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Aasman Aur Bhi Hain By Aditya Nigam

Original price was: ₹325.00.Current price is: ₹276.00.

आसमाँ और भी हैं – आदित्य निगम
(वैचारिक स्वराज के तक़ाज़े)

इस पुस्तक का सरोकार राजनीतिक दर्शन के क्षेत्र में ज्ञान के वि-उपनिवेशीकरण और वैचारिक स्वराज से है। हालाकि इसमें संकलित लेख पिछले दो दशकों के दौरान लिखे गये हैं, इन्हें एक ही तर्क का विस्तार कहा जा सकता है जिसका मक़सद ‘भारतीयता’ और ‘देशजता’ को लेकर चलती आ रही नारेबाजी और विलाप से आगे जाकर अपने वर्तमान से जूझने के लिए औजार तलाशना और तराशना है। आधुनिकता, पूँजीवाद, राष्ट्रवाद, जनतन्त्र और जनवाद, राजनीति और सियासत जैसे हमारे दौर के उलझे हुए सवालों पर नये सिरे से विचार करते हुए और पश्चिमी राजनीतिक सिद्धान्त से जिरह करते हुए यह पुस्तक ख़ुद अपनी परम्परा से भी मुखातिब होती है। आधुनिकता और पूँजीवाद द्वारा अतीत मान लिये गये वर्तमान को थ्योरी में बहाल करने के इरादे से जहाँ इसमें एक तरफ आधुनिकता के ‘इतिहासगत वक़्त’ के दर्शन से मुठभेड़ मिलेगी वहीं दूसरी तरफ़ ‘सुस्तक़दमी’ के ‘सौन्दर्यशास्त्र’ की वक़ालत भी। आज की चुनौतियों से सामना करने के लिए आज के अनुकूल वैचारिक औज़ार गढ़ने की जरूरत को रेखांकित करते हुए यह पुस्तक पश्चिम से मिले दर्शन को सिद्धान्त-निर्माण के एकमात्र स्रोत के रूप में स्वीकार करने के बजाय अपने तजुर्बो को प्राथमिकता देने पर जोर देती है।



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Description

जो भी ये दावा करते हैं कि भारतीय सामाजिक-सांस्कृतिक चिन्तन के बूते पर अलग समाज-विज्ञान गढ़ा जा सकता था या है, उनसे मेरा सवाल यह है कि क्या आप मीमांसा, न्याय या सांख्य के प्रत्ययों का इस्तेमाल करके बाजार के नियम या फिर जनतन्त्र व फ़ासिम जैसी परिघटनाओं पर रोशनी डाल सकते हैं? क्या आप दुनिया भर में चल रहे पूँजीवाद-विरोधी संघर्षों और आन्दोलनों द्वारा उठाये जा रहे पेचीदा सवालों के बारे में उन प्रत्ययों के आधार पर कोई विश्लेषण प्रस्तुत कर सकते हैं? मुझे लगता है ऐसा सम्भव नहीं है। लेकिन अगर किसी को यह सम्भव लगता है तो उस ज्ञान को कालकोठरी से निकालकर सामने लाएँ और जरूर प्रकाशित करें। जमाना बदल चुका है और अब ज्ञान पर किसी की पहरेदारी नहीं चल सकती है…
                         – इसी पुस्तक से

About the Author:

आदित्य निगम लम्बे समय तक सेण्टर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सी.एस.डी.एस.), दिल्ली से जुड़े थे और एक राजनीतिक सिद्धान्तकार होने के अलावा संस्थान के भारतीय भाषा कार्यक्रम के सदस्य व उसके द्वारा प्रकाशित पत्रिका प्रतिमान के सम्पादक मण्डल के भी सदस्य थे।

Additional information

ISBN

9789395160919

Author

Aditya Nigam

Binding

Paperback

Pages

264

Publication date

25-02-2023

Imprint

Setu Prakashan

Language

Hindi

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