Description
Kahan Aa Gaye Hum Vote Dete-Dete? By Ravibhushan
About the Author:
रविभूषण अपने समय और समाज के ज्वलन्त मसलों और सवालों से टकराते हैं, साथ ही राजनीति और प्रशासन के बीच व्याप्त भ्रष्टाचार और आपराधिक अवसरवाद पर गंभीर प्रशन भी खड़े करते हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन। समय और समाज को केंद्र में रखकर साहित्य एवं साहित्येतर विषयों पर विपुल लेखन।
Reviews
There are no reviews yet.