Description
Hua Karte the Raadhe (Hindi Novel) by Meena Gupta
गाँव भर में खबर हो गयी ‘राधे घर मा खुड्डीघर बनवाये हैं… एक नहीं दुई-दुई !’ ठाकुरों के जिस मोहल्ले में घर बनवाया वहाँ प्रतिरोध अपनी पूरी नग्नता में हल्ला मचाने लगा ‘अब या बनिया घर मा हगी… मोहल्ला भ्रष्ट करी।’ पड़ोस के ठाकुर-ब्राह्मण एक हो गये। सुबह-शाम जिनसे राम-राम होती थी अब वही मुँह बिचकाने लगे। पुरुषों ने घर की महिलाओं को बरजा ‘खबरदार ! जो रानियाँ देवी के लगे गयी तो… हड्डी भुरकुन्ना कर दूँगा।’ राधे जी का आत्मसम्मान तिलमिलाया। पानीदार थे… जिस जगह उनके लिए मान नहीं रहा वह जगह उनकी तरक्की के लिए भी ठीक नहीं… गाँव छोड़ने का उन्होंने पक्का मन बना लिया… अभी नये घर की खुशी खत्म भी नहीं हुई थी। अम्मा ने सतमासा गर्भधारण किये बहू का मुँह दिखाकर रोकना चाहा मगर वह नहीं रुके… एक दिन भी ! अमावस्या की काली अँधेरी रात में गाँव में सोता पड़ते ही चुपचाप अकेले निकल पड़े… न पत्नी को बताया न ही माँ के पैर लगे ‘मोह कहीं रोक न ले।’…
– इसी पुस्तक से
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