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पार्थ चटर्जी
सेण्टर फॉर स्टडीत इन सोशल साइंसेज, कोलकाता में लम्बे समय तक प्रोफेसर व निदेशक रहने के बाद अब भी मानद प्रोफेसर की हैसियत से संस्थान से जुड़े हैं। साथ ही न्यूयॉर्क के कोलम्बिया विश्वविद्यालय में एन्थ्रोपोलॉजी व मध्यपूर्व, दक्षिण एशिया और अफ्रीका अध्ययन के विभाग से सम्बद्ध हैं। पार्थ चटर्जी एकसाथ हो राजनीतिक सिद्धान्तकार और इतिहासकार हैं और उनके काम ने पिछले तीन दशकों में भारत के अलावा दक्षिणी दुनिया के कई देशों में खासा असर छोड़ा है। उनके द्वारा लिखित और सम्पादित, अँग्रेजी व बांग्ला में तीस से ज्यादा किताबें उनके बहुआयामी काम को झलक देती हैं। वे सबाल्टर्न स्टडीत कलेक्टिव के संस्थापक सदस्य तो थे ही, साथ ही साथ वे एक नाटककार भी हैं और उनके द्वारा लिखित बांग्ला नाटकों का एक संकलन हाल ही में प्रकाशित हुआ है। उनकी कई किताबों में ‘नैशनलिस्ट थॉट इन द कोलोनियल वल्र्ड’ (1986), ‘नेशन एण्ड इट्स फ्रैगमेण्ट्स’ (1993), ‘पॉलिटिक्स ऑफ़ द गवन्र्ल्ड’ (2004), ‘लिनियेजेस ऑफ पॉलिटिकल सोसाइटी’ (2011), ‘द ब्लैक होल ऑफ़ एम्पायर’ (2012) आदि शामिल हैं।
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