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PATJHAR KE RANG (Novel) by Shobha Narayan

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पतझर के रंग – शोभा नारायण


‘पतझर के रंग’ एक वयस्क प्रेम कहानी है जिसमें है पहले प्रेम जैसी अनिश्चितता और दुविधा, उसकी अपेक्षाएँ, उसकी चिन्ता, उसका उतावलापन। एक अजीब सा भय। प्रेम क्या हमेशा के लिए है… मन कहता है हाँ, पर दिमाग कहता है कहाँ होता है ऐसा। जाति-पाँति से ऊपर है प्रेम…न रंग देखता, न धर्म, न उम्र। बस हो जाता है… कब कहाँ कैसे… यह तो प्रेम ही जाने… उपन्यास के मुख्य पात्र हैं सुधा और विली। विली जर्मन मूल का अमेरिकी नागरिक है और सुधा है भारतीय मूल की एक अमेरिकी। उपन्यास की पृष्ठभूमि अमेरिका है। अमेरिका में पतझर के दिनों में बहुत से पेड़ों की पत्तियों के रंग बहुत ही मनभावन रंगों में बदल जाते हैं जमीन पर बिखरने और मिट्टी में आत्मसात् होने से पहले। जैसे वसन्त में हजारों फूलों की छटा दर्शनीय होती है वैसे ही इन पेड़ों का सौन्दर्य भी कम नहीं। पतझर एक रूपक के रूप में है। जीवन के पतझर में भी वसन्त के स्वप्न हो सकते हैं। अपने जीवन के उस पड़ाव पर हैं सुधा और विली, जब जिन्दगी ठहर सी जाती है… अब आगे क्या…और समय एक ऐसे बिन्दु पर ठिठका लगता है जहाँ हर दिन पहले से अलग नहीं होता… यह पीछे मुड़कर देखने का समय भी है… क्या खोया, क्या पाया, जानने का… कुछ के लिए यह नयी तलाश का समय है, कुछ के लिए अपने अन्दर झाँकने का, स्वयं से साक्षात्कार का भी। सुधा और विली ने एक-दूसरे के माध्यम से यह जाना, सम्मिलित खोज थी उनकी। सम्भवतः अपनी-अपनी जिन्दगी में प्रेम के उस कोमल भाव से वे दोनों अपरिचित रहे जो समर्पण की भावना से प्रेरित होता है। दैहिक प्रेम उनके लिए अवांछित नहीं है, उसके साथ जुड़ी है निबाहने की जिम्मेदारी, एक-दूसरे के सुख-दुख में पूरी निष्ठा से साथ देने की पहल और साथ होते हुए भी एक- दूसरे की जरूरत का एहसास और उसका आदर। उपन्यास की पृष्ठभूमि अमेरिका है। किसी भी नये देश में अपने देश को छोड़कर बसने की अपनी अलग समस्याएँ हैं विशेषकर पहली पीढ़ी के लिए जो अपनी जीवनशैली ही नहीं, साथ लाती है यादें, गली-मोहल्ला, रिश्ते-नाते, संगी-साथियों से बिछड़ने की टीस। ऐसी मनःस्थिति में यदि कोई समझने वाला साथी न हो तो अकेलापन काटने दौड़ता है… सुधा न केवल इस नये परिवेश में स्वयं को स्थापित करने की कशमकश से गुजर रही थी बल्कि हरि से अपने विवाह सम्बन्ध में एक प्रेमी, एक सहारा, एक साथ तलाश रही थी। यह केवल प्रेम कथा नहीं है… इसमें भारतीय और पाश्चात्य जीवनशैली की तुलना भी है… पूर्व और पश्चिम की जीवनदृष्टि एक-दूसरे से बहुत भिन्न है। अमेरिका में जन्मी नयी भारतीय अमेरिकी पीढ़ी के नये मूल्य, उनकी अलग सोच की भी पड़ताल करता है यह उपन्यास। शैली और भावना के स्तर पर जैसा लेखिका स्वयं कहती हैं इस उपन्यास को लम्बी कविता भी कहा जा सकता है।


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Description

PATJHAR KE RANG (Novel) by Shobha Narayan


शोभा नारायण

अँग्रेजी में एम.ए., एम-फ़िल. दिल्ली विश्व विद्यालय से। भारतीय तुलनात्मक साहित्य में विशेष रुचि और उसपर काम। दिल्ली यूनिवर्सिटी के मैत्रेयी कॉलेज से प्रोफ़ेसर के पद से सेवानिवृत्त। हिन्दी में दो कहानी संग्रह और एक उपन्यास जुबैदा प्रकाशित। कहानियाँ विदेशी और भारतीय भाषाओं में अनुवादित और प्रकाशित। अन्य लेखकों की रचनाओं के अँग्रेजी में अनुवाद, अधिकतर कविताएँ। राजस्थान पत्रिका के सृजनात्मक साहित्य के अन्तर्गत कहानी के लिए 2009 का प्रथम पुरस्कार। अँग्रेजी में शोध-पत्र। देश-विदेश में प्रस्तुति। कई सांस्कृतिक संस्थाओं में भागीदारी। आजकल अँग्रेजी में कविताएँ लिख रही है; कुछ प्रकाशित। हाल में एक डिजिटल फ़िल्म प्रोड्यूस की है जिसे एक फ़िल्म फ़ेस्टिवल में स्थान मिला की,

Additional information

Author

Shobha Narayan

Binding

Paperback

Language

Hindi

ISBN

978-93-6201-865-6

Pages

168

Publication date

20-01-2025

Publisher

Setu Prakashan Samuh

1 review for PATJHAR KE RANG (Novel) by Shobha Narayan

  1. Ravi Shukl

    पतझर के रंग केवल एक प्रेम कथा नहीं, बल्कि जीवन के गहरे भावों, रिश्तों और सांस्कृतिक अंतरों को दर्शाने वाला संवेदनशील उपन्यास है।

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