Uska Bachapan By Krishna Baldev Baid

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Uska Bachapan By Krishna Baldev Baid
उसका बचपन – कृष्ण बलदेव वैद

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Description

उसका बचपन एक महत्त्वपूर्ण और असाधारण उपन्यास है और अपने शिल्प और शैली के आधार पर हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में गिना जाता है। इसमें एक संवेदनशील बच्चे के दृष्टिकोण से एक निर्धन परिवार के रोजमर्रा के जीवन और जोखिम को अनेक दृश्य खंडों में उभारा गया है। इसका छोटा सा संसार हमें विचलित भी करता है और एक गहरा आनन्द भी देता यथार्थ से लबालब होते हुए भी यह उपन्यास यथार्थवादी उपन्यासों की कई पुरानी लकीरों के इधर उधर होता हुआ आगे बढ़ता है। इसमें कोई एक कहानी नहीं, कोई बनावटी प्लाट नहीं। इसमें कृष्ण बलदेव वैद ने शब्दों का कहीं अपव्यय नहीं किया, न ही वे अतिभावुकता के शिकार हुए हैं। शिल्पगत आगाही और भाषागत ताजगी के लिहाज से श्री वैद का यह पहला उपन्यास एक आदर्श प्रस्तुत करता है। 1957 में अपने प्रथम प्रकाशन के समय उसका बचपन हिन्दी साहित्य की एक विशिष्ट घटना थी।

About Author

कृष्ण बलदेव वैद
जन्म : 27 जुलाई, 1927, दिंगा (पंजाब)।
शिक्षा : एम.ए. (अंग्रेज़ी), पंजाब विश्वविद्यालय (1949), पी-एच.डी, हार्वर्ड विश्वविद्यालय (1961)।

अध्यापन : हंसराज कॉलिज, दिल्ली विश्वविद्यालय (1950-62); अंग्रेज़ी विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ (1962-66); अंग्रेजी विभाग, न्यूयार्क स्टेट विश्वविद्यालय (1966-85); अंग्रेज़ी विभाग, ब्रेंडाइज़ विश्वविद्यालय (1968-69)।

अन्य अनुभव : अध्यक्ष, निराला सृजन पीठ, भारत भवन, भोपाल (1985-88)।
उपन्यास : उसका बचपन, बिमल उर्फ़ जायें तो जायें कहां, तसरीन, दूसरा न कोई, दर्द ला दवा, गुज़रा हुआ ज़माना, काला कोलाज, नर नारी, माया लोक, एक नौकरानी की डायरी।

कहानी-संग्रह : बीच का दरवाज़ा, मेरा दुश्मन, दूसरे किनारे से, लापता, उसके बयान, मेरी प्रिय कहानियां, वह और मैं, ख़ामोशी, अलाप, प्रतिनिधि कहानियां, लीला, चर्तित कहानियां, पिता की परछाइयां, दस प्रतिनिधि कहानियां, बोधिसत्त्व की बीवी : (बोधिसत्त्व की बीवी, उदयन की बीवियों के अंदेशे, अरुणांचल, सारनाथ, ब्रांक्यूसी का हमाम, मोची भिखारिन मैं, डर मंदिर ईश्वर, पीलू और फ़रिश्ता, मशीन, लेखक और लंबा आदमी, लेखक की बद्दुआएं, कैसे गुज़र रही है ओल्ड ऐज, कुआं, ऊपर, साहित्य की नैतिकता, पिछले जन्म की बात है।), बदचलन बीवियों का द्वीप : (कलिंगसेना और सोमप्रभा की विचित्र मित्रता, सोमप्रभा की सुनाई हुई दो विचित्र कहानियों से छेड़छाड़, अर्थलोभ से मानपरा की मुक्ति, ‘लोहजंघ की कहानी, मथुरानिवासिनी गणिका रूपणिका की ज़ुबानी’, ‘देवदत्त की बीवी की कहानी, पिंगलिका ब्राह्मणी की ज़ुबानी’, उदयन की बीवियों के अन्देशे, बेधिसत्व की बीवी, एक और बोधिसत्व, मैं निश्चयदत्त और मेरी अनुरागपरा, ‘बदचलन’ बीवियों का द्वीप।), संपूर्ण कहानियां (दो जिल्दों में) : मेरा दुश्मन, रात की सैर।

Additional information

ISBN

8185127603

Author

Krishna Baldev Baid

Pages

192

Publisher

Setu Prakashan Samuh

Imprint

Vagdevi

Language

Hindi

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