Pashchatya Sahityalochan Paribhashavali By Vivek Singh And Anshu Priya
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विवेक सिंह ने अपनी पी-एच.डी. इफ्लू, हैदराबाद से की है। आगे शोध करने के लिए, वे बर्लिन के पॉट्सडैम विश्वविद्यालय गये और डाड फेलोशिप प्राप्त की। उन्होंने विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों में पन्द्रह से अधिक व्याख्यान दिये हैं और अन्तरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में दस से अधिक शोधपत्र प्रकाशित किये हैं। उनकी सम्पादित पुस्तकों में ‘द क्राइसिस इन हामैनिटी’ (2022) और ‘द डिस्कोर्स ऑफ डिसेबिलिटी: इण्डियन पर्सपेक्टिव्स’ शामिल हैं। उन्होंने शिक्षा मन्त्रालय के ‘स्वयंप्रभा’ के लिए पाठ्यक्रम भी विकसित किये हैं। फुलब्राइट फेलो के रूप में, उन्होंने अमेरिका की मिसिसिपी वैली स्टेट यूनिवर्सिटी में भाषा प्रशिक्षक और सांस्कृतिक राजदूत के रूप में कार्य किया। इसके अतिरिक्त, उनकी हिन्दी पुस्तक ‘उत्तर-सत्यवाद’ (पोस्ट-टूथ) भी अभी प्रकाशित हुई है। हिन्दी भाषा और अनुवाद में उनकी गहरी रुचि है। सम्प्रति – प्राध्यापक, अँग्रेजी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय।
अंशु प्रिया वर्तमान में केन्द्रीय विश्वविद्यालय झारखण्ड, राँची से हिन्दी उपन्यास, फैण्टेसी और वैज्ञानिक गल्प पर शोध कर रही हैं। उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक और परास्नातक की शिक्षा प्राप्त की है। ‘साखी’ आदि पत्रिकाओं में उनकी कविताएँ तथा अनुवाद प्रकाशित हैं। अंशु की अभिनय में गहरी रुचि है, वे रंगमंच से भी पिछले कई सालों से जुड़ी रही हैं और कई नाट्य प्रदर्शनों में प्रमुख भूमिकाएँ निभायी हैं। अंशु विविध सिद्धान्त तथा अनुवादों में भी गहरी रुचि रखती हैं।
सम्प्रति – शोध छात्रा, केन्द्रीय विश्वविद्यालय झारखण्ड, राँची।
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