अक्स के संस्मरणों के चरित्र, अखिलेश की जीवनकथा में घुल-मिलकर उजागर होते हैं। अखिलेश का कथाकार इन स्मृति लेखों में मेरे विचार से नयी ऊँचाई पाता है। उनके गद्य में, उनके इन संस्मरणात्मक लेखन के वाक्य में अवधी की रचनात्मकता का जादू भरा है। -विश्वनाथ त्रिपाठी
About the Author:
जन्म : 1960; सुल्तानपुर (उ.प्र.)। शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी साहित्य), इलाहाबाद विश्वविद्यालय। प्रकाशित कृतियाँ : आदमी नहीं टूटता, मुक्ति, शापग्रस्त, अँधेरा (कहानी-संग्रह); अन्वेषण, निर्वासन (उपन्यास); वह जो यथार्थ था (सृजनात्मक गद्य); श्रीलाल शुक्ल की दुनिया (सं.) (आलोचना)। सम्पादन : `वर्तमान साहित्य`, `अतएव` पत्रिकाओं में समय-समय पर सम्पादन। आजकल प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका `तद्भव` के सम्पादक। `एक कहानी एक किताब` श्रृंखला की दस पुस्तकों के श्रृंखला सम्पादक, `दस बेमिसाल प्रेम कहानियाँ` का सम्पादन, `कहानियाँ रिश्तों की` शृंखला की ग्यारह पुस्तकों के शृंखला सम्पादक। अन्य : देश के महत्त्वपूर्ण निर्देशकों द्वारा कई कहानियों का मंचन एवं नाट्य-रूपान्तरण। कुछ कहानियों का दूरदर्शन हेतु फ़िल्मांकन। टेलीविज़न के लिए पटकथा एवं संवाद-लेखन। `शापग्रस्त` कहानी पर फ़ीचर फ़िल्म। अनेक भारतीय एवं विदेशी भाषाओं में रचनाओं के अनुवाद प्रकाशित। पुरस्कार/सम्मान : श्रीकान्त वर्मा सम्मान`, `इन्दु शर्मा कथा सम्मान`, `परिमल सम्मान`, `वनमाली सम्मान`, अयोध्या प्रसाद खत्री सम्मान`, स्पन्दन पुरस्कार`, `बालकृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार`, `कथा अवार्ड`, `कथाक्रम सम्मान`, `कसप` मनोहरश्याम जोशी राजकमल प्रकाशन कृति सम्मान आदि।
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