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Surya Ki Antim Kiran Se Surya Ki Pehali Kiran Tak (Criticism) Edited By Alok Mishra

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सूर्य की अन्तिम किरण से सूर्य की पहली किरण तक

प्रधान सम्पादक: महेश आनन्द, देवेन्द्र राज अंकुर
सम्पादक: आलोक मिश्र


सुरेन्द्र वर्मा जिस समय नाटक लिख रहे हैं उस समय स्त्री-विमर्श से लेकर जेण्डर की समझ विकसित हो रही है। लगातार नयी स्थापनाएँ केन्द्र में आ रही हैं और यह समझने का प्रयास किया जा रहा है कि स्त्री को मुक्ति आख़िर किससे चाहिए। किन्तु आज भी एक बड़ा प्रतिशत उन्हीं पुरातन मान्यताओं से बँधा जूझ रहा है। सुरेन्द्र वर्मा ने यह नाटक ऐतिहासिक कथ्य को आधार बनाकर लिखा है जिसे वर्तमान सन्दर्भ में रखकर बखूबी समझा जा सकता है। कथानक ऐतिहासिक होते हुए भी नाटक आधुनिक जीवन की समस्याओं से पूरी तरह जूझता है। यह नाटक पितृसत्ता की महीन ग्रन्थि को पूरे मनोयोग के साथ खोलने का प्रयास करता है। पितृसत्ता के साथ धर्म की क्या भूमिका है और धर्म किस प्रकार स्त्री पर नियन्त्रण बनाने का कार्य करता है इस जटिल प्रक्रिया को भी वर्मा जी ने अपने इस नाटक के माध्यम से पाठकों के सम्मुख लाने का प्रयास किया है।
– इसी पुस्तक से

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Description

Surya Ki Antim Kiran Se Surya Ki Pehali Kiran Tak (Criticism) Edited By Alok Mishra


About the Author

महेश आनन्द

जन्म 5 फरवरी 1946 को। उच्च शिक्षा दिल्ली वि.वि. से। दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्टस ऐण्ड कॉमर्स, दिल्ली वि. वि. में 40 वर्ष तक अध्यापन। ‘नटरंग’ में 24 वर्षों तक सम्पादन सहयोग। सचिव, एण्टन चेखव ड्रामा स्टूडियो (1986-88) सोवियत कल्चरल सेंटर, दिल्ली। कृतियाँ कहानी का रंगमंच (1997), जयशंकर प्रसाद रंगदृष्टि (1998), जयशंकर प्रसाद: रंगसुष्टि (1998), रंग दस्तावेज सौ साल (दो खण्ड, 2007), रंगमंच के सिद्धात (देवेन्द्र राज अंकुर के साथ संपादन, 2008), रेखा जैन (बाल नाटककार, निर्देशक, मोनोग्राफ 2010), हिन्दी रंगमंच एक दृश्य यात्रा (2019), दृश्य के साथ-साथ (2021), रंगसंवाद (2021)। पुरस्कार विशिष्ट कृति सम्मान, हिन्दी अकादमी, दिल्ली (1988-89); सिद्धनाथ कुमार स्मृति सम्मान, राँची (2010); सीनियर फेलोशिप, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार नयी दिल्ली (2011-12); विशिष्ट समीक्षक सम्मान, नट सम्राट, दिल्ली (2017); नेपथ्य रंगसम्मान, 2022 (रंगमंच के दस्तावेजीकरण के लिए)।

देवेन्द्र राज अंकुर

दिल्ली विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से निर्देशन में विशेषज्ञता के साथ नाट्य-कला में डिप्लोमा। बाल भवन, नयी दिल्ली के वरिष्ठ नाट्य प्रशिक्षक। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमण्डल के सदस्य। भारतेन्दु नाट्य अकादमी, लखनऊ में नाट्य-साहित्य, रंग स्थापत्य और निर्देशन के अतिथि विशेषज्ञ। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, दिल्ली; क्षेत्रीय अनुसन्धान व संसाधन केन्द्र, बेंगलुरु के निदेशक। ‘सम्भव’, नयी दिल्ली के संस्थापक सदस्य और प्रमुख निर्देशक। नयी विधा ‘कहानी का रंगमंच’ के प्रणेता। भारत की सभी भाषाओं और रूसी भाषा में रंगकर्म का अनुभव। दूरदर्शन के लिए नाट्य-रूपान्तरण और निर्देशन। हिन्दी की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में रंगमंच पर लेख और समीक्षाएँ। अन्य भारतीय भाषाओं और अँग्रेजी से कई प्रसिद्ध नाटकों का हिन्दी में अनुवाद। अनेक देशों में रंगकार्यशालाएँ, प्रस्तुतियाँ और अध्यापन। कृत्तियाँ ये आदमी वे चूहे, मीडिया, चाणक्य प्रपंच, पहला रंग, रंग कोलाज, दर्शन-प्रदर्शन, अन्तरंग बहिरंग, रंगमंच का सौन्दर्यशास्त्र, रचना प्रकिया के पड़ाव और पढ़ते, सुनते, देखते।

आलोक मिश्र
युवा कवि, कथाकार, सम्पादक
शिक्षा : स्नातकोत्तर (हिन्दी) इलाहाबाद वि.वि. । पी-एच.डी. (काशी हिन्दू वि.वि.) ।
पुस्तकें : ‘पुष्पलता’, ‘हिन्दी का जनपक्षधर रंगमंच’, ‘लखनपुर और अन्य कविताएँ’।
पुरस्कार : सब-रंग पुरस्कार से सम्मानित । राष्ट्रीय, पत्र-पत्रिकाओं में शोध आलेख प्रकाशित । राष्ट्रीय, अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोधपत्र वाचन ।
सम्प्रति : सहायक आचार्य, हिन्दी विभाग, ईश्वर शरण कॉलेज, इलाहाबाद विश्वविद्यालय ।

Additional information

Chief Editor

Mahesh Anand, Devendra Raj Ankur

Editor

Alok Mishra

Binding

Paperback

Language

Hindi

ISBN

978-93-6201-312-5

Pages

152

Publication date

01-02-2025

Publisher

Setu Prakashan Samuh

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