-15.00%

Tajurbe ka Tanabana (ek Atmakatha) by Rakesh Kumar Singh

Original price was: ₹200.00.Current price is: ₹170.00.

तजुर्बे का तानाबाना – राकेश कुमार सिंह


‘तजुर्बे का तानाबाना’ राकेश कुमार सिंह की आत्मकथा है। इस पुस्तक में लेखक ने अपने जीवन की खट्टी-मिट्ठी यादों का विस्तार से वर्णन किया है।
इस आत्मकथा का विस्तार सिर्फ आत्म के चित्रण तक सीमित नहीं है अपितु यह समाज में व्याप्त असमानता, गरीबी, बेरोजगारी, साम्प्रदायिकता आदि विषयों पर भी प्रकाश डालती है। सामाजिक सौहार्द देश के लिए अत्यावश्यक है। कोई भी देश तभी उन्नति करता है, जब देश का वातावरण शान्त और सौहार्दपूर्ण होता है। आत्म का यह विस्तार ही इसे विशेष बनाता है।
इसी तरह लेखक ने राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय राजनीति और नीति पर भी लिखा है। आशा है कि यह पुस्तक पाठकों को सहज आकर्षित करेगी।


In stock

SKU: Tajurbe ka Tanabana-PB Category:

Description

Tajurbe ka Tanabana (ek Atmakatha) by Rakesh Kumar Singh

About the Author:
राकेश कुमार सिंह
इस पुस्तक के लेखक स्वभाव से खोजकर्ता हैं। पश्चिम से आगे रहना चाहते हैं। उनका बचपन एक छोटे शहर में शुरू हुआ और गाँवों में छुट्टियाँ बिताने की वजह से वे एक कामकाजी और प्रकृति प्रेमी बन गये। वयस्क होने के बाद और कई बाधाओं के बावजूद देश की राजधानी में जाने के बाद, वे एक चार्टर्ड अकाउण्टेण्ट बन गये। 28 वर्षों तक सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के अनुभव और देश-विदेश की यात्रा करने के अलावा, उन्होंने जीवन के विपर्यय को समझने का कोई मौका नहीं छोड़ा। जहाँ उन्हें काम के मोर्चे पर आनन्द के लिए सबसे अच्छी जगहों पर रहना पसन्द है, वहीं वे दुनिया के सबसे दूरदराज और गरीब हिस्से में काम करना पसन्द करते हैं।
काम के प्रति उनका जुनून और किसी प्रभावशाली व्यक्ति, संस्कृति या रीति-रिवाज से जुड़े बिना ज्ञान के साथ बिन्दुओं को जोड़ना। ‘नामदार’ (पदधारक) के बजाय ‘कामदार’ (कड़ी मेहनत करने वाले) के साथ रहना उन्हें शीर्ष पर पहुँचने की कतार से बाहर रखता है। उनका धर्म महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल के इर्द-गिर्द बना है। उनका आवेग सभी बाधाओं को तोड़ना और दलितों का उत्थान करना है। वह एक बेहतरीन पाठक और विश्लेषक भी रहे हैं।

Additional information

Author

Rakesh Kumar Singh

Binding

Paperback

Language

Hindi

ISBN

978-93-6201-643-0

Pages

156

Publication date

10-04-2025

Publisher

Setu Prakashan Samuh

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Tajurbe ka Tanabana (ek Atmakatha) by Rakesh Kumar Singh”

You may also like…

0
YOUR CART
  • No products in the cart.