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Aboli Ki Dairy By Juvi Sharma

(6 customer reviews)

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अबोली की डायरी – जुवि शर्मा

मिट्टी की देह से बना मनुष्य जब पश्चात्ताप की अग्नि में झुलसता है, तो उसके कर्म की स्वीकारोक्ति के मार्ग भी स्वयं प्रशस्त हो जाते हैं। मेरी मानसिक स्थिति तो कोई नहीं समझ पाया किन्तु अवचेतन अवस्था में किसी अबोध के लिए घृणा का भाव तो उपजा ही था। कोई मेरे साथ कैसा व्यवहार करता है, वह उसका चरित्र था किन्तु मैं अपना चरित्र धूल-धूसरित नहीं कर सकती। इसलिए चाहती हूँ कि उसकी सुखद गृहस्थी हो, इसलिए उसकी ब्याह की जिम्मेदारी मैंने अपने हाथ ले ली है। हम लड़की देखकर घर आए ही थे कि मम्मी मुझे कोने में खींच लायी, ‘ऐय अबोली। सुन! उस लड़की के छाती थी क्या ? कमर भी दो बित्ते की थी न ?’
– इसी पुस्तक से


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Description

Aboli Ki Dairy By Juvi Sharmaजुवि शर्मा


यह सच है कि जीवन एक अन्धकार से दूसरे अन्धकार की यात्रा है, मगर उससे बड़ा सच यह है कि यह यात्रा प्रकाश की है, काया के आन्तरिक अँधेरे में जीवित मानव-कोख से फूटी किरण की है। किरण से प्रकाश बनने की यात्रा जितनी नैसर्गिक होती है उतनी ही परिस्थिति वश ।.. अबोली की डायरी एक ऐसी ही किरण की कठिन यात्रा की अन्तरंग स्मृतियों की संचिका है। उस किरण को ठीक से देखा नहीं गया, चीन्हा और समझा नहीं गया। बोलने में विलम्ब हुआ तो अबोली नाम दिया गया और जब बोलने लगी तो सुना नहीं गया .. उस परिवार का क्या अर्थ जहाँ भावनात्मक सह-अस्तित्व न हो! यह डायरी शंकराचार्य के उद्‌गार से सोशल मीडिया पर अनवरत दूँसे जाते ज्ञान तक फैले इस क्लीशे को तोड़ती है कि क्वचिदपि कुमाता न भवति; और इसे भी कि हर पिता एक लौह-छत्र होता है। दैहिक सुख की यात्रा से जन्मे बच्चे दायित्व होते हैं, और यह दायित्व पशु भी निभाते हैं। मनुष्य के लिए यह दायित्व सिर्फ प्राकृतिक नहीं, सांस्कृतिक भी है क्योंकि हम पार्थिव और प्राकृतिक से अधिक अपने बनाये लोक में रहते हैं जो अपेक्षाकृत अधिक निर्मम और अधिक स्वार्थी होता है। इस निर्मम, निष्करुण और स्वार्थी लोक में पैरेण्टिग एक ऐसी सचेत क्रिया है जिसमें हुई चूक और उससे हुई क्षति के दुष्प्रभाव घातक और काफी हद तक अमिट होते हैं। इस डायरी के पन्नों से गुजरते हुए आप इस भीषण सत्य से कई बार मिलेंगे।
– भूमिका से


About the Author

जुवि शर्मा
जन्म : 21 मई, रामगढ़ शेखावाटी, राजस्थान।
शिक्षा : स्नातक ।
कविता संग्रह ‘कोरी चुनरिया आत्मा मोरी’ (2022) और ‘ओसारे की छाँव’ (2024) तथा प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ, डायरी एवं कहानी प्रकाशित ।

Additional information

Author

Juvi Sharma

Binding

Paperback

Language

Hindi

ISBN

978-93-6201-269-2

Pages

224

Publication date

01-02-2025

Publisher

Setu Prakashan Samuh

6 reviews for Aboli Ki Dairy By Juvi Sharma

  1. Anjali K

    जुवी जी की यह तीसरी किताब ली है मैने, पढ़ना शुरू किया है
    किताब जल्दी भेजने के लिए धन्यवाद ।

  2. Vandana Bajpai

    ये ऐसी किताब है जिसे पढ़ने का पहला असर ये होता है कि दिमाग झन्ना जाता है। हाथ-पैर सुन्न पड़ जाते हैं। अगर कहूँ तो लापरवाह पेरेंटिंग और उसका बच्चे के तन-मन और जीवन पर पड़ने वाले असर की बानगी है, ये किताब तो अतिशयोक्ति न होगी । ये सवाल इतने गहन और गंभीर हैं कि किताब पढ़ने के बाद भी चुभते चले जाते हैं।
    अंतहीन दुखों के बीच जीवन सिखाता है कि हमें अपने रथ का सारथी स्वयं बनना है। जिस भौतिक मंथन से जीवन समुद्र से विष निकला है, अमृत भी वहीं से निकलेगा… पर उसके लिए आत्म मंथन की कड़ी प्रक्रिया से गुजरना होगा। और लेखिका अंततः इस यात्रा के लिए तैयार होती है।
    ये अंधकार से प्रकाश की यात्रा है। सरल सहज शैली में लिखी गई इस डायरी के कई पैरा इतने प्रभावशाली हैं कि दोबारा पढ़ने का मन करता है।
    लेखिका को बधाई व शुभकामनाएँ

