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Wazir Agha
18 मई, 1922 ई. को पाकिस्तान के सरगोधा में जन्मे वज़ीर आग़ा उर्द कविता में आधुनिक प्रवृत्तियों के प्रवर्तकों में माने जाते हैं। अर्थशास्त्र में एम.ए. और ‘उर्दू अदब में तंज़ो-मज़ा’ विषय पर पीएच.डी. डॉ. वज़ीर आग़ा शाइर होने के साथ-साथ एक प्रमुख आलोचक और ललित निबन्धकार भी हैं। ‘उर्दू शाइरी का मिज़ाज’ और ‘तख़लीकी अमल’ सहित उन के कई आलोचनात्मक ग्रंथ और निबन्धसंग्रह प्रकाशित हैं। ‘आधी सदी के बाद’ तथा ‘एक कथा अनोखी’ जैसी प्रसिद्ध लम्बी कविताओं सहित उन के दस काव्य-संग्रह प्रकाशित हुए हैं। वे पहले ‘अदबी दुनिया’ (लाहौर) के संयुक्त सम्पादक रहे और अब 1965 ई. से ‘औराक़’ (लाहौर) का सम्पादन कर रहे हैं। स्वीडिश लेखक संघ के निमन्त्रण पर दक्षिण एशियाई लेखक की समस्याओं पर स्टॉकहोम में दिया गया उन का व्याख्यान बहुत विचारोत्तेजक और चर्चित रहा। उन की कविताएँ हिन्दी और पंजाबी के अलावा ग्रीक अंग्रेजी, स्वीडिश, स्पेनिश आदि कई यूरोपीय भाषाओं में अनूदित हई हैं। कई सम्मानों से अलंकृत वज़ीर आग़ा कुछ आलोचकों की दृष्टि में नोबेल पुरस्कार के लिए पाकिस्तान से वाजिब हक़दार हैं। वज़ीर आग़ा सरगोधा में फलों की खेती करते हैं।
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