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Jis Lahore Nai Dekhya O Jamyai Nai By Mrityunjay Prabhakar

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जिस लाहौर नइ देख्या ओ जम्याइ नइ – 

प्रधान सम्पादक: महेश आनन्द, देवेन्द्र राज अंकुर
सम्पादक: मृत्युंजय प्रभाकर


असगर वजाहत कहानी, उपन्यास, आत्मकथा, यात्रा-संस्मरण, नाटक आदि अनेक विधाओं में एकसाथ सक्रिय हैं। उनके नाटकों ने शुरू से हिन्दी पाठकों व दर्शकों का ध्यान खींचा है। उनके नाटकों में जो एक बात सामान्य है, वह है उनमें निहित व्यंग्य, विडम्बना और विद्रूरूपता। नाटकों का कथानक भी इन्हीं के इर्द-गिर्द रचा गया है। नाटक ‘जिस लाहौर नइ देख्या…’ का ताना-बाना भी कुछ इसी तरह बुना गया है। पूरा नाटक यथार्थवादी है, लेकिन प्रारम्भिक दृश्य में ही व्यंग्य-विडम्बना-विद्रूरूपता से साक्षात्कार होता है। मण्टो के यहाँ भी भारत-पाक विभाजन के ऐसे ही तिलमिलाते नज़ारे मिलते हैं! विभाजन अब भी कई लोगों के लिए एक गुत्थी ही है। इतिहास में इसकी गहरी और विस्तृत छान-बीन है। साम्राज्यवादी मंसूबों से इंसानियत की तबाही तो एक जाना-माना तथ्य है, लेकिन मनुष्य का एक-दूसरे के ही ख़िलाफ़ नफ़रत, पागलपन कई बार एक अनसुलझी गुत्थी ही लगती है। इंसानियत ही जैसे खुद अपने सामने यह सवाल रखती है कि क्या एक धरती के कई टुकड़े किये जा सकते हैं? क्या कई टुकड़ों में बँटी धरती के बाशिन्दों की फ़ितरत भी बँट जाती है ?
– इसी पुस्तक से

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Description

Jis Lahore Nai Dekhya O Jamyai Nai By Mrityunjay Prabhakar


About the Author

महेश आनन्द
जन्म 5 फ़रवरी 1946 को। उच्च शिक्षा दिल्ली वि.वि. से। दिल्ली कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स ऐण्ड कॉमर्स, दिल्ली वि.वि. में 40 वर्ष तक अध्यापन। ‘नटरंग’ में 24 वर्षों तक सम्पादन सहयोग। सचिव, एण्टन चेखव ड्रामा स्टूडियो (1986-88) सोवियत कल्चरल सेंटर, दिल्ली। कृतियाँ: कहानी का रंगमंच (1997), जयशंकर प्रसाद रंगदृष्टि (1998), जयशंकर प्रसाद रंगसृष्टि (1998), रंग दस्तावेज सौ साल (दो खण्ड, 2007), रंगमंच के सिद्धात (देवेन्द्र राज अंकुर के साथ संपादन, 2008), रेखा जैन (बाल नाटककार, निर्देशक, मोनोग्राफ 2010), हिन्दी रंगमंच एक दृश्य यात्रा (2019), दृश्य के साथ-साथ (2021), रंगसंवाद (2021)। पुरस्कार विशिष्ट कृति सम्मान, हिन्दी अकादमी, दिल्ली (1988-89); सिद्धनाथ कुमार स्मृति सम्मान, राँची (2010); सीनियर फेलोशिप, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार नयी दिल्ली (2011-12); विशिष्ट समीक्षक सम्मान, नट सम्राट, दिल्ली (2017); नेपथ्य रंगसम्मान, 2022 (रंगमंच के दस्तावेजीकरण के लिए)।


देवेन्द्र राज अंकुर
दिल्ली विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से निर्देशन में विशेषज्ञता के साथ नाट्य कला में डिप्लोमा। बाल भवन, नयी दिल्ली के वरिष्ठ नाट्य प्रशिक्षक। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमण्डल के सदस्य। भारतेन्दु नाट्य अकादमी, लखनऊ में नाट्य-साहित्य, रंग स्थापत्य और निर्देशन के अतिथि विशेषज्ञ। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, दिल्ली; क्षेत्रीय अनुसन्धान व संसाधन केन्द्र, बेंगलुरु के निदेशक। ‘सम्भव’, नयी दिल्ली के संस्थापक सदस्य और प्रमुख निर्देशक। नयी विधा ‘कहानी का रंगमंच’ के प्रणेता। भारत की सभी भाषाओं और रूसी भाषा में रंगकर्म का अनुभव। दूरदर्शन के लिए नाट्य-रूपान्तरण और निर्देशन। हिन्दी की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में रंगमंच पर लेख और समीक्षाएँ। अन्य भारतीय भाषाओं और अँग्रेज्ती से कई प्रसिद्ध नाटकों का हिन्दी में अनुवाद। अनेक देशों में रंगकार्यशालाएँ, प्रस्तुतियाँ और अध्यापन। कृतियाँ: ये आदमी ये चूहे, मीडिया, चाणक्य प्रपंच, पहला रंग, रंग कोलाज, दर्शन-प्रदर्शन, अन्तरंग बहिरंग, रंगमंच का सौन्दर्यशास्त्र, रचना प्रकिया के पड़ाव और पढ़ते, सुनते, देखते।

मृत्युंजय प्रभाकर
जन्म : 14 सितम्बर 1979 को बिहार के नालन्दा जिले के सैदनपुर गाँव में। शिक्षा अँग्रेजी साहित्य में स्नातक। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से कला और सौन्दर्यशास्त्र में एम.ए. और थिएटर एण्ड परफार्मेंस स्टडीज में एम.फिल. और पी-एच.डी.।
लेखन : दर्जन भर से अधिक मौलिक नाटक लिखे हैं। कई देशी-विदेशी नाटकों का हिन्दी में अनुवाद-रूपान्तरण किया है।
नाट्य आलोचना की इनकी पुस्तक ‘समकालीन रंगकर्म’ और ‘रिइन्वेंशन ऑफ़ ट्रेडिशनल थिएटर पफॉमन्सेंस इन कॉलोनियल/पोस्ट कॉलोनियल इंडिया’ के अतिरिक्त कई पुस्तकों और पत्र-पत्रिकाओं में भी रंगमंच, कला, सिनेमा, साहित्य और समसामयिक मुद्दों पर इनके लेख प्रकाशित हैं। एक कविता संग्रह जो मेरे भीतर हैं भी प्रकाशित ।
मृत्युंजय प्रभाकर पिछले 30 सालों से पूर्णकालिक तौर पर सहर (शान्तिनिकेतन, नयी दिल्ली), बहरूप (नयी दिल्ली) अभियान (पटना), प्रेरणा (पटना), प्रांगण (पटना) आदि रंगसंस्थाओं से जुड़े रहे हैं और कई नाटकों का निर्देशन किया है।
सम्प्रति : विश्व-भारती विश्वविद्यालय के संगीत भवन के नाट्यकला विभाग में असिस्टेण्ट प्रोफेसर ।

Additional information

Editor

Mrityunjay Prabhakar

Chief Editor

Mahesh Anand, Devendra Raj Ankur

Binding

Paperback

Language

Hindi

ISBN

978-93-6201-738-3

Publication date

01-02-2025

Pages

167

Publisher

Setu Prakashan Samuh

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