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RANGMANCH KA EK AUR PATH

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रंगमंच का एक और पाठ

सम्पादन : महेश आनन्द | देवेन्द्र राज अंकुर

पिछले कुछ वर्षों से हिन्दी रंगमंच जिन चुनौतियों के बीच एक नयी पहचान पाने की कोशिश कर रहा है, उसे परम्परागत सैद्धान्तिक अथवा प्रायोगिक पक्षों द्वारा नहीं समझ सकते। रंगमंच के जो नये रूप और स्तर बन रहे हैं, उन्हें समझने के लिए वैकल्पिक या नये दृष्टिकोणों की जरूरत है। इसी परिप्रेक्ष्य में पुराने और नये लेखों की तलाश की गयी है ताकि बुनियादी बदलावों के साथ इस पहचान और आज की जरूरतों को समझ सकें। हमारी आज की कला सांस्कृतिक रूप से विविध तथा तकनीकी रूप से उन्नत तथा बहुआयामी रूपों से साक्षात्कार करती रही है। यहाँ संगीत, नृत्य, प्रदर्शनकारी कलाएँ, मूर्तिकला, चित्रकला, वास्तुकला और फ़िल्म का प्रमुख रूप से उल्लेख हो सकता है।
नाटक और रंगमंच के साथ ये सारी कलाएँ एक-दूसरे से मिलती-जुलती हुई कला चिन्तन की नयी भाषा बना रही हैं। नतीजा यह है कि नाट्यसमीक्षा भी अनेक शास्त्रों और कलारूपों से सन्दर्भित हो रही है। ये सभी रूप केवल अलंकरण के नहीं दर्शकों में तर्कसंगत सोच पैदा करने के आधार बने हैं। इसे किसी विशेष रूप की संज्ञा नहीं दी जा रही। कहा जा सकता है कि विभिन्न रंग तत्त्वों की विविधता में जो एक तरह की एकता है, वही भारतीय कला की महत्त्वपूर्ण विशेषता है…
– भूमिका से


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Description

About the Author

महेश आनन्द
जन्म 5 फ़रवरी 1946 को। उच्च शिक्षा दिल्ली वि.वि. से। दिल्ली कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स ऐण्ड कॉमर्स, दिल्ली वि.वि. में 40 वर्ष तक अध्यापन। ‘नटरंग’ में 24 वर्षों तक सम्पादन सहयोग। सचिव, एण्टन चेखव ड्रामा स्टूडियो (1986-88) सोवियत कल्चरल सेंटर, दिल्ली। कृतियाँ: कहानी का रंगमंच (1997), जयशंकर प्रसाद रंगदृष्टि (1998), जयशंकर प्रसाद रंगसृष्टि (1998), रंग दस्तावेज सौ साल (दो खण्ड, 2007), रंगमंच के सिद्धात (देवेन्द्र राज अंकुर के साथ संपादन, 2008), रेखा जैन (बाल नाटककार, निर्देशक, मोनोग्राफ 2010), हिन्दी रंगमंच एक दृश्य यात्रा (2019), दृश्य के साथ-साथ (2021), रंगसंवाद (2021)। पुरस्कार विशिष्ट कृति सम्मान, हिन्दी अकादमी, दिल्ली (1988-89); सिद्धनाथ कुमार स्मृति सम्मान, राँची (2010); सीनियर फेलोशिप, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार नयी दिल्ली (2011-12); विशिष्ट समीक्षक सम्मान, नट सम्राट, दिल्ली (2017); नेपथ्य रंगसम्मान, 2022 (रंगमंच के दस्तावेजीकरण के लिए)।


देवेन्द्र राज अंकुर
दिल्ली विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से निर्देशन में विशेषज्ञता के साथ नाट्य कला में डिप्लोमा। बाल भवन, नयी दिल्ली के वरिष्ठ नाट्य प्रशिक्षक। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमण्डल के सदस्य। भारतेन्दु नाट्य अकादमी, लखनऊ में नाट्य-साहित्य, रंग स्थापत्य और निर्देशन के अतिथि विशेषज्ञ। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, दिल्ली; क्षेत्रीय अनुसन्धान व संसाधन केन्द्र, बेंगलुरु के निदेशक। ‘सम्भव’, नयी दिल्ली के संस्थापक सदस्य और प्रमुख निर्देशक। नयी विधा ‘कहानी का रंगमंच’ के प्रणेता। भारत की सभी भाषाओं और रूसी भाषा में रंगकर्म का अनुभव। दूरदर्शन के लिए नाट्य-रूपान्तरण और निर्देशन। हिन्दी की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में रंगमंच पर लेख और समीक्षाएँ। अन्य भारतीय भाषाओं और अँग्रेज्ती से कई प्रसिद्ध नाटकों का हिन्दी में अनुवाद। अनेक देशों में रंगकार्यशालाएँ, प्रस्तुतियाँ और अध्यापन। कृतियाँ: ये आदमी ये चूहे, मीडिया, चाणक्य प्रपंच, पहला रंग, रंग कोलाज, दर्शन-प्रदर्शन, अन्तरंग बहिरंग, रंगमंच का सौन्दर्यशास्त्र, रचना प्रकिया के पड़ाव और पढ़ते, सुनते, देखते।

Additional information

Editor

Mahesh Anand & Devendra Raj Ankur

Binding

Paperback

Language

Hindi

ISBN

978-93-6201-319-4

Pages

416

Publication date

04-06-2025

Publisher

Setu Prakashan Samuh

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