-15%

KHATRE MEIN DHARMNIRPEKSHTA by Ram Puniyani

(1 customer review)

Original price was: ₹450.00.Current price is: ₹383.00.

खतरे में धर्मनिरपेक्षता – राम पुनियानी  (सम्पादक रविकान्त)

धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान का बुनियादी मूल्य है। यद्यपि मूल संविधान में इसका जिक्र नहीं है, लेकिन इसके स्वभाव में मौजूद है। आरम्भ से ही धर्मनिरपेक्षता स्वतन्त्र भारत के लिए चुनौतीपूर्ण रही है। फ्रांसीसी लेखक एंड्रे मेलरॉक्स के एक सवाल के जवाब में, पहले प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि ‘देश के सामने वर्तमान में दो सबसे बड़ी चुनौतियाँ हैं। एक, न्यायपूर्ण साधनों द्वारा समतामूलक समाज का निर्माण करना और दूसरा, एक धार्मिक देश में धर्मनिरपेक्ष राज्य का निर्माण करना।’ राष्ट्र निर्माण का एक उद्देश्य धर्मनिरपेक्षता को स्थापित करना था। अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमले और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को खत्म करने की सियासत के खिलाफ राम पुनियानी जी पिछले दो दशक से लगातार लिखते-बोलते रहे हैं। वह गांधीवादी और संवैधानिक मूल्यों के सजग प्रहरी हैं। यह किताब धर्मनिरपेक्षता पर बढ़ते खतरे से सम्बन्धित उनके लेखों का संकलन है।

– इसी पुस्तक से


In stock

Wishlist
SKU: Khatre Mein Dharmnirpekshta-PB Categories: ,

Description

KHATRE MEIN DHARMNIRPEKSHTA
by Ram Puniyani (Edited by Ravikant)


राम पुनियानी

जन बुद्धिजीवी, लोकप्रिय वक्ता, इतिहास और समकालीन राजनीति के अध्येता, धर्मनिरपेक्षता और समाज अध्ययन केन्द्र के अध्यक्ष, साम्प्रदायिक सद्भावना और राष्ट्रीय एकता के लिए निरन्तर लेखन एवं सक्रियता, अनेक किताबों के लेखक, जैसे- साम्प्रदायिक राजनीति (2002), गांधी की दूसरी बार हत्या (2003), जाति और साम्प्रदायिकता (2015), अंबेडकर और हिन्दुत्व की राजनीति (2016), हिंसा-साम्प्रदायिकता (2021), भारतीय राष्ट्रवाद बनाम हिन्दू राष्ट्रवाद (2021), अंबेडकर, दलित और स्त्री प्रश्न (2023), वैश्विक आतंकवाद और भारत की अस्मिता (2024), आरएसएस और हिन्दुत्व की राजनीति (2024), अल्पसंख्यक राजनीति और समाज (2025) Religious Nationalism, Social Perception and Violence (2021) 1 सम्मान : इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय एकता अवार्ड (2006), राष्ट्रीय एकता अवार्ड (2007)


रविकान्त

अंबेडकरवादी विचारक, राजनीतिक विश्लेषक, दलित मामलों के विशेष जानकार, साहित्य- समीक्षक, सामाजिक न्याय और साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए निरन्तर लेखन एवं सक्रियता, कई किताबों के लेखक और सम्पादक, जैसे- आलोचना और समाज (2016), आज के आईने में राष्ट्रवाद (2018), आजादी और राष्ट्रवाद (2018), ‘आधा गाँव’ में मुस्लिम अस्मिता (2019), वैश्वीकरण, हिन्दी साहित्य और आलोचना (2020), इतिहास, धर्म और राजनीति (2020), अंबेडकर, दलित और स्त्री प्रश्न (2023), अद्यतन हिन्दी काव्य (2023), प्रतिनिधि कविताएँ ओमप्रकाश वाल्मीकि (2024), सम्पूर्ण कविताएँ : ओमप्रकाश वाल्मीकि (2024), वैश्विक आतंकवाद और भारत की अस्मिता (2024), आरएसएस और हिन्दुत्व की राजनीति (2024), अल्पसंख्यक राजनीति और समाज (2025)। पत्रिका सम्पादन : अदहन सम्प्रति : एसोसिएट प्रोफेसर, हिन्दी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ।

Additional information

Author

Ram Puniyani

Ediitor

Ravikant

Binding

Paperback

Language

Hindi

ISBN

978-93-6201-779-6

Pages

360

Publication date

14-01-2025

Publisher

Setu Prakashan Samuh

1 review for KHATRE MEIN DHARMNIRPEKSHTA by Ram Puniyani

  1. Shrihari

    राम पुनियानी की यह पुस्तक भारतीय धर्मनिरपेक्षता, संविधान और वर्तमान खतरों पर एक गहन, प्रासंगिक और प्रेरक विश्लेषण है।

Add a review

You may also like…

0
YOUR CART
  • No products in the cart.