Description
Pahli Aurat : Rana Liyaqat Begam By Rajgopal Singh Verma
हमारी स्मृतियों में जो मुस्लिम लीग के कद्दावर नेता और फिर पाकिस्तान के पहले प्रधानमन्त्री बने लियाक़त अली ख़ान कइ हमनवा बन राना बेगम के नाम से जानी गई।
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Kisanin Jaggi Devi : Swatantrata Ki Raah Par – Deepti Priya Mehrotra
नौवाँ दशक कविता की वापसी का दशक है। ऐसा कहना न केवल इस दृष्टि से सार्थक है कि इसमें कविता फिर साहित्य के केन्द्र में स्थापित हो गयी, बल्कि इस दृष्टि से भी कि इसमें गहरी सामाजिक प्रतिबद्धता वाली कविता अपने निथरे रूप में सामने आयी और पूरे परिदृश्य पर छा गयी। मदन कश्यप का संग्रह किंचित विलम्ब से निकल रहा है, वह भी मित्रों की प्रेरणा और दबाव से, लेकिन उनकी कविताएँ उक्त निथरी हुई कविता का बहुत बढ़िया उदाहरण हैं।
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Itihas Purush : Bakht Khan by Rajgopal Singh Verma
चूँकि यह एक स्वतःस्फूर्त आन्दोलन था, इसलिए 1857 की इस क्रान्ति का कोई एक सर्वमान्य नेता न था, न ही सेना की कमाण्ड किसी एक उच्च अधिकारी के हाथ में थी। हर बागी एक नेता था और हर व्यक्ति आज़ादी के इस जुनून को दिल में सँजोये हुए था। ऐसे में बरेली स्थित सैन्य घुड़सवार-आर्टिलरी ब्रिगेड के एक स्थानीय अधिकारी मुहम्मद बख़्त ख़ान का अपने समर्थकों के साथ दिल्ली पहुँचना, बादशाह द्वारा उसे फिरंगियों के विरुद्ध सेना का नेतृत्व करने के लिए सर्वोच्च ओहदा देना एक बहुत बड़ा कदम और सम्मान था।
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