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Dhoop Ke Hastakshar (Poems) By Panna Trivedi
About the Author
पन्ना त्रिवेदी
कहानी, कविता, आलोचना, अनुवाद एवं सम्पादन में सक्रिय। मातृभाषा गुजराती। 34 पुस्तकें प्रकाशित। सम्प्रति वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय सूरत (गुजरात) में गुजराती विभाग में आसिसटेण्ट प्रोफेसर। इनकी अधिकतर रचनाएँ आकाशवाणी केन्द्र और दूरदर्शन से प्रसारित और अधिकतर भारतीय भाषाओं में अनूदित हुई हैं।
कहानीसंग्रह: आकाशनी एक चीस, रंग विनानी रंग, साफेद अंधारु, सातमी दिवस, फूल बजार, बर्फना माणसो। काव्यसंग्रह: एकान्तनी अवाज (गुजराती), खामोश बातें (हिन्दी कविता-संग्रह), पंख में बारिश (हिन्दी कविता-संग्रह), मोजार (गुजराती)। आलोचना गुजराती साहित्य माँ रेखाचित्रनी गतिविधि, प्रतिस्पन्द, पथार्थ, चाँद के पार, भारत विभाजन संवेदना उपन्यासकार अमृता प्रीतम तथा कहानीकार गुलजार के सन्दर्भ में, अवलोकना, परिष्कृत। अनुवाद: मारो परिवार (मू.ले. महादेवी वर्मा), जवाहर टनल (मू, कवि अग्निशेखर), चित्रा देसाईतां काव्यो, आधी जिन्दगी (पन्ना नायक की कविताएँ), सलगता चिनार (कश्मीरी लेखकों की कहानियाँ)। सम्पादन गुजराती रेखाचित्रो, नवलिका चयन वर्ष 2015, गुजराती नवलेखन (एन.बी.टी. दिल्ली), मनीषा जोषीनी कविता (एकत्र फाउण्डेशन यु.एस.ए.)। पुरस्कार/सम्मान साहित्य अकेदमी, गुजरात साहित्य अकेदमी समेत अनेक संस्थान द्वारा पुरस्कृत।
lalit gajjer –
गुजराती के प्रसिद्ध वार्ताकार पन्ना त्रिवेदीजी बहुत अच्छी ओर अर्थपूर्ण कविताए लीखती हे. ईस पुस्तक में कविताए पढ के बडा मजा आया. जैसे की गगन गील कहेती हे, कविता रातोरात नहीं होती, लंबे समय मनमें रहेने के बाद कागझ पर आती हे. ऐसे ही ईस पुस्तक की कविताए आई है एसा लगता हे. लंबे समय तक पाठको के झेहन में रहेगी.
lalit gajjer –
गुजराती की प्रसिद्ध कहानीकार पन्ना त्रिवेदीजी बहुत उत्तम एवं अर्थपूर्ण कविताएँ लिखती है। इस कविता संकलन की कवियाएँ पढ़कर बहुत प्रसन्नता हुई। जैसे कि गगन गिल कहती है, कविता रातोरात नहीं होती, लंबे समय मन में रहने के बाद कागज़ पर उतरती है। ठीक वैसे ही इस किताब की कविताएँ पढ़कर ऐसी ही अनुभूति हुई। यह कहना होगा कि यह कविताएँ लंबे समय तक पाठकों के चित्त में रहेगी ही रहेगी।