Prarthana Samay By Pradeep Jilwane
₹266.00₹295.00
Prarthana Samay By Pradeep Jilwane
सबसे पहले शीर्षक कहानी ‘प्रार्थना समय’ पर बात लाजिमी लगती है, एक मुलायम रेशमी धागों से बुनती हुई यह कहानी आगे बढ़ती है कि एक अचानक एक चिंगारी उड़ती हुई आती है, कहानी के नायक के हाथ दुआ में उठे हैं कि काश चिंगारी इन रेशमी धागों तक न पहुंचे, कितनी जल्दी आग पकड़ लेते हैं न ये! कितनी जल्दी बदल जाती है यह दुनिया या कोई बुरी ताकत है, जो लगातार सक्रिय है इस दुनिया को खराब दुनिया में तब्दील करने में… आदमजात की हत्या करने में।
In stock
सबसे पहले शीर्षक कहानी ‘प्रार्थना समय’ पर बात लाजिमी लगती है, एक मुलायम रेशमी धागों से बुनती हुई यह कहानी आगे बढ़ती है कि एक अचानक एक चिंगारी उड़ती हुई आती है, कहानी के नायक के हाथ दुआ में उठे हैं कि काश चिंगारी इन रेशमी धागों तक न पहुंचे, कितनी जल्दी आग पकड़ लेते हैं न ये! कितनी जल्दी बदल जाती है यह दुनिया या कोई बुरी ताकत है, जो लगातार सक्रिय है इस दुनिया को खराब दुनिया में तब्दील करने में… आदमजात की हत्या करने में।
About the Author:
जन्म : 14 जून 1978, खरगोन (म.प्र.) में। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से एम.ए. हिंदी साहित्य (विश्वविद्यालय की प्रावीण्य सूची में स्थान), अनुवाद में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, पीजीडीसीए। फिलहाल म.प्र. ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण में कार्यरत। एक कविता संग्रह ‘जहाँ भी हो जरा-सी संभावना’ एवं इसी कविता संग्रह की पांडुलिपि पर भारतीय ज्ञानपीठ का नवलेखन पुरस्कार 2011 एवं साथ ही म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मेलन का प्रतिष्ठित ‘वागीश्वरी’ सम्मान प्राप्त। पहला उपन्यास ‘आठवाँ रंग/पहाड़-गाथा’, पहला कहानी संग्रह ‘प्रार्थना समय’। इसके अतिरिक्त आधा दर्जन से अधिक अन्य महत्त्वपूर्ण रचना संकलनों में रचनाएँ शामिल। गद्य एवं पद्य दोनों में समान लेखन। हिंदी साहित्य की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ एवं कविताएँ प्रकाशित, पुरस्कृत एवं चर्चित। रचनाओं का भारतीय भाषाओं यथा मराठी, तेलुगु में अनुवाद प्रकाशित। स्थानीय और लोकप्रिय पत्रों में सांस्कृतिक एवं समसामयिक विषयों पर आलेख प्रकाशित । ब्लॉग लेखन में भी सक्रिय।
SKU: | prarthana-samay |
---|---|
Category: | story |
Tags: | hindi stories, kahani in hindi, kahanikaar, kahaniyan, Pradeep Jilwane, story book, story book in hindi, कहानियों के नाम, कहानीकार के नाम |
ISBN | 9788194047025 |
---|---|
Author | Pradeep Jilwane |
Binding | Hardcover |
Pages | 152 |
Publisher | Setu Prakashan Samuh |
Imprint | Setu Prakashan |
Language | Hindi |
Related products
-
-
Vilopan by Shailendra Sagar (Paperback)
Vilopan by Shailendra Sagar
विलोपन की कहानियाँ ऐसी दुनिया की नब्ज पर उँगली रखती हैं जिसमें सब कुछ जल्दी से जल्दी पा लेना है। करियर की भागदौड़, निर्मम प्रतिस्पर्धा, अनाम-शनाप खर्च और उपभोक्तावाद ने ऐसी दुनिया बनायी है जहाँ किसी के व्यक्तिगत सुख-दुख, राग-विराग और रिश्ते-नातों से कोई सरोकार नहीं। ये कहानियाँ बहुत कुछ को दर्ज करती हैं जो ज़िन्दगी की आपाधापी में और बदलती दुनिया में लोप हो रहा है।
₹299.00 -
Do Gaz Ki Duri By Mamta Kalia
दो गज़ की दूरी’ वरिष्ठ कहानीकार ममता कालिया का नवीन कहानी-संग्रह है।इन कहानियों की विशेषता इनकी सहजता और सरलता है। ये अपनी संवेदनात्मक संरचना में से होते-होते दृश्यों, कथनों, अतिपरिचित मनोभावों के सहारे आगे बढ़ती हैं। ममता कालिया व्यंग्य नहीं, विडम्बना के सहारे आज के जीवन की अर्थहीनता को तलाशती हैं।
₹400.00 -
-
Patthalgadi Aur Anay Kahaniyan by Kamlesh
कमलेश की कहानियों में अगर प्रेमचन्द का वैचारिक ताप है, तो रेणु का लोकरंग भी उसी ठाठ के साथ मौजूद है। इन कहानियों से गुजरने का अर्थ है उस भारत की आत्मा से साक्षात्कार जिसे सायास नेपथ्य में धकेल दिया गया है। ये कहानियाँ मनुष्यता के पक्ष में एक ऐसा आह्वान है, जिसे अनसुना नहीं किया जा सकता।
₹475.00 -
-
Kavita Painting Ped Kuch Nahi – Kailash Banvasi (Paperback)
Kavita Painting Ped Kuch Nahi – Kailash Banvasi
कविता पेंटिंग पेड़ कुछ नहीं – कैलाश बनवासीकैलाश बनवासी एक अत्यंत मूल्यवान गठरी पर बैठे हैं। छत्तीसगढ़, बस्तर, सरगुजा के अँधेरों में एक ऐसा मनुष्य करवट ले रहा है जिसका बीज मुक्तिबोध ने बोया था।
-
Raag Virag Aur Anya Kahaniyan By Sharmila Jalan
Raag Virag Aur Anya Kahaniyan By Sharmila Jalan
राग विराग और अन्य कहानियां -शर्मिला बोहरा जालान₹280.00
Be the first to review “Prarthana Samay By Pradeep Jilwane”
You must be logged in to post a review.