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Badalte Akshansh (Novel) By Tej Pratap Narayan

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बदलते अक्षांश ( उपन्यास) – तेज प्रताप नारायण

उपन्यास ‘बदलते अक्षांश’ की कथा का केन्द्र पूर्वांचल का एक गाँव है लेकिन इसके कथा-क्षेत्र का विस्तार अमेरिका और यूरोप तक है। तकनीक के क्षेत्र में उच्च शिक्षा प्राप्त कुछ युवाओं के सामाजिक अनुभवों, जीवन संघर्षों और भविष्य की सम्भावनाओं के माध्यम से कथा को विस्तार दिया गया है।
इन्हीं में से एक युवा अविनाश की नियुक्ति भारतीय प्रशासनिक सेवा में होती है जिसके माध्यम से उसका सामना ग्रामीण जीवन की वास्तविकताओं और प्रशासनिक व्यवस्था की कुव्यवस्थाओं से होता है। स्वयं ग्रामीण परिवेश से होने के बावजूद वह ग्रामीण जीवन में होने वाले बदलावों को महसूस करता है। जहाँ अपनापन था, प्रेम था, सम्मान था, वहाँ अब इन तत्त्वों का लोप हो गया है। निजी हित-लाभ सामाजिक मूल्यों पर भारी हो गये हैं। गाँव में होली और फगुआ के रंग अब फीके पड़ गये हैं। शहरी जीवन का प्रभाव ग्रामीण जीवन को आच्छादित करने लगा है। शहर में मौजूद सम्भावनाओं को तलाशने के बजाय वहाँ के दुर्गुण ग्रामीण युवाओं को अधिक आकर्षित कर रहे हैं। गाँव की भावी पीढ़ियों के मध्य जो भटकाव आ गया है उसे विकास के मार्ग पर अग्रसर करने का एकमात्र माध्यम शिक्षा है, उपन्यास इसे बड़े स्पष्ट शब्दों में निरूपित करता है। ज्ञान आधारित शिक्षा, डिग्री आधारित नहीं।
ग्रामीण जीवन में बदलाव के साथ-साथ उसे व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार से भी रूबरू होना पड़ता है। विशिष्ट यह है कि भ्रष्टाचार को एक योग्यता के रूप में देखा जा रहा है और उसे सामाजिक स्वीकार्यता भी प्राप्त है।
भ्रष्टाचार के साथ ही प्रशासनिक निष्क्रियता, टालमटोल की प्रवृत्ति और दूसरे की राह में रोड़ा अटकाने की मानसिकता को भी उपन्यास में बखूबी चित्रित किया गया है। सामाजिक जीवन में व्याप्त जातीय व्यवस्था किस प्रकार प्रशासनिक तन्त्र से आकर जुड़ जाती है और योग्य व्यक्तियों के अवसरों का अयोग्यों के लिए उपयोग करती है, इसका भी वर्णन परत दर परत उपन्यास में किया गया है।
जहाँ देश के युवा अपना समय लड़ाई-झगड़े, नशे और मोबाइल पर वीडियो देखने में बर्बाद कर रहे हैं वहीं विदेश में युवा अपना समय नये अनुसन्धान, विचार, विज्ञान और व्यवसाय में लगा रहे हैं। एमआईटी के माध्यम से उपन्यास में इसे बड़े विस्तार से वर्णित किया गया है। देश से बाहर रहने वाले लोगों के सामाजिक जीवन, रहन-सहन और उनकी मानसिक अवस्थिति को उपन्यास में प्रदीप, मोनिका, अर्चना इत्यादि पात्रों के माध्यम से दिखाया गया है। इस पूरे उपक्रम में उपन्यास जिस ओर स्पष्ट इशारा करता है वह है मानवीय संवेदना। संवेदना से शून्य व्यक्ति सफल हो या असफल, जीवन में सुखी नहीं हो सकता।
उपन्यास की भाषा न सिर्फ रोचक और सरल है बल्कि इसमें भाषाई विविधता भी है। पढ़े-लिखे शहरी लोगों की हिन्दी व अँग्रेजी तथा ग्रामीण परिवेश के लोगों की स्थानीय बोली अभिव्यक्ति को जीवन्त बनाती हैं। पात्रों के परिवेश की विविधता अभिव्यक्ति को इन्द्रधनुषी रंग प्रदान करती है। इसके साथ ही लोकोक्तियाँ, कहावतें और फिल्मी गाने पठनीयता को बढ़ाते हैं।
यह उपन्यास अपने कथा-प्रदेश के विस्तार के साथ-साथ कथा-परिवेश की विविधता भी लिये हुए है जो भाषा के विविध रंगों से सराबोर है। समग्र रूप से यह कहा जा सकता है कि अपने विषय और भाषा की रोचकता के साथ यह निश्चित रूप से पठनीय है।


 

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Badalte Akshansh (Novel) By Tej Pratap Narayan


About the Author

तेज प्रताप नारायण

इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट और अँग्रेजी साहित्य में पराखातक तेज प्रताप नारायण की रचनाएँ साहित्य और विज्ञान के संगम की तरह हैं। साहित्य में विज्ञान का सुन्दर समावेश करने वाले विरले साहित्यकारों में तेज प्रताप नारायण का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। मूलतः बहराइच, उ. प्र. के रहने वाले तेज प्रताप नारायण का डेरा अभी देश के दिल में है। प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ, समीक्षा और लेख प्रकाशित।
कृतियाँ: ‘सूरज की नई किरण’, ‘अपने-अपने एवरेस्ट’, ‘सीमाओं के पार’, ‘किंतु परंतु, ‘दिसंबर की वो सर्द रात’, ‘बुद्ध होने के मायने’, ‘एक नदी थी सई’ और ‘ईश्वर की खोज’ (कविता संग्रह); ‘कितने रंग जिंदगी के’, ‘एयरपोर्ट पर एक रात’ (कहानी संग्रह); ‘टेक्निकल लव’, ‘बदलते अक्षांश’ (उपन्यास); साझा उपन्यास ‘जिंदगी है हैंडल हो जाएगी’; ‘जीरो बटा सन्नाटा’ (व्यंग्य संग्रह); ‘खामोशी टूटने को है’ (गजल संग्रह); ‘कस्तूरी कुंडल बसे’, ‘गोली डंडा व होइंगा’, ‘पेट चीर दिया ब होईगा’ (लेख संग्रह)।
इनके लेखन के लिए इनको कई सम्मानों और पुरस्कारों से नवाजा गया है। जिसमें कविता के लिए भारत सरकार का मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, कहानी और उपन्यास के लिए प्रेमचंद सम्मान शामिल हैं। इसके अतिरिक्त साहित्य गौरव सम्मान, लिटरेरी एक्सीलेंस अवार्ड, शब्द श्री सम्मान जैसे सम्मान भी विभिन्न साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा दिये गये हैं।

Additional information

Author

Tej Pratap Narayan

Binding

Paperback

Language

Hindi

ISBN

978-93-6201-049-0

Pages

336

Publication date

01-02-2025

Publisher

Setu Prakashan Samuh

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