-15.05%

Pashchatya Sahityalochan Paribhashavali By Vivek Singh And Anshu Priya

Original price was: ₹299.00.Current price is: ₹254.00.

पाश्चात्य साहित्यालोचना परिभाषावली – विवेक सिंह, अंशु प्रिया


पाश्चात्य साहित्यालोचना परिभाषावली सामान्य विमशों में प्रयुक्त पारिभाषिक शब्दों, उनके अर्थों तथा संस्कृति और समाज में उनके आयामों और महत्त्व का साझा स्वरूप है।


विगत वर्षों में देश की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अवस्था में काफी परिवर्तन आए हैं। इन परिवर्तनों और उनके आयामों का विस्तृत अध्ययन आवश्यक है। भूमण्डलीकरण के इस दौर में भारतीय परिदृश्य पर वैश्विक पटल का प्रभाव पड़ना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। साहित्य, जो समाज का आईना है, उसपर यह बदलाव स्पष्टतः देखा जा सकता है। हिन्दी साहित्य पर उपनिवेशवाद का काफी प्रभाव रहा है, बल्कि यह कहना कि उपनिवेशवाद के प्रभाव को समझे बिना हिन्दी साहित्य का गम्भीर अध्ययन नहीं किया जा सकता, गलत नहीं होगा। प्रो. अवधेश कुमार सिंह का मानना है कि हिन्दी साहित्य के निर्माण में उपनिवेशवाद का असर स्पष्ट परिलक्षित होता है। इसीलिए पाश्चात्य आलोचनात्मक परम्परा को समझना बहुत ही आवश्यक हो जाता है। हमने देखा है कि हिन्दी के बहुत से प्रख्यात विद्वानों ने फ्रायड, और मार्क्स जैसे पश्चिमी विचारकों को समझने और उनके विचारों के प्रयोग का प्रयास किया है।

— भूमिका से


नीचे दिए हुए बटन से सीधे RazorPay पर जा कर पेमेंट कर सकते हैं

In stock

SKU: Pashchatya Sahityalochan Paribhashavali PB Category:

Description

Pashchatya Sahityalochan Paribhashavali By Vivek Singh And Anshu Priya


About the Author

विवेक सिंह ने अपनी पी-एच.डी. इफ्लू, हैदराबाद से की है। आगे शोध करने के लिए, वे बर्लिन के पॉट्सडैम विश्वविद्यालय गये और डाड फेलोशिप प्राप्त की। उन्होंने विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों में पन्द्रह से अधिक व्याख्यान दिये हैं और अन्तरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में दस से अधिक शोधपत्र प्रकाशित किये हैं। उनकी सम्पादित पुस्तकों में ‘द क्राइसिस इन हामैनिटी’ (2022) और ‘द डिस्कोर्स ऑफ डिसेबिलिटी: इण्डियन पर्सपेक्टिव्स’ शामिल हैं। उन्होंने शिक्षा मन्त्रालय के ‘स्वयंप्रभा’ के लिए पाठ्यक्रम भी विकसित किये हैं। फुलब्राइट फेलो के रूप में, उन्होंने अमेरिका की मिसिसिपी वैली स्टेट यूनिवर्सिटी में भाषा प्रशिक्षक और सांस्कृतिक राजदूत के रूप में कार्य किया। इसके अतिरिक्त, उनकी हिन्दी पुस्तक ‘उत्तर-सत्यवाद’ (पोस्ट-टूथ) भी अभी प्रकाशित हुई है। हिन्दी भाषा और अनुवाद में उनकी गहरी रुचि है। सम्प्रति – प्राध्यापक, अँग्रेजी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय।


अंशु प्रिया वर्तमान में केन्द्रीय विश्वविद्यालय झारखण्ड, राँची से हिन्दी उपन्यास, फैण्टेसी और वैज्ञानिक गल्प पर शोध कर रही हैं। उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक और परास्नातक की शिक्षा प्राप्त की है। ‘साखी’ आदि पत्रिकाओं में उनकी कविताएँ तथा अनुवाद प्रकाशित हैं। अंशु की अभिनय में गहरी रुचि है, वे रंगमंच से भी पिछले कई सालों से जुड़ी रही हैं और कई नाट्य प्रदर्शनों में प्रमुख भूमिकाएँ निभायी हैं। अंशु विविध सिद्धान्त तथा अनुवादों में भी गहरी रुचि रखती हैं।
सम्प्रति – शोध छात्रा, केन्द्रीय विश्वविद्यालय झारखण्ड, राँची।


Additional information

Author

Vivek Singh And Anhu Priya

Binding

Paperback

Language

Hindi

ISBN

978-93-6201-292-0

Pages

230

Publication date

01-02-2025

Publisher

Setu Prakashan Samuh

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Pashchatya Sahityalochan Paribhashavali By Vivek Singh And Anshu Priya”

You may also like…

0
YOUR CART
  • No products in the cart.