Charan Kamlon Ke Dour Mein – Mohan Kumar Dehriya (Paperback)
₹140.00
Charan Kamlon Ke Dour Mein – Mohan Kumar Dehriya
चरण कमलों के दौर में – मोहन कुमार डहेरिया
In stock
SKU: | Charan Kamlon Ke Dour Paperback |
---|---|
Category: | Poetry |
ISBN | 9789391277796 |
---|---|
Author | Mohan Kumar Dehriya |
Binding | Paperback |
Pages | 96 |
Publisher | Setu Prakashan Samuh |
Imprint | Setu Prakashan |
Language | Hindi |
Related products
-
HINDI KAVITA AUR NAKSALWAAD By Poonam Singh
नक्सलबाड़ी आन्दोलन ने भारतीय राजनीति में जितनी उद्दाम लहर पैदा की, उससे कहीं अधिक कला, साहित्य, संस्कृति को इसने प्रभावित किया। यह एक नया मुक्ति-संग्राम था जो स्वाधीन भारत के ठीक बीस वर्ष बाद एक छोटे से स्थान से निकलकर देश के विविध हिस्सों में जा गूँजा और फैला।
₹550.00 -
Bhasha Mein Nhi By Sapna Bhatt
सपना भट्ट की कविताओं से गुजरते हुए वाल्टर पीटर होराशियो का यह कथन कि ‘All art constantly aspires towards the condition of music’ बराबर याद आता है। समकालीन कविता में ऐसी संगीतात्मकता बिरले ही दिखाई पड़ती है। यह कविताएँ एक मद्धम सिम्फनी की तरह शुरू होती हैं, अन्तर्निहित संगीत और भाषा का सुन्दर वितान रचती हैं और संगीत की ही तरह कवि मन के अनन्त मौन में तिरोहित हो जाती हैं। पूरे काव्य में ध्वनि, चित्र, संकोच, करुणा, विनय और ठोस सच्चाइयाँ ऐसे विन्यस्त कि कुछ भी अतिरिक्त नहीं। यह कविताएँ ठण्डे पर्वतों और उपत्यकाओं के असीमित एकान्त के बीच से जैसे तैरती हुई हमारी ओर आती हैं। इन सुन्दर कविताओं में कामनाहीन प्रेम की पुकारें, रुदन, वृक्षों से झरती पत्तियाँ और इन सब कुछ पर निरन्तर गिरती बर्फ जैसे अनगिनत विम्ब ऐसे घुले मिले हैं कि चित्र और राग संगीत, एकसाथ कविताओं से पाठक के मन में कब चले आते हैं पता ही नहीं चलता। यह कविताएँ किस पल आपको अपने भीतर लेकर बदल देती हैं यह जानना लगभग असम्भव है।
Buy This Book with 1 Click Via RazorPay (15% + 5% discount Included)
₹275.00 -
Jitani Hansi Tumhare Honthon Par – Jitendra Shrivastava
उ.प्र. के देवरिया जिले की रुद्रपुर तहसील के गाँव सिलहटा में जन्म । बी.ए. तक की पढ़ाई गाँव और गोरखपुर में की। तत्पश्चात जे.एन.यू., नयी दिल्ली से हिंदी साहित्य में एम.ए., एम.फिल. और पी-एच.डी.। हिंदी और भोजपुरी में लेखन-प्रकाशन। इन दिनों हालचाल, अनभै कथा, असुंदर सुंदर, बिल्कुल तुम्हारी तरह, कायांतरण, कवि ने कहा, बेटियाँ, उजास (कविता संग्रह), भारतीय समाज, राष्ट्रवाद और प्रेमचंद, शब्दों में समय, आलोचना का मानुष-मर्म, सर्जक का स्वप्न, विचारधारा, नये विमर्श और समकालीन कविता, उपन्यास की परिधि, रचना का जीवद्रव्य, कहानी का क्षितिज, कविता का घनत्व (आलोचना), शोर के विरुद्ध सृजन (ममता कालिया का रचना संसार), प्रेमचंद : स्त्री जीवन की कहानियाँ, प्रेमचंद : दलित जीवन की कहानियाँ, प्रेमचंद: स्त्री और दलित विषयक विचार,
-
-
Intzaar Mein AA Ki Matra – Naveen Rangiyal
इंतजार में आ की मात्रा नवीन रांगियाल का कविता-संग्रह है। नवीन रांगियाल की कविताओं की विशेषता है कि वह दुख को दिल और दिमाग से सूत भर हटाते हुए मन पर जमाते हैं जो की कविताओं में सहज रूप से दिखता है।
₹225.00 -
Bhinsar – Gyanendrapati
Bhinsar – Gyanendrapati
भिनसार – ज्ञानेन्द्रपतिभिनसार समकालीन कविता-परिदृश्य में अपनी तरह के अकेले कवि ज्ञानेन्द्रपति का अनूठा संकलन है। इस संग्रह की कविताएँ किसी चीज या केन्द्रीय भाव या अनुभव के विकसित होने की प्रक्रिया की कविताएँ हैं
₹350.00 -
Khojo to Beti Papa Kahan hai By Dhruva Shukla
Khojo to Beti Papa Kahan hai By Dhruva Shukla
खोजो तो बेटी पापा कहाँ हैं – ध्रुव शुक्ल -
Ishwar Ka Dukh by Shambhu Naath
ये मुश्किल समय की कविताएँ हैं। इनमें कुछ खोते जाने की पीड़ा और नागरिक भय के साथ असहमति की आवाजें हैं। ये ताकत द्वारा निर्मित मायावी दृश्यों से परे दबाये गये सत्य की अभिव्यक्तियाँ हैं। 2020-23 के बीच लिखी गयीं इन कविताओं में ‘प्रचलित’ और ‘प्रचारित’ के बाहर देखने का साहस लक्षित किया जा सकता है।
आज जब हर तरफ शोर और वाग्जाल है, सबसे अधिक जरूरत शब्दों को बचाने की है। यह अनुभव की स्वतन्त्रता के साथ-साथ कुछ जरूरी मूल्यों को बचाना है और कृत्रिम सरहदों को लाँघना है। इस संकलन की कविताएँ वर्तमान दौर के दुख, घबराहट और निश्छल स्वप्नों में साझेदारी से जन्मी हैं। ‘हम-वे’ के उत्तेजक विभाजन के समानान्तर ये अ-पर के बोध से जुड़ी हैं। ये कविताएँ वस्तुतः सुन्दरता, स्वतन्त्रता और भाषा की नयी सम्भावनाओं की तलाश हैं।
₹150.00
Be the first to review “Charan Kamlon Ke Dour Mein – Mohan Kumar Dehriya (Paperback)”
You must be logged in to post a review.