  3. Mili Chowdhury

    A powerful, deeply moving memoir by my dear friend, it’s a courageous unveiling of a life marked by pain, hardship, and ultimately, resilience. From the very first page, JUVI SHARMA pulls you into a world that many are afraid to speak of. She writes with raw honesty about the physical abuse she endured as a child, the suffocating grip of poverty, the emotional abandonment by her parents, and the exploitation she faced during her most vulnerable years. Despite immense hardships, she writes with raw honesty and resilience. Her story is not just heartbreaking—it’s inspiring, reminding us of the strength it takes to rise and heal.
    This book is a must-read—not just for its literary merit, but for its truth. It reminds us that even the darkest beginnings can lead to powerful, transformative light.

  4. Anuj Kumar

    “अबोली की डायरी” एक मार्मिक और भावपूर्ण पुस्तक है, जो पाठकों को एक अनोखे दृष्टिकोण से जीवन के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराती है। इस पुस्तक के माध्यम से, लेखक ने अबोली के जीवन के अनुभवों और उसके दृष्टिकोण को बहुत ही सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया है।

    पुस्तक की भाषा सरल और प्रवाहमयी है, जो पाठकों को अबोली के साथ जुड़ने में मदद करती है। लेखक की लेखन शैली प्रभावशाली है, और उन्होंने अबोली के चरित्र को जीवंत बनाने में सफलता प्राप्त की है।
    कुल मिलाकर, “अबोली की डायरी” एक अद्वितीय और प्रभावशाली पुस्तक है, जो पाठकों को सोचने पर मजबूर करती है और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर नए दृष्टिकोण प्रदान करती है। यदि आप एक मार्मिक और भावपूर्ण पुस्तक पढ़ना चाहते हैं, तो यह पुस्तक अवश्य पढ़ें।

  5. Gati upadhyay

    जुवि शर्मा की किताब ‘अबोली की डायरी’ के पढ़ने के नतीजे में पाया कि यौन हिंसा से बचाव के कोई तयशुदा टूल नहीं है, कुछ लड़कियों के लिए सुरक्षित जैसा कहीं कुछ भी नहीं, अपने घर में भी नहीं।
    ये किताब आत्मकथ्य है उस क्रमबद्ध त्रासदी का जिसको लेखिका ने जिया है, ख़ुश होने की उम्मीद में पुराने नरक से निकल कर दूसरे नए नरक में जाने का।

    किताब के उत्तरार्द्ध में लेखिका के डिजिटल प्रेमी का उत्पीड़न है।एक बड़ी तादात में स्त्रियां इस तरह की भावनात्मक हिंसा की शिकार रहीं हैं, जिसे करने वाला कोई और नहीं उनका प्रेमी ही है। अपने घरों की बेकदर स्त्रियों ने चुटकी भर कदर करने वाले पुरुषों को सर्वस्व सौंप दिया, उन्हें देवता बना दिया उनके लिए गालियां खायीं,लात जूते खाएं, ताने खाएं फिरभी डट के खड़ी रहीं सिर्फ इस भरोसे पर के इस भरी दुनिया में कोई एक तो है जो उन्हें प्यार करता है, ख़्याल रखता है, तवज़्ज़ो देता है। जिन्हें ये पूरी कोशिश, पूरे समर्पण से पकड़ना चाह रही हैं पर वो बेतहाशा भाग रहा है।

    लेखिका स्वस्थ रहें, सुचित्त रहें, शुभकामनाएं।

  6. Sarika Gupta

    डायरी लिखना और बात है और उसे छपवा कर दुनिया के सामने उजागर कर देना और.. निश्चित रूप से ये साहस की बात है.. ‘अबोली की डायरी’ सिर्फ़ दूसरों के दिए हुए त्रास की ही कहानी नहीं है, बल्कि स्वयं द्वारा की ग़लतियों और उसके परिणाम की स्वीकारोक्ति भी है, और सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि अपनी ग़लतियों को कहीं भी जस्टिफाई करने की कोशिश भी नहीं की गई है.. कहानी जैसी घटी वैसी ही रख दी गई है, और सही ग़लत उचित अनुचित का फ़ैसला पाठक पर छोड़ दिया गया है.. लेखिका जुवि शर्मा को इतने साहस के साथ सत्य कहने और स्वीकारने के लिए बहुत सारा प्यार❤️

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