025

Publisher

Setu Prakashan Samuh

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  • Lay : Bhav-Bhaav-Anubhav Ki – Purwa Bharadwaj

    पूर्वा भारद्वाज इस पुस्तक के पहले साहित्य में नहीं रही हैं, वे उसके इर्द-गिर्द लम्बे समय से हैं-साहित्य से उनका सम्बन्ध पारिवारिक है। ‘लय’ के गद्य में भव, भाव और अनुभव की ऐसी छवियाँ, अहसास और बखान हैं जो अक्सर साहित्य के भूगोल में दाखिल नहीं हो पाते हैं। वे ‘लगना’ ‘हलकापन’ और ‘फालतूपन’ पर विचार करती हैं, ‘इमली की खटास’, ‘सिटकनी’ ‘हवाई चप्पल’ पर लिखती हैं और मर्मदृष्टि से ‘बाबा’, ‘नानाजी’, ‘माँ’, नीलाभ मिश्र, रमाबाई आदि को याद करती हैं। सीधा सच्चा बयान और बखान वे, बिना किसी लच्छेदार मुद्रा के, सहज भाव से करती हैं। एक ऐसे समय में जब भव्यता और वैभव क्रूरता को छुपा रहे हैं तब साधारण जीवन में मानवीय ऊष्मा, सहानुभूति और सहकार की अलक्षित उपस्थिति और सम्भावना के दस्तावेज़ के रूप में यह पुस्तक प्रासंगिक है।

    – अशोक वाजपेयी

     

